भारतीय पूर्व कप्तान सौरव गांगुली की गिनती सबसे आक्रमक कप्तानों में की जाती है। गांगुली ने उस समय भारत की कमान संभाली थी जब टीम फिक्सिंग जैसे आरोपों से जूझ रही थी। गांगुली ने इन सभी मुद्दों को अलग रखते हुए एक युवा टीम तैयार की और उसे देश क्या विदेश में भी जीतना सिखाया। गांगुली का विदेशों में जीत का आंकड़ा काफी शानदार रहा है। गांगुली ने अपनी कप्तानी में टीम इंडिया को 2003 वर्ल्ड कप फाइनल में भी पहुंचाया था जहां उन्होंने ऑस्ट्रेलिया से हार का सामना करना पड़ा था।
इसके अलावा गांगुली की कप्तानी में टीम इंडिया ने विदेशी धरती पर एक और रोमांचक सीरीज जीती थी जिसे कोई चाह कर भी नहीं भुला सकता। वो है 2002 में खेली गई नेटवेस्ट सरीज। इस सीरीज को हम युवराज और कैफ की मैच जिताऊ पारी के साथ-साथ गांगुली के बालकनी में खड़े होकर जर्सी लहराने के लिए भी जानते हैं।
आज ही के दिन भारत ने 2002 में इंग्लैंड को रोमांचक मुकाबले में 2 विकेट से मात देकर सीरीज अपने नाम की थी। इस सीरीज में भारत और इंग्लैंड के अलावा श्रीलंका भी थी। फाइनल मैच में इंग्लैंड ने पहले बल्लेबाजी करते हुए मार्कस ट्रेस्कोथिक के शातक के दम पर भारत के सामने 326 रन का विशाल लक्ष्य रखा था।
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इस विशाल लक्ष्य का पीछा करने उतरी टीम इंडिया को गांगुली और सहवाग ने शानदार शुरुआत दी थी। गांगुली ने 60 तो सहवाग ने 45 रन बनाए थे। दोनों ने पहले विकेट के लिए 106 रन जोड़े थे। सलामी बल्लेबाजों के आउट होने के बाद मिडल ऑडर फेल हो गया। एक समय ऐसा था जब टीम 146 रन पर अपने 5 विकेट खो बैठी थी। इसके बाद युवराज सिंह (69) और मोहम्मद कैफ (87*) ने मैच लाजवाब बल्लेबाजी करते हुए ना ही भारत को मैच जिताया बल्कि गांगुली को शर्ट उतारने का मौका भी दिया।
क्यों गांगुली ने उतारी थी जर्सी?
सौरव गांगुली के शर्ट उतारने की वजह थे एंड्र्यू फ्लिंटॉफ! जी हैं, नेटवेस्ट सीरीज से 5 महीने पहले जब इंग्लैंड की टीम भारत दौरे पर आई थी तो एंड्र्यू फ्लिंटॉफ ने एक मैच में जीत की खुशी मनाते हुए अपनी जर्सी उतार दी थी। इसी के बाद दादा न लॉर्ड्स के मैदान पर अपनी जर्सी उतारी थी।
दादा ने हाल ही में नेटवेस्ट सीरीज को याद करते हुए कहा था "वो शानदार पल था। हम आपे से बाहर हो गए थे, लेकिन यही खेल है। जब आप इस तरह के मैच जीतते हो तो आप ज्यादा जश्न मनाते हो। वो महान मैचों में से एक है जिनका मैं हिस्सा रहा।"
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वहीं फाइनल में मैन ऑफ द मैच रहे मोहम्मद कैफ ने कहा था "जब आप (युवराज) आउट हो गए थे, तब मुझे लगा कि मैच गया। मुझे नहीं लग रहा था कि हम मैच जीतेंगे। मैं सेट था और आप वहां थे तो मुझे लगा था कि अगर हम आखिर तक खेलेंगे दो मैच जीत जाएंगे। लेकिन आप आउट हो गए और भारत ने उम्मीदें खो दीं। मेरा दिल टूट गया था।"
लेकिन इसके बाद भी कैफ ने निचले क्रम के बल्लेबाजों के साथ साझेदारी कर टीम को जीत दिलाई थी। ये कैफ के करियर की कुछ सर्वश्रेष्ठ पारियों में से एक है।