पूर्व क्रिकेटर मोम्मद यूसुफ ने पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के नीतियों की कड़ी आलोचना की है। मोहम्मद यूसुफ ने पीसीबी के उस फैसले का विरोध किया है जिसमें पूर्व कप्तान मिस्बाह उल हक को एक साथ मुख्य कोच और मुख्य चयनकर्ता की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
यूसुफ ने एक इंटरव्यू में कहा, ''मुझे यह बात बिल्कुल समझ नहीं आती है कि बोर्ड ये दोहरा मापदंड क्यों अपना रही है। एक तरफ बोर्ड कहता है कि किसी योग्य और अनुभवी को ही कोचिंग की जिम्मेदारी दी जाएगी जबकि मिस्बाह के पास क्लब स्तर के कोचिंग का भी अनुभव नहीं है।''
उन्होंने कहा, ''मिस्बाह को आपने कोच बना दिया है जिसके पास कोचिंग का कोई अनुभव नहीं है। यह सिर्फ और सिर्फ योग्यता का मजाक उड़ाया जा रहा है। इतना ही नहीं बोर्ड मिस्बाह को नेशनल टीम का कोच रहते हुए उन्हें पाकिस्तान सुपर लीग में भी उसे कोचिंग देने की अनुमति दे रहा। यह तो नियम कायदों का सबसे बड़ा माखौल उड़ाना है।''
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पाकिस्तान के लिए 90 टेस्ट और 288 वनडे मैच खेल चुके यूसुफ ने मिस्बाह पर और भी कई गंभीर आरोप लगाए हैं।
उन्होंने कहा, ''मैंने हाल ही में मिस्बाह को मीडिया में बोलते हुए देखा कि वह टीम के प्रति कितना ईमानदार हैं लेकिन मैं उसको याद दिलाना चाहता हूं कि जब वह टीम के कप्तान थे तब वह कभी भी अजहर अली को वनडे टीम में क्यों नहीं आने दिया।''
आपको बता दें कि पाकिस्तान क्रिकेट टीम के मौजूदा टेस्ट कप्तान अजहर अली जनवरी 2013 से अप्रैल 2015 के बीच एक भी वनडे मैच के लिए सेलेक्ट नहीं हुए थे।
यूसुफ ने कहा कि मिस्बाह अजहर को सिर्फ इसलिए वनडे टीम में नहीं आने देते थे क्योंकि उन्हें लगता था कि वह उनके बराबरी के बल्लेबाज हैं।
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यूसुफ ने मिस्बाह को एक औसत दर्जे का बल्लेबाज करार देते हुए कहा, ''मेरे नजरिए से अजहर के पास बेहतरीन बल्लेबाजी स्किल है लेकिन वह टीम के लिए ओपनिंग या तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी करते हैं ऐसे में उन्हें क्रिज पर पैर जमाने में कुछ समय लगता है। वहीं मिस्बाह का स्वभाविक खेल ही धीमा था और उसे सेट होने के लिए अधिक समय चाहिए था यही कारण है कि वह अजहर का अपनी टीम में नहीं लेते थे।''
उन्होंने कहा, ''मिस्बाह के पास कोई स्किल नहीं है और ना ही उसका कोई गेम है। वह अधिकर सुरक्षात्मक बल्लेबाजी ही की है। वह सिर्फ स्पिन गेंदबाजों के खिलाफ ही खुलकर खेल पाता था।''