कोलकाता| टीम इंडिया के कई ऐसे खिलाड़ी है जो टीम से बाहर क्यों किए गए?...इस सवाल का जवाब ढूंढते रहते हैं। इस तरह बिना किसी जवाब के टीम से बाहर होने के बाद अक्सर खिलाड़ी चयनकर्ताओं को जिम्मेदार ठहराया करते हैं। इसी कड़ी में भारतीय टीम के लिए खेल चुके बंगाल क्रिकेट में 'छोटे दादा' के नाम से मशहूर मनोज तिवारी भी आते हैं। जिन्हें शतकीय पारी खेलने के बावजूद टीम इंडिया से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया और आज तक वो वापसी के दरवाजे खट-खटाते रहते हैं। लेकिन वो क्यों बाहर हुए इसका जवाब उनके पास भी नहीं है। हलांकि इसके बावजूद उनका मानना है कि उन्हें बाहर करने में कप्तान महेंद्र सिंह धोनी का बिल्कुल हाथ नहीं है और ना ही उन्होंने इस चीज को लेकर आज तक धोनी से कोई बात की है।
मनोज ने फैनकोड एप पर दिए गए इंटरव्यू में कहा कि उन्होंने कभी भी टीम से बाहर किए जाने के संबंध में धोनी से सवाल नहीं किया।
मनोज ने कहा, "मैंने कभी नहीं सोचा था कि अपने देश के लिए 100 रन बनाने के बाद, मैन ऑफ द मैच लेने के बाद मैं अगले 14 मैचों तक अंतिम-11 में नहीं आऊंगा। लेकिन मैं इस बात का भी सम्मान करता हूं कि कप्तान, कोच और टीम मैनेजमेंट के भी अपने विचार होते हैं। एक खिलाड़ी के तौर पर हमें उनके फैसलों का सम्मान करना चाहिए, क्योंकि हो सकता है कि उनकी अलग रणनीति हो।"
मनोज ने कहा, "मुझे उस समय मौका नहीं मिला या यूं कहें कि मुझे में माही के पास जाने की हिम्मत नहीं थी, क्योंकि हम अपने सीनियरों का इतना सम्मान करते थे कि हम उनसे सवाल करने से बचते थे। इसलिए मैंने अभी तक उनसे सवाल नहीं किया।"
मनोज ने कहा कि जब वह राइजिंग पुणे सुपरजाएंट्स में धोनी के साथ खेल रहे थे, तब उन्होंने कप्तान से यह सवाल पूछने के बारे में सोचा था, लेकिन वह आईपीएल के दबाव को देखकर रुक गए।
दाएं हाथ के इस बल्लेबाज ने कहा, "मैंने सोचा था कि बाद में कभी पूछूंगा।" मनोज ने हाल ही में अपनी कप्तानी में बंगाल को रणजी ट्रॉफी के फाइनल में पहुंचाया था लेकिन वह टीम को खिताब नहीं दिला सके थे।
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इतना ही नहीं बाद में मनोज ने मुंबई के पृथ्वी शॉ और श्रेयस अय्यर को भारतीय क्रिकेट में भविष्य का सितारा बताया है।
उन्होंने कहा, "अय्यर अगर कुछ मैचों में अच्छा नहीं भी करते हैं तो वह रहेंगे। उनके अलावा मैं शॉ को देखता हूं, अगर वह शांत रहकर आगे बढ़ते हैं और अनुशासन में रहते हैं तो निश्चित तौर पर वह काफी आगे जाएंगे।"
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