खेलों में वहीं खिलाड़ी सफल होता है जो अपने खेल से मोहब्बत करता है यानी उसके जीवन में उसका खेल ही सबकुछ होता है। इतना ही नहीं उसके अंदर इस तरह के ख्याल भी आने लगते हैं अगर ये खेल ना होता तो वो क्या करता। ये सब एक असली खिलाड़ी की निशानी होती है जो उसे फर्श से अर्श तक का सफर तय कराती है। इस कड़ी में खिलाड़ी ना सिर्फ खेल बल्कि उसमें इस्तेमाल होने वाले उपकरणों का भी काफी ख्याल रखते हैं। जैसे कि सचिन तेंदुलकर अपने बल्ले का ख्याल बखूबी रखते थे। कुछ इसी तरह टीम इंडिया के युवा बल्लेबाज मनीष पांडेय का भी मानना है कि वो भी अपन बल्ले का ख्याल इस तरह रखते हैं जैसे कि वो उनकी गर्लफ्रेंड हो और इतना ही नहीं कभी - कभार वो अपने बल्ले से बातें भी करते हैं।
भारतीय टीम के मध्य क्रम के बल्लेबाज मनीष पांडे से जब क्रिकबज के एक खास शो में पूछा गया कि क्या कभी आप अपने बल्ले से बात करते हैं? इसके जवाब में मनीष पांडे ने कहा, "हां, कभी कभार बल्ले से बात करता हूं। ये कुछ लगभग उस तरह की बातें हैं जो हम अपनी गर्लफ्रेंड से करते हैं। जब आप मैच खेल रहे होते हैं तो गर्लफ्रेंड आपके आस-पास नहीं होती है। ऐसे में एक बल्ला ही आपके पास होता है।"
वहीं, मनीष पांडे से आगे जब ये पूछा गया कि जब बल्ले से किनारा लगकर गेंद कैच के लिए चली जाती है और आप आउट हो जाते हैं तो फिर बल्ले को क्या कहते हैं कि तुम बदल गए हो तुम पहले ऐसे न थे? इसके जवाब में उन्होंने कहा, "हां, कभी-कभी कहता हूं, लेकिन बल्ला भी वापस से कहता है कि आप भी थोड़ा बदल गए हो। ये काफी महत्वपूर्ण है।" इसके बाद मनीष से पूछा गया कि क्या आपने अपने बल्ले को गर्लफ्रेंड की तरह बेबी, स्वीटी या अन्य कोई निकनेम दिया है तो इसका जवाब ना है, क्योंकि मनीष पांडे कहते हैं कि वे अपने बल्लों का नंबरिंग(1,2,3,4...) करते हैं। इसलिए उनको उन्हें नाम नहीं देते।
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गौरतलब है कि बहुत से ऐसे क्रिकेटर रहे हैं जो काफी अंधविश्वासी होते हैं। इस बात को खुद सचिन ने भी स्वीकारा था कि वो भी कई टोने - टुटके किया करते थे। इस तरह मनीष से भी जब इन टोन - टूटको के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा , "हर क्रिकेटर की तरह मेरा भी यही विचार है कि जिस बल्ले से मैं अच्छा स्कोर बनाऊं, उससे अगले कुछ मैचों में खेलूं। अगर मैच के दौरान कोई बल्ला टूट जाता है तो बड़ा दुख होता है, क्योंकि आप उस बल्ले को मैच के लिए तैयार करते हो, लेकिन वो दुर्भाग्य से टूट जाता है, तो बड़ा दुख होता है।"
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बता दें कि मनीष पिछले 4 साल से टीम इंडिया के लिए खेलते आ रहे हैं। उन्होंने अभी तक सिर्फ 26 वनडे और 38 अंतराष्ट्रीय टी 20 मैच खेले हैं। इसके पीछे का कारण वो अक्सर टीम इंडिया से अंदर और बाहर भी होते रहे हैं। हालांकि इन दिनों वो टीम इंडिया के मध्यक्रम की बल्लेबाजी का अहम हिस्सा भी माने जा रहे हैं।