मुंबई| भारत के पूर्व सलामी बल्लेबाज और कोच लालचंद राजपूत ने मुंबई क्रिकेट संघ (एमसीए) में हाल ही नियुक्त लोकपाल न्यायमूर्ति विजया ताहिलरमणि (सेवानिवृत्त) से उनकी अध्यक्षता वाली पूर्ववर्ती क्रिकेट सुधार समिति (सीआईसी) को बहाल करने की मांग की है।
भारत के लिए चार टेस्ट और दो एकदिवसीय मैच खेलने वाले 59 साल के राजपूत की अध्यक्षता वाली सीआईसी में पूर्व टेस्ट खिलाड़ी राजू कुलकर्णी और समीर दिघे भी शामिल थे। राजपूत ने लोकपाल को लिखा , ‘‘ निवेदन है कि मामले पर तुरंत कार्रवाई की जाए और सुनवाई हो तथा हल निकले। 18 फरवरी 2021 को भंग की गयी सीआईसी को आगामी एजीएम तक तुरंत बहाल किया जाए।’’
उनके पत्र की प्रति पीटीआई के पास भी है। जिम्बाब्वे के वर्तमान कोच राजपूत ने नये सीआईसी की नियुक्ति को ‘अमान्य’ करने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा, ‘‘ जतिन परांजपे की अध्यक्षता में नए सीआईसी की नियुक्ति की घोषणा 20 फरवरी 2021 को ईमेल के माध्यम से की गयी थी। इसे अगले एजीएम तक अमान्य किया जाए, ऐसी नियुक्तियां एमसीए संविधान के अनुसार की जानी चाहिये।’’
राजपूत को तीन साल के लिए सीआईसी नियुक्त करने बाद एमसीए पदाधिकारियों ने उन्हें हटा दिया था। पदाधिकारियों ने राजपूत की अगुवाई वाली समिति को भंग करने के बाद जतिन परांजपे, विनोद कांबली और नीलेश कुलकर्णी को नये सीआईसी सदस्यों के रूप में नियुक्त किया था यह पता चला है कि राजपूत की अगुवाई वाली समिति को ‘हितों के टकराव’ का हवाला देते हुए भंग कर दिया गया था।
इस आरोप को हालांकि जिम्बाब्वे के मौजूदा कोच ने खारिज कर दिया। राजपूत ने अपनी लंबी याचिका में घटनाओं का क्रम से जिक्र करते हुए बताया कि समिति की नियुक्ति कैसे की गई और फिर इसे क्रिकेट निकाय द्वारा कैसे भंग कर दिया गया।
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राजपूत की अगुवाई वाली समिति ने ही रमेश पोवार को मुंबई का कोच नियुक्त किया था जबकि ज्यादातर पदाधिकारी इस जिम्मेदारी को अमोल मजूमदार को देना चाहते थे। पोवार के कोच रहते हुए पृथ्वी साव की कप्तानी में मुंबई ने हाल ही विजय हजारे ट्रॉफी को अपने नाम किया था।
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