1.सीनीयर खिलाड़ियों की छुट्टी
2007 में कप्तान बनने के बाद से कई युवा खिलाड़ियों को टीम इंडिया के लिए खेलने का मौक़ा मिला लेकिन सीनीयर खिलाड़ियों की क़ीमत पर। 2007 विश्व कप में हार के बाद राहुल द्रविड़, सचिन तेंदुलकर, अनिल कुंबले और सौरव गांगुली की खूब आलोचना हुई। और इसी मौक़े पर धोनी को कप्तानी सौंपी गई। धोनी के कप्तान बनते ही तेंदुलकर को छोड़कर बाक़ी सभी खिलाड़ियों का वनडे टीम से पत्ता साफ हो गया।
2011 विशव कप जीतने के बाद टीम इंडिया का सितारा बुलंद हो गया। लेकिन अच्छे प्रदर्शन के बावजूद गौतम गंभीर, ज़हीर ख़ान, युवराज सिंह, हरभजन सिंह और वीरेंदर सहवाग को उतने मौक़े नहीं मिले जितने मिलने चाहिए थे। उनकी जगह उन खिलाड़ियों ने ले ली जिनहोंने IPL में अच्छा प्रदर्शन किया।
इन सीनीयर खिलाड़ियों में से कोई भी 2015 विश्व कप के संभावित खिलाड़ियों की सूची में नहीं था और समझा जाता है कि ये काम धोनी के इशारे पर किया गया था। ज़ाहिर है इन खिलाड़ियों के फैंस को ये बात नागवार गुज़री।