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साल 2001 में संन्यास का मन बना चुके थे जस्टिन लैंगर, लेकिन स्टीव वॉ के एक फोन कॉल ने बदल दी उनकी किस्मत

ऑस्ट्रेलिया के लिए 105 टेस्ट मैचों में 45.27 की औसत से 7696 रन बनाने वाले लैंगर ने एक इंटरव्यू में बताया कि क्यों वह अचानक संन्यास के बारे में सोचने लगे थे।

Edited by: India TV Sports Desk
Updated : April 19, 2020 17:22 IST
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Image Source : GETTY IMAGES justin langer

ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट टीम के मौजूदा कोच जस्टिन लैंग अपने समय के सबसे बेहतरीन टेस्ट ओपनर बल्लेबाज के तौर जाने जाते थे। लैंगर ओपनिंग करते हुए ऑस्ट्रेलिया के लिए कई बेहतरीन पारियां खेली और टीम को जीत भी दिलाई लेकिन एक समय ऐसा भी आया जब वह अचानक से संन्यास लेने का फैसला कर चुके थे।

यह बात साल 2001 के शुरुआती दिनों की जब लैंगर ने पूरी तरह टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने का मन बना लिया था।

ऑस्ट्रेलिया के लिए 105 टेस्ट मैचों में 45.27 की औसत से 7696 रन बनाने वाले लैंगर ने एक इंटरव्यू में बताया कि क्यों वह अचानक संन्यास के बारे में सोचने लगे थे लेकिन उस समय टीम के कप्तान स्टीव  द्वारा किया गया उन्हें एक फोन कॉल ने उनकी पूरी जिंदगी को बदल रख दिया।

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उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा, '' एशेज सीरीज के लिए हम इंग्लैंड गए हुए थे और मैंने एक सप्ताह पहले ही मैंने मैथ्यू हेडन के साथ ओपनिंग बल्लबाजी करनी शुरू थी लेकिन उसके तुरंत बाद ही मैंने अपने फैमली से और पत्नी से बात की और कहा कि मैं घर वापस आ रहा हूं। मैं रन नहीं बना पा रहा था। मुझे लग रहा था कि मैं फेल हो जाउंगा और मुझे टीम से बाहर कर दिया जाएगा। शायद मैं फिर कभी ऑस्ट्रेलिया के नहीं खेल पाउंगा।'' 

लैंगर ने कहा, ''मैं पूरी तरह से निराश और हताश था मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं लेकिन अचानक से कप्तान स्टीव वॉ का मुझे फोन आया और कहा कि तुम कल ओपनिंग करने वाले हो।''

उन्होंने कहा, ''इससे पहले मैं ससेक्स के खिलाफ मैच से बाहर हो चुका था और मैदान से बाहर मैंने अपने स्टैंड-इन कप्तान एडम गिलक्रिस्ट पर चिल्लाया और उनसे कहा कि मैं एक डमी जैसा महसूस कर रहा हूं। मैं तुम लोगों से सामने टीम से बाहर करने के लिए एक आसान शिकार हूं।''

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उन्होंने कहा, ''उस रात मैं गिलक्रिस्ट के साथ एक बार में गया जो कि ब्रिजटोन के ग्रैंड होटल में था। मैं साधारणतया कम पीता हूं लेकिन उस रात मैंने बहुत शराब पी। हमारे साथ टीम के कोच जॉन बुकानन भी थे और मैंने नशे में वह सब कुछ उन्हें बताया जो मेरे दिमाग घूम रहा था।''

लैंगर इस सीरीज के आखिरी टेस्ट मैच में खेलने का मौका मिला। इसमें उन्होंने 102 रनों की शतकीय पारी खेली जिसकी बदौलत ऑस्ट्रेलियाई टीम ने यह मैच पारी और 25 रनों से जीता। इसके साथ ही ऑस्ट्रेलिया ने 4-1 से सीरीज पर कब्जा जमाया। लैंगर के बल्ले से 17 महीने बाद यह शतकीय पारी निकला था।

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टेस्ट क्रिकेट में लैंगर का यह 8वां शतक था। इसके बाद उन्होंने टेस्ट में उन्होंने 15 और शतक जड़े जिसमें तीन बार उन्होंने उसे दोहरे शतक में बदला।

यहां से लैंगर का किस्मत बदला और हेडन के साथ वह ऑस्ट्रेलिया दूसरे सबसे सफल टेस्ट ओपनर बल्लेबाज बने 

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