भारतीय पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने जब टीम इंडिया के लिए डेब्यू किया था तो किसी ने नहीं सोचा था कि वह इतने बेहतरीन फिनिशर के साथ-साथ एक सफल कप्तान भी बनेंगे। हाल ही में जब टीम इंडिया के पूर्व कोच जॉन राइट से पूछा गया कि क्या धोनी जन्मजात कप्तान थे? तो उन्होंने इस बात को यह कहकर टाल दिया कि धोनी उनके अंडर एक ही सीरीज खेले हैं तो वह इस पर कुछ नहीं कह सकते।
बता दें, धोनी ने दिसंबर-2004 में बांग्लादेश के खिलाफ चटगांव में वनडे में डेब्यू किया। दिसंबर-2005 में उन्होंने श्रीलंका के खिलाफ चेन्नई में अपना पहला अंतर्राष्ट्रीय टेस्ट मैच खेला। यहां से धोनी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और बाद में चलकर वह देश के महानतम कप्तानों में से एक बने।
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क्राइस्टचर्च से बात करते हुए राइट ने कहा, "धोनी जल्दी ही खेल को पढ़ने लगे थे। यह एक अच्छे और रणनीतिकार कप्तान के लक्षण हैं। वह जाहिर तौर पर भारत के महानतम कप्तानों में से एक हैं। वह भारत के लिए शानदार रहे हैं। उनके रिकार्ड इसके बारे में बताते हैं।"
धोनी ने भारत के लिए 350 वनडे खेले हैं और 200 वनडे में टीम की कप्तानी की है। उनकी सफलता का प्रतिशत 55 रहा है। टी-20 मैचों में 98 बार देश का प्रतिनिधत्व किया है और इसमें से 72 मैचों में टीम की कमान संभाली है। यहां उनकी सफलता का प्रतिशत 58.33 रहा है। धोनी ने देश के लिए 90 टेस्ट मैच खेले जिसमें से 60 में कप्तानी की। यहां वह 45 फीसदी सफल रहे।
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धोनी दुनिया के इकलौते ऐसे कप्तान हैं जिन्होंने आईसीसी की सभी ट्रॉफियां- वनडे विश्व कप, टी-20 विश्व कप, चैम्पियंस ट्रॉफी जीती हैं और साथ ही टेस्ट में टीम को नंबर-1 बनाया है।
धोनी के साथ बिताए गए समय के बारे में जब राइट से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि धोनी के साथ उन्होंने कम समय बिताया लेकिन वह इस खिलाड़ी के इंटेलिजेंस से काफी प्रभावित थे।
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उन्होंने कहा, "यह साफ था कि धोनी सिर्फ गिफ्टेड क्रिकेटर हैं बल्कि वह काफी चतुर भी हैं। वह काफी अच्छे से सभी की बात सुनते हैं। उन्होंने मेरे साथ पहली सीरीज में ज्यादा कुछ नहीं कहा था, लेकिन वो चीजों को देख रहे थे और सीख रहे थे। मैंने उस समय उनके बारे में सोचा था कि उनके सामने बड़ा भविष्य है।"
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राइट से जब पूछा गया कि क्या धोनी जन्मजात कप्तान थे? तो उन्होंने कहा, "मैं यह फैसला नहीं कर सकता क्योंकि मैं वहां था नहीं। वह मेरे कोच रहते सिर्फ एक सीरीज खेले थे। मैंने बाद में जो सुना वो यह था कि उन्हें कप्तानी संभालने में कोई परेशानी नहीं आई वो भी तब जब टीम में काफी अनुभवी और सीनियर खिलाड़ी थे और वो सीनियर खिलाड़ी उनकी कप्तानी का सम्मान करते थे।" यच