नई दिल्ली। तेज गेंदबाज जयदेव उनादकट ने कहा है कि उनकी प्राथमिकता भारतीय टेस्ट टीम में वापसी करना है। उनादकट ने दिसंबर 2010 में 19 साल की उम्र में भारत के लिए अपना अभी तक का इकलौता टेस्ट मैच खेला था। वह हालांकि भारत के लिए सात वनडे और 10 टी-20 मैच खेल चुके हैं।
उनादकट ने अपनी आईपीएल टीम राजस्थान रॉयल्स के साथी ईश सोढ़ी के साथ फ्रेंचाइजी के फेसबुक पेज पर बात करते हुए कहा, "मैं लाल गेंद से गेंदबाजी करना पसंद करता हूं। मुझे एक टेस्ट मैच खेलने के बाद दूसरा मैच खेलने का मौका नहीं मिला इसलिए यह बात मेरे दिमाग में चलती रहती है। इस समय हालांकि भारतीय टीम में प्रतिद्वंद्विता काफी कड़ी है। मैं कह सकता हूं कि अभी तक सबसे मजबूत।"
भारतीय टीम का तेज गेंदबाजी आक्रमण इस समय शानदार है। ईशांत शर्मा, जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद शमी, उमेश यादव, भुवनेश्वर कुमार के हाथों में इसकी बागडोर है और इनमें से किसी को भी मौका मिलता है तो सभी अच्छा करते हैं।
ये भी पढ़ें - इस वजह से बेन स्टोक्स को वर्ल्ड कप फाइनल में दिया जाना चाहिए था आउट - ग्लैन टर्नर
बाएं हाथ के इस गेंदबाज ने साथ ही कहा कि वह खेल के अन्य प्रारूपों में भी बेहतर होना चाहते हैं।
उन्होंने कहा, "हाल के दिनों में छोटे प्रारूप मेरी ताकत रहे हैं। अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में किसी एक प्रारूप का विशेषज्ञ नहीं बनना चाहता हूं बल्कि में विविधता वाला गेंदबाज बनना चाहता हूं क्योंकि मैं सभी प्रारूप में जगह बनाना चाहता हूं।".
वहीं उन्होंने कहा "मैं इस बात का शुक्रगुजार हूं कि यह मेरे करियर में तब हुआ जब मैं अपना नाम स्थापित करने की जद्दोजहद में लगा था। मुझे अपने आप में विश्वास था लेकिन आप जानते हैं कि कप्तान का आप में विश्वास हो यह कितना जरूरी है। यह 2017 सीजन में हुआ। मैं उनकी कप्तानी का बड़ा प्रशंसक हूं और उनकी बल्लेबाजी का भी।"
2018 में रॉयल्स के साथ खेलते हुए उनादकट ने इंग्लैंड के बेन स्टोक्स, जोस बटलर और जोफ्रा आर्चर के साथ भी समय बिताया है। उनादकट ने बताया कि उन्होंने इन सभी से क्या सीखा और साथ ही वह जब हताश हुए थे तब स्टोक्स ने कैसे उन्हें प्रेरित किया था।
ये भी पढ़ें - बिना सिगरेट के ड्रेसिंग रूम में नहीं रह सकते थे शेन वॉर्न, माइकल क्लार्क ने किया खुलासा
बाएं हाथ के इस गेंदबाज ने कहा, "यह लोग सिर्फ मैदान पर ही अच्छे नहीं है यह लोग ड्रेसिंग रूम में भी जिंदादिली से रहते हैं। मैं बटलर और स्मिथ से बात करता था। मैंने स्टोक्स से भी बात की है। जब मैं अपने खेल को लेकर हताश था तब स्टोक्स मेरे पास आए और एक सलाह दी। आर्चर ने भी मेरी काफी मदद की और अपनी मानसिकता के बारे में बताया।"