साल 2011 विश्व कप फाइनल मैच में महेंद्र सिंह धोनी के द्वारा लगाए गए विजयी शॉट को भारतीय क्रिकेट के इतिहास में जिस तरह कभी नहीं भुलाया जा सकता ठीक उसी तरह 2007 टी-20 विश्व कप फाइनल मैच में जोगिंदर शर्मा के आखिरी ओवर को याद किया जाता है।
हालांकि 2011 के फाइनल मैच में धोनी का वह आखिरी शॉट इतिहास बन गया लेकिन टीम को जीत की दहलीज तक पहुंचाने में ओपनर बल्लेबाज गौतम गंभीर का सबसे बड़ा योगदान रहा था जिन्होंने गिरते हुए विकटों के बीच डटकर बल्लेबाजी करते हुए 97 रनों की पारी खेली थी, ठीक वैसे ही पाकिस्तान के खिलाफ 2007 टी-20 विश्व कप के फाइनल मैच मे इरफान पठान ने कमाल कर के दिखाया था।
पाकिस्तान के खिलाफ जोहान्सबर्ग में खेले गए इस मुकाबले को जीतकर भारत पहली बार टी-20 विश्व चैंपियन बना था। इस मैच में भारत के लिए इरफान ने शानदार प्रदर्शन करते हुए अपने चार ओवर के स्पेल में महज 16 रन खर्च कर तीन महत्वपूर्ण विकेट लिए थे जिसकी वजह मैच आखिरी ओवर तक गया।
इरफान ने इस दौरान शोएब मलिक (8), शाहिद अफरीदी (0) और यासिर अराफात (15) का शिकार किया। इरफान के इस शानदार प्रदर्शन के लिए उन्हें मैन ऑफ द मैच चुना गया था।
इस मैच में भारतीय टीम ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला लिया था। भारत के लिए गौतम गंभीर को छोड़कर और कोई भी बल्लेबाज अपना कमाल नहीं दिखा पाया था। गंभीर ने इस फाइनल मैच में भी भारत के लिए महत्वपूर्ण 75 रनों की पारी खेली थी जिसकी वजह टीम बड़ी मुश्किल से 157 रन बना पाई।
इस लो स्कोरिंग मुकाबले में भारतीय टीम के पास सिर्फ एक ही विकल्प था कि वह 20 ओवर के भीतर पाकिस्तान की टीम को ऑलआउट करें। इरफान की अगुआई में भारतीय गेंदबाजी आक्रमण ने शुरुआत से ही पाकिस्तानी बल्लेबाजों पर अपना लगाम कसे रखा।
हालांकि मिस्बाह उल हक भारत के सामने दीवार की तरह खड़े थे। मिस्बाह की बल्लेबाजी को देखकर ऐसा लग रहा था कि भारतीय टीम यह मैच गंवा देगी लेकिन आखिरी ओवर में कप्तान धोनी के फैसले ने सबकुछ बदलकर रख दिया और पाकिस्तान खिताब के करीब पहुंचकर भी उसे नहीं उठा पाई।