टीम इंडिया के मैनेजमेंट के चेहते और विकेटकीपिंग में महेंद्र सिंह धोनी के उत्तराधिकारी माने जाने वाले ऋषभ पंत के लिए कुछ भी अच्छा नहीं जा रहा है। लगातार टीम इंडिया से मिलने वाले मौकों पर खरा ना उतर पाने के बाद अब घरेलू क्रिकेट में भी ऋषभ का बल्ला शांत है। ऋषभ की लगातार खराब फॉर्म के कारण वो टेस्ट क्रिकेट के बाद अब टी20 टीम और वनडे टीम से भी बाहर हो सकते हैं। जिसके चलते उनकी जगह शायद संजू सैमसन भारत के अगले विकेकीपिंग बल्लेबाज के रूप में दावा ठोंकने को तैयार हैं।
टीम मैनजमेंट पिछले एक साल से ऋषभ पंत को ही भारत का अगला विकेटकीपर बताकर लगातार मौका देते आ रहा है। मगर मिलने वाले हर मौके पर वो टीम मैनेजमेंट समेत फैंस को निराश कर रहे हैं। जिसके पीछे उनकी खराब फॉर्म विलेन बनी हुई है। हाल ही में बांग्लादेश के खिलाफ तीन मैचों की टी20 सीरीज में दो पारी में उन्हें खेलने का मौका मिला। जिसमें संघर्ष करते हुए एक पारी में 27 तो दूसरी पारी में 6 रन बनाकर पवेलियन चलते बने।
इतना ही नहीं इसके बाद ऋषभ को दिल्ली की टीम से सैय्यद मुश्ताक अली टी20 ट्रॉफी में घरेलू क्रिकेट खलने का मौका मिला। ऐसे में अंतराष्ट्रीय गेंदबाजों के बाद घरेलू गेंदबाजों के आगे भी ऋषभ का बल्ला खामोश रहा। पहले मैच में हरियाणा के खिलाफ 28 रन की धीमी पारी तो उसके बाद ओपनिंग में शानदार मौका मिलने के बावजूद वो सिर्फ 30 रनों की पारी खेल पाए। हालांकि इस दौरान भी उनकी बल्लेबाजी में लय नजर नहीं आई।
ऐसे में अगर साल 2018 की बात करें तो ऋषभ ने पिछले साल 8 टी20 मैचों की 7 पारियों में 16 के खराब औसत के साथ सिर्फ 114 रन बनाए। इस दौरान पूरे साल में वो टी20 में सिर्फ एक अर्धशतकीय पारी ही खेल पाए। वहीं साल 2019 में अभी तक पंत 13 अंतराष्ट्रीय टी20 मैच खेल चुके हैं। जिसमें उनके बल्ले से मात्र एक अर्धशतक समेत 20 की औसत के साथ कुल 201 रन निकले हैं। इस तरह देखा जाए तो टी20 में पूरे एक साल में उनके बल्ले से औसत एक फिफ्टी निकल रही है।
ऐसे में ऋषभ पंत अगर समय रहते सचेत या अपनी बल्लेबाजी में जल्द सुधार नहीं करते हैं तो उनकी टीम इंडिया से छुट्टी का समय नजदीक आता नजर आ रहा है। पंत को सिर्फ बल्लेबाजी ही नहीं बल्कि अपनी खराब विकेटकीपिंग के लिए भी बांग्लादेश के खिलाफ ट्रोल होना पड़ा था। बांग्लादेश के खिलाफ सीरीज में ऋषभ ने एक गलत स्टंपिंग की थी जिसके चलते टीम को विकेट की जगह नो बॉल मिली थी।
गौरतलब है कि संजू सैमसन को ही साल 2018 में इंडिया ए के इंग्लैंड दौरे में शामिल किया गया था मगर यो-यो टेस्ट में फेल होने के कारण संजू इंग्लैंड नहीं जा पाए थे। जिस मौके का फायदा पंत ने उठाया और वहाँ से उन्होंने टीम इंडिया तक का रास्ता तय किया। ऐसे में इस बार संजू कोई कोताही नहीं बरतना चाहेंगे और मौका मिलते ही चौका मारना चाहेंगे।
हालांकि टीम मैनजेमेंट अभी तक ऋषभ की गलतियों पर पानी डालते हुए उनका भरपूर साथ निभाता आ रहा है। लेकिन पिछली सीरीज में संजू सैमसन का चयन और उसके बाद एक बार फिर आगामी वेस्टइंडीज के खिलाफ शिखर धवन की जगह संजू को टीम में लाना ऋषभ के लिए खतरे का संकेत बन सकता है। हालांकि चयनकर्ता ये साफ़ कर चुके हैं कि संजू को बतौर बल्लेबाज टीम में जोड़ा गया है जबकि विकेटकीपिंग के लिए पंत ही पहली प्राथमिकता है। लेकिन संजू ने टीम में चयन के बाद ये साफ़ कर दिया कि अगर टीम चाहेगी तो वो विकेटकीपिंग करने के लिए भी 100 प्रतिशत तैयार हैं।
इस तरह आगामी दिसंबर माह में वेस्टइंडीज के खिलाफ होने वाली तीन मैचों की टी20 सीरीज में अगर ऋषभ पंत अपने बल्ले और कीपिंग से कोई कमाल नहीं दिखा पाते है तो उनके भारत के भविष्य का विकेटकीपर बल्लेबाज बनने का सपना अधूरा भी रह सकता है।