तिरुवनंतपुरम के ग्रीनफील्ड इंटरनेशनल स्टेडियम में खेले गये दूसरे टी20 मैच में टीम इंडिया को वेस्टइंडीज के हाथों मूहं की खानी पड़ी। टेस्ट क्रिकेट में बादशाहत पर कायम टीम इंडिया की इस टी20 मैच में पोल खुल गई और वह कई विभागों में कमज़ोर नजर आई। वेस्टइंडीज के खिलाफ 8 विकेट से हार झेलने वाले फिटनेस फ्रीक कप्तान कोहली मैदान में टीम इंडिया की फील्डिंग से काफी निराश दिखे। मैच ख़त्म होने के बाद कोहली ने कहा कि अगर आप इस तरह की लचर फील्डिंग करेंगे तो मैच को बचाना नामुमकिन है।
ऐसे में आप सोच रहे होंगे कि हमेशा अपने खिलाड़ियों को बैक करने और उनकी तारीफ़ करने वाले कप्तान विराट कोहली आखिर मैच के बाद निराश क्यों हैं। दरअसल टीम इंडिया के खिलाड़ियों ने बीती रात वेस्टइंडीज के खिलाफ बेहद ही शर्मसार फील्डिंग की जिसके चलते कप्तान कोहली का गुस्सा फूटा। ऐसे में टीम इंडिया की हार की वजह सिर्फ फील्डिंग ही नहीं बल्कि गेंदबाज से लेकर बल्लेबाज भी है। जिसके चलते अगर टीम इंडिया ने समय रहते काम नहीं किया तो अगले साल टी20 वर्ल्ड कप जीतने का सपना नाकाम रह सकता है। आइए डालते हैं टीम इंडिया की तीन प्रमुख कमजोरियों पर एक नजर:-
फील्डिंग में करना होगा सुधार
जब तक टीम जीतती है तब तक आप मैदान में कितनी भी गलतियाँ करें उस पर पर्दा पड़ जाता है मगर जब आप हार जाते हैं तो आपकी एक छोटी सी भी गलती पर स्वालियाँ निशान खड़े होने लगते हैं। कुछ इसी तरह टीम इंडिया के खिलाड़ी भी पिछले कई मैचों से कैच लपकने में नाकाम होते आ रहे हैं मगर कल के मैच में हार जाने के बाद कोहली ने इसे बड़ी समस्या बताया।
दरअसल मैच के दौरान भुवनेशवर कुमार के एक ओवर में वेस्टइंडीज के दोनों सलामी बल्लेबाज लेंडल सिमंस और एविन लुईस के कैच वाशिंगटन सुंदर और विकेटकीपर ऋषभ पंत ने छोड़े, ये दोनों ही कैच टीम इंडिया को काफी भारी पड़े और सिमंस ने 67 तथा लुईस ने 40 रन बनाकर वेस्टइंडीज को जीत की तरफ अग्रसर किया। इतना ही नहीं पहले टी20 मैच में भी टीम इंडिया ने वेस्टइंडीज के खिलाफ 5 कैच टपकाए थे। हालांकि मैच टीम इंडिया ने जीता था जिसके चलते गलती पर पर्दा पड़ गया था।
सिर्फ टी20 ही नहीं बल्कि टेस्ट क्रिकेट में भी स्लिप में खड़े फील्डर अजिंक्य रहाणे ने बांग्लादेश के खिलाफ 4 कैच लपकाए थे। जबकि कुल मिलाकर देखा जाए तो पिछले मैच 5 टेस्ट में टीम इंडिया ने 14 कैच टपकाए हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि फील्डिंग कोच आर. श्रीधर कब इस बीमारी को संज्ञान में लेंगे और टीम इंडिया को इस समस्या से निजात दिलाएंगे। अगर सुधार नहीं होता है तो अगले साल ऑस्ट्रेलिया में होने वाले टी20 विश्वकप में भारत को बड़ा खामियाजा भी भुगतना पड़ सकता है।
स्ट्राइक गेंदबाज की कमी
टेस्ट क्रिकेट में टीम इंडिया के गेंदबाजों के आगे दुनिया भर के बल्लेबाज पानी मांगते हैं मगर क्रिकेट के छोटे फोर्मेट टी20 में यही बल्लेबाज टीम इंडिया के गेंदबाजों को पानी पिला भी देते हैं। टी20 में टीम इंडिया की गेंदबाजी अभी भी कमज़ोर नजर आ रही है। एक बार जब विरोधी बल्लेबाज मैच में सेट हो जाते हैं तो विकेट यानी स्ट्राइक दिलाने वाला गेंदबाज कोई नहीं है। बांग्लादेश के खिलाफ 5 रन पर 6 विकेट लेने वाले दीपक चाहर भी एक बार मार पड़ने पर फीके साबित होने लगते हैं। जबकि डेथ ओवेर्स में गेंदबाजी अभी भी समस्या है।
ऐसे में टीम इंडिया को बीती रात अपने स्ट्राइक गेंदबाज जसप्रीत बुमराह की काफी कमी खली। वहीं स्पिनर्स वाशिंगटन सुन्दर और युजवेंद्र चहल भी सपनी स्पिन गेंदबाजी से कमाल दिखाने में नाकाम रहे। जिसके चलते कप्तान विराट कोहली समेत टीम इंडिया को हार का सामना करना पड़ा। पिछले मैच में भी गेंदबाजों ने 200 से अधिक रन लुटाए थे ऐसे में इस मैच में भी वेस्टइंडीज के बल्लेबाजों ने उसी औसत के साथ बल्लेबाजी की जिसके चलते टीम इंडिया को गेंदबाजी विभाग में भी काम करने की जरुरत होती है।
सीखना होगा कैसे करे बड़ा टारगेट सेट
टीम इंडिया ने पहले टी20 मैच में वेस्टइंडीज के दिए 208 रनों के लक्ष्य को चेस मास्टर कप्तान विराट कोहली के 94 रन के दमपर आसानी से हासिल कर लिया था। इस मैच में टीम इंडिया के सामने लक्ष्य था और बल्लेबाजों ने आसानी से साझेदारी बनाकर मैच को अपने नाम किया जिसमें के. एल. राहुल ने भी 62 रनों की पारी खेली थी। वहीं दूसरे टी20 मैच में जब टीम इंडिया को पहले बल्लेबाजी करनी पड़ी तो वो बड़ा स्कोर खड़ा करने में नाकाम रहे जिसके चलते वेस्टइंडीज ने आसानी से जीत हासिल कर ली।
पहले बल्लेबाजी करते हुए टीम इंडिया ने अंतिम 10 ओवर में सिर्फ 73 रन बनाए जो की औसतन टी20 मैचों में आसानी से 100 से अधिक रन बनते हैं। आकड़ों की बात करें तो टीम इंडिया ने पहले खेलते हुए 16 टी20 मैच खेले हैं जिसमें उसे 8 में जीत तो 8 में हार मिली है। जबकि चेस करते हुए टीम इंडिया ने 18 मैच खेले और 14 में जीत जबकि सिर्फ 3 में उसे हार का सामना करना पड़ा, एक मैच बेनतीजा रहा। इस तरह साफ़ जाहिर है की कोहली की कप्तानी वाली टीम इंडिया के बल्लेबाजों की मानसिकता चेस करने के ज्यादा अनुकूल हो गई है। जिसके चलत अगर उन्हें अगले साल टी20 विश्वकप की तैयारी करनी है तो इस बीमारी से भी निपटना होगा। जो कि धीरे-धीरे एक बड़ी समस्या बनती जा रही है।