ना विराट जैसी टाइमिंग है ना रोहित जैसा टैलेंट है लेकिन जिगर सबसे बड़ा है। ऐसा योद्धा जो रन के रण में माहिर है। द.अफ्रीका में हिंदुस्तान इतिहास रचने से महज एक कदम दूर खड़ा है और इस एक कदम का फासला धोनी पूरा करेंगे...क्योंकि जब हालात इम्तिहान ले रहे हो मैदान पर खड़ा रहना मुश्किल हो... ऐसे वक्त में आपको धोनी वक्त से लड़ते नजर आते हैं।
जोहान्सबर्ग से जिस तरह की पारी धोनी ने खेली है वो पूरी टीम के लिए आर्दश है और अब पोर्ट एलिजाबेथ में हर भारतीय बल्लेबाज़ धोनी बनकर ही खेलेगा। चौथे वनडे में जब धोनी मैदान पर उतरे थे बारिश की वजह हालात पूरी तरह से बदल चुके थे। 4 विकेट गिर चुके थे। स्कोरबोर्ड पर 300 रन लगाना चैलेंज बन गया था।
एक तरफ से यंगिस्तान जोश में अपना विकेट गंवा रहा था। वहीं दूसरी तरफ गेंदें धोनी पर लगातार वार कर रही थी लेकिन धोनी ने आत्मसमर्पण करने से इंकार कर दिया था। रबाडा की गेंद कैसे धोनी के हेलमेट पर टकराकर बाउंड्री पारी जाती लेकिन इतनी तेज गेंद भी धोनी को डरा नहीं सकी। धोनी ने 43 गेंदों पर 66 मिनट बल्लेबाज़ी करते हुए नाबाद 42 रन बनाए। इस दौरान उन्होंने 3 चौके और 1 छक्का भी जड़ा।
आपको बता दें जब विराट और धवन बल्लेबाज़ी कर रहे थे तो पिच बल्लेबाजों का साथ दे रही थी लेकिन बारिश के बाद यही पिच अनसुलझी पहेली बन गई। लेकिन धोनी के हिम्मत के सामने पिच को भी सरेंडर करना पड़ा। माही ने ना सिर्फ जुझारू पारी खेली बल्कि वो युवा जोश को मैदान पर समझाते भी रहे। गेंदबाज़ी में धोनी कप्तान की भूमिका निभाते हैं लेकिन बैटिंग के दौरान वो टीम के मंटोर भी होते हैं।
ये धोनी के हौसले का नतीजा है कि वो दस हजार वनडे रन से महज 46 रन दूर हैं। इस कीर्तिमान तक पहुंचने वाले चौथे भारतीय होंगे। जोहान्सबर्ग से मुश्किल परिस्थितिया पांचवां वनडे में इम्तिहान लेंगी और वहां पर रन बनाने के लिए हर बल्लेबाज़ को धोनी बनना होगा। गेंदों से लड़ना होगा... शरीर पर चोट खानी होगी... लेकिन विकेट नहीं गंवाना होगा क्योंकि पिच पर टिके रहने से ही जीत मिलेगी।