वनडे और टी20 क्रिकेट के रोहित शर्मा अब टेस्ट क्रिकेट के भी 'हिटमैन' बन गए हैं। साउथ अफ्रीका के खिलाफ घरेलू सरजमीं पर खेली गई तीन मैचों की टेस्ट सीरीज में रोहित शर्मा ने दिखा दिया कि वो सिर्फ सलामी बल्लेबाजी करने के लिए ही बने हुए हैं। वनडे क्रिकेट के नंबर चार की तरह टेस्ट क्रिकेट में भी पिछले साल से जबसे शिखर धवन, मुरली विजय, और के. एल. राहुल जैसे बल्लेबाज नाकाम हुए तबसे ये बीमारी पनपती जा रही थी। जिसे रोहित शर्मा ने अपनी बल्लेबाजी से जड़ से उखाड़ फेंका है और टेस्ट क्रिकेट में खुद को साबित कर दिया है। रोहित ने अपने बल्ले से बतौर सलामी बल्लेबाज टेस्ट क्रिकेट में रनों को घनघोर बारिश करके पूरी दुनिया को बता दिया कि लाल गेंद के खेल में भी उनके पास अपार क्रिकेट बचा है।
सफ़ेद गेंद के क्रिकेट में कई कीर्तिमान अपने नाम करने वाले रोहित शर्मा ने साउथ अफ्रीका के खिलाफ भी सीरीज में दो शतक और एक दोहरा शतक जड़कर कई रिकॉर्ड अपने नाम किए हैं। इसमें सबसे ख़ास रोहित ने घरेलू मैदानों पर बल्लेबाजी करने के मामले में क्रिकेट के सर डॉन ब्रैडमैन के लगभग 98 के बल्लेबाजी औसत को पीछे छोड़ दिया है। रोहित का घरेलू मैदानों पर बल्लेबाजी औसत लगभग 99 के आसपास का हैं। जो कि ब्रैडमैन से ज्यादा है। ऐसे में रोहित को भारत का ब्रैडमैन कहना गलत नहीं होगा।
जब हिट के बाद फ्लॉप हुए रोहित शर्मा
टेस्ट क्रिकेट में रोहित के करियर की शुरुआत साल 2013 में उनके लकी मैदान कोलकाता के ईडन गार्डन्स से हुई थी। जहां उन्होंने अपने डेब्यू मैच में नंबर 6 पर बल्लेबाजी करते हुए शानदार 177 रनों की मैराथन पारी खेली थी। जिसके बाद सभी को ये लगा की वनडे क्रिकेट के सलामी बल्लेबाज रोहित टेस्ट क्रिकेट में भारतीय टीम के मध्यक्रम की रीढ़ की हड्डी बन सकते हैं। हालांकि नियति को कुछ और ही मंजूर था और रोहित शर्मा का बल्ला लाल गेंद के खेल में शांत हो गया। मैच दर मैच वो लाल गेंद की स्विंग के आगे घुटने टेकते नजर आने लगे। जिसके चलते उन्हें टीम से अंदर और बाहर भी किया गया। विदेशी पिचों पर जैसे इस बल्लेबाज की कलई खुल गई वहाँ पर इनका औसत 30 से भी कम का था। जिसके चलते रोहित शर्मा को टेस्ट क्रिकेट का फ्लॉप बल्लेबाज करार दिया जाने लगा।
इस तरह आया रोहित से सलामी बल्लेबाजी कराने का विचार
रोहित के किस्मत का पासा पलटा वेस्टइंडीज दौरे से जहां पर पहली बार टीम इंडिया के हेड कोच रवि शास्त्री के दिमाग में रोहित शर्मा से टेस्ट क्रिकेट में भी ओपनिंग कराने का ख्याल आया। हालांकि वहाँ से सीरीज जीतने के बाद कप्तान विराट कोहली ने कोच की सोच का सम्मान किया और रोहित शर्मा से टेस्ट क्रिकेट में ओपनिंग कराने का बड़ा दांव चला। रोहित के पास खुद को टेस्ट क्रिकेट में साबित करने का ये अंतिम मौका था। के. एल. राहुल की नियमित खराब फॉर्म के चलते रोहित को मौका मिला और उन्होंने पहली ही पारी में अपनी बल्लेबाजी से सभी आलोचकों का मूहं बंद कर दिया।
साउथ अफ्रीका के खिलाफ 'हिटमैन' का आगाज
रोहित ने साउथ अफ्रीका के खिलाफ पहले टेस्ट मैच की पहली पारी में 176 रनों की शानदार पारी विशाखापत्तनम के मैदान में खेली। यहाँ से शुरू हुई वनडे क्रिकेट के बादशाह की टेस्ट क्रिकेट में हिटमैन बनने की कहानी। पहली पारी में पहली बार बतौर सलामी बल्लेबाज खेलने वाले रोहित का शतक के साथ आत्मविश्वास काफी बढ़ गया और कप्तान कोहली और शास्त्री का चला हुआ दांव क्रिकेट के मैदान में सोलह आने खरा साबित हुआ। इससे साफ़ जाहिर होता है की वनडे क्रिकेट में सलामी बल्लेबाजी करने वाली मानसिकता से रोहित शर्मा को टेस्ट क्रिकेट में काफी मदद मिली। जिसका खुलासा कोच शास्त्री ने भी सीरीज के बाद किया कि ओपनिंग में रोहित की सफलता का राज उनका माइंडसेट है।
इसके बाद रोहित रुके नहीं और उन्होंने दूसरी पारी में भी शतक जड़ा। जबकि सीरीज के अंतिम मैच में उन्होंने पहली पारी में 212 रनों की मैराथन पारी भी खेली। इस तरह तीन मैचों में रोहित ने 133.25 की औसत से 529 रन मारे। जिसमें उनके नाम 3 शतक शामिल है। इतना ही नहीं इस सीरीज में रोहित ने 62 चौके व 19 छक्के मारे। जिसके चलते उन्हें तीसरे मैच में दोहरा शतक मारने के लिए 'मैन ऑफ द मैच' जबकि पूरी सीरीज में रन बरसाने के कारण 'मैन ऑफ द सीरीज' के खिताब से नवाजा गया है।
रोहित के लिए असली चुनौती अभी बाकी
ऐसे में रोहित शर्मा ने बतौर सलामी बल्लेबाज घरेलू सरजमीं पर टीम इंडिया की सारी चिंताओं को हर लिया है। मगर रोहित की बल्लेबाजी की असली अग्निपरीक्षा घर से दूर विदेशी पिचों पर होगी। जिसका कारण ये हैं की रोहित शर्मा का जहां घर पर औसत लगभग 100 के पास है तो वहीं घर से बाहर उनका बल्लेबाजी औसत लगभग 30 के अंदर हैं। ऐसे में रोहित के सामने सबसे बड़ी चुनौती टीम इंडिया का आगामी न्यूजीलैंड दौरा होने वाला हैं। जहां पर लहराती और तेज पिचों पर स्विंग करती लाल गेंद के सामने रोहित को खुद को साबित करना होगा। जिससे रोहित शर्मा को कोई भी घर के शेर बाहर ढेर जैसा उदाहरण ना दे सके।