भारत और साउथ अफ्रीका के बीच तीन मैचों की टेस्ट सीरीज में मेहमान टीम साउथ अफ्रीका को मूहं की खानी पड़ी। इस पूरी सीरीज में साउथ अफ्रीका भारत के आग कहीं भी नहीं टिक पाई और उसे तीनों टेस्ट मैचों में बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा। इस तरह पहली बार भारतीय टीम ने टेस्ट सीरीज में साउथ अफ्रीका का 3-0 से सूपड़ा साफ़ किया। ऐसे में जहां कोहली की विराट सेना वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप की तरफ विजयी रथ लेकर आगे बढ़ चुकी है वहीं साउथ अफ्रीका क्रिकेट के भविष्य के लिए कई सवाल खडें हो गए हैं।
जी हाँ, हार के बाद अफ्रीकी कप्तान फाफ डु प्लेसिस का दर्द छलकता दिखाई दिया। उन्होने टीम के खिलाड़ियों को तो जिम्मेदार ठहराया ही साथ में अफ्रीकी और यूरोपीय देशों के बीच होने वाली 'कोलपैक डील' को भी एक बड़ी वजह बता डाला। उनका मानना है की इस डील के चलते साउथ अफ्रीका ने अपने कई सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी खोए हैं जिससे टीम को काफी नुकसान हुआ है। ऐसे में हम आपको 5 ऐसे साउथ अफ्रीकी खिलाड़ियों के बारे में बताएंगे जिन्होंने अपने देश की टीम को छोड़ 'कोलपैक डील' पर हस्ताक्षर किए। अगर ये सभी खिलाड़ी आज साउथ अफ्रीका की टीम में होते तो शायद भारत से जीत भी सकते थे।
साइमन हार्मर ( ऑफ स्पिनर- एसेक्स )
साल 2015 में भारत दौरे पर आने वाले इस खतरनाक साउथ अफ्रीकी ऑफ स्पिन गेंदबाज ने एसेक्स के साथ कोलपैक करार कर लिया था। जहां पर इस गेंदबाज ने अपनी गेंदबाजी से टीम को तीन में से दो बार खिताबी जीत दिलाई। हार्मर ने 41 काउंटी मैचों ना सिर्फ 214 विकेट लिए हैं बल्कि बल्ले से भी पिछले सीजन में 27 की औसत से 460 रन मारे। इस तरह अगर ये गेंदबाज साउथ अफ्रीकी टीम के साथ भारत आता तो निश्चित तौर पर भारतीय बल्लेबाजों के लिए बड़ी परेशानी कड़ी कर सकता था। साउथ अफ्रीका की हार का एक बड़ा कारण उसकी फीकी स्पिन गेंदबाजी भी रही है।
डुआने ओलिवर ( तेज गेंदबाज- डर्बीशायर )
अपने टेस्ट क्रिकेट करियर का दमदार आगाज करने वाले घातक अफ्रीकी तेज गेंदबाज डुआने ओलिवर ने जल्द ही अंतराष्ट्रीय क्रिकेट को छोड़ डर्बीशायर के साथ कोलपैक डील पर हस्ताक्षर कर दिए। इस तरह साउथ अफ्रीका को ओलिवर के रूप में भारी नुकसान हुआ। उन्होंने काउंटी में जाते ही एक सीजन में खतरनाक गेंदबाजी करते हुए अपने नाम 47 विकेट किए। ओलिवर ने साउथ अफ्रीका के लिए सिर्फ 10 टेस्ट मैच खेले हैं जिसमें उनके नाम 48 विकेट हैं। इस बात से आप अंदाजा लगा सकते हैं ये गेंदबाज अगर टीम में होता तो रबाडा पर दबाव कम होता और नतीजा पलट भी सकता था।
रिली रोसोयु ( बल्लेबाज- हैम्पशायर )
साउथ अफ्रीका के शानदार टॉप ऑर्डर बल्लेबाज रहे रिली ने हैम्पशायर के साथ करार कर लिया जिसके चलते अफ्रीका को इस बल्लेबाज के रूप में बड़ा झटका लगा। हालांकि इन्हें कभी साउथ अफ्रीका के लिए टेस्ट क्रिकेट खेलने का मौका नहीं मिला। दूसरी तरफ साउथ अफ्रीका के लिए खेले 36 वनडे मैचों में इन्होने अपनी बल्लेबाजी से सभी का दिल जीत लिया था। उसके बाद रिली ने डील पर करार किया और इंग्लैंड में हैम्पशायर के लिए क्रिकेट खेलने निकल पड़े।
कायल एबोट ( गेंदबाज- हैम्पशायर )
साउथ अफ्रीका के 2015 भारत दौरे पर कायल एक मात्र ऐसे गेंदबाज थे जिन्होंने 5 विकेट लिए थे। इनकी कातिलाना गेंदबाजी से सभी वाकिफ थे। मगर बाद में इन्होने भी राष्ट्रीय टीम का साथ छोड़ कोलपैक डील पर हस्ताक्षर कर दिया और हैम्पशायर की तरफ अपना करियर मोड़ दिया। जहां पर पिछले सीजन इस गेंदबाज ने 21 पारियों में 71 विकेट चटकाए थे। जो की इस गेंदबाज की काबिलियत बताने के लिए काफी है। इस तरह अगर ये गेंदबाज भी साउथ अफ्रीकी दल में होता तो उनके कप्तान फाफ का सरदर्द कुछ हद तक कम हो सकता था।
डेन विलास ( विकेटकीपर बल्लेबाज- लैंकशायर )
साउथ अफ्रीका के लिए उनके दिग्गज विकेट कीपर बल्लेबाज मार्क बाउचर के बाद विकेट कीपिंग करने वाले विलास 6 टेस्ट मैचों में तो कोई ख़ास नहीं छोड़ पाए। मगर जैसे ही उन्होंने लैंकशायर के लिए करार किया। तबसे विलास उनकी बल्लेबाजी की मुख्य कड़ी बन गए हैं। विलास हर साल इस काउंटी में टीम के लिए दोहरा शतक मारते आ रहे हैं। उनकी इस कातिलाना बल्लेबाजी को साउथ अफ्रीका जररू मिस कर रहा होगी।