साउथ अफ्रीका, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और उसके बाद न्यूजीलैंड इन सभी जगहों पर टीम इंडिया के सामने एक नई समस्या ने जन्म ले लिया है। जिसका आरम्भ पिछले साल 2018 में साउथ अफ्रीका दौरे पर हो चुका था। इसके बावजूद कप्तान विराट कोहली सहित टीम मैनेजमेंट ने शायद ध्यान नहीं दिया और नतीजतन टीम इंडिया को न्यूजीलैंड के सामने 10 विकेट से बड़ी हार झेलनी पड़ी। वेलिंग्टन में खेले गए टेस्ट मैच में एक बार फिर भारतीय बल्लेबाजी कमाल नहीं दिखा पाई और टीम को हार का सामना करना पड़ा। लेकिन एक और कारण है जिसके चलते पिछले दो साल से लगातार विदेशी सरजमीं पर टीम इंडिया को शर्मसार होना पड़ा है।
जी हाँ, न्यूज़ीलैंड की सरजमीं पर दो टेस्ट मैचों की सीरीज के पहले मैच में टीम इंडिया ने पहली पारी में सिर्फ 165 रन बना पाई। ऐसे में बल्लेबाजों के फेल होने के बाद गेंदबाजों ने शानदार गेंदबाजी का नजारा पेश किया और एक समय 225 रन पर कीवी टीम के 7 विकेट गिर गए थे, मगर यहाँ से उसके निचले क्रम के बल्लेबाज कॉलिन डी ग्रैंड होम (43), डेब्यू करने वाले तेज गेंदबाज काइल जेमिसन (44) और अंत में ट्रेंट बोल्ट (38) ने 132 रन जोड़कर टीम इंडिया को मैच में बैकफुट पर धकेला और न्यूजीलैंड को 348 रनों के सम्मान जनक स्कोर तक पहुँचाया। इस तरह जो बढ़त 100 रन की भी नजर नहीं आ रही थी उसे न्यूजीलैंड के पुछल्ले बल्लेबाजों ने 183 तक पहुंचा दिया। यही से टीम इंडिया की हार लगभग नजर आने लगी थी।
कप्तान कोहली ने भी इस बात को स्वीकारते हुए कहा , "गेंदबाजों ने अच्छी गेंदबाजी की और विकेट भी अच्छा था। मगर पिछले 3 विकेट 120 रन पर आए जिससे हम मैच में पिछड़ गए।"
साउथ अफ्रीका
गौरतलब है कि ऐसा पहली बार नहीं है जब टीम इंडिया के गेंदबाज निचले क्रम के बल्लेबाजों के जल्दी समेटने में नाकाम रहे हों। इससे पहले भी साल 2018 में साउथ अफ्रीका दौरे पर खेले गए पहले टेस्ट मैच में भी निचले बल्लेबाजों ने 83 रन जोड़ डाले थे जिसके चलते टीम इंडिया को कहीं ना कहीं इन्ही रनों के अंतर यानि 72 रन से पहले टेस्ट मैच में हार झेलनी पड़ी।
इंग्लैंड
इसके बाद यही समस्या इंग्लैंड के भी 2018 दौरे में टीम इंडिया को भुगतनी पड़ी। जिसमें दौरे के पहले टेस्ट मैच में भारतीय गेंदबाजों ने इंग्लैंड के 7 बल्लेबाजों को 87 रन के योग पर पवेलियन भेज दिया था मगर उसके बाद निचले क्रम में बल्लेबाजी करने आए सैम कुर्रन ने 63 रनों की शानदार पारी खेली और टीम के स्कोर को 180 तक पहुंचा दिया। जिसके चलते भारत को इस मैच में 31 रनों की छोटे अंतर से मैच गंवाना पड़ा। इतना ही नहीं सीरीज के चौथे टेस्ट मैच में भी टीम इंडिया ने 86 रन पर इंग्लैंड के 6 बल्लेबाजों को आउट कर दिया था मगर एक बार फिर सैम कुर्रन ने 78 रनों की पारी खेलकर मैच की बाजी पलट दी और भारत ये सीरीज 1-4 से हार गया था।
ऑस्ट्रेलिया
ऑस्ट्रेलिया में खेली गई चार टेस्ट मैचों की सीरीज में टीम इंडिया ने ऐतिहासिक जीत तो दर्ज की थी मगर यहाँ भी इस समस्या का समाधान नहीं दिखाई दिया था। सीरीज के अंतिम और चौथे टेस्ट मैच में ऑस्ट्रेलिया के तेज गेंदबाज पैट कमिंस ने भारतीय गेंदबाजों के सामने 63 रनों झुझारू पारी खेली मगर टीम को जीत नहीं दिला पाए थे। हलांकि उन्होंने अपनी पारी से ऑस्ट्रेलिया को बड़ी हार से जरूर बचा लिया था।
वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप
इस तरह टीम इंडिया को वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप के अंतर्गत न्यूजीलैंड के बाद साल के अंत में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट सीरीज खेलनी है। जिससे पहले कप्तान विराट कोहली को टीम मैनेजमेंट से विचार कर इस समस्या का समाधान निकाल लेना चाहिए। क्योंकि वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप का फ़ाइनल मैच भी इंग्लैंड ले लॉर्ड्स मैदान में खेला जाना है। ऐसे में टीम इंडिया को फ़ाइनल तक जाने के लिए 100 अंको की जरूरत है। इस तरह दुनिया की नंबर एक टीम इंडिया को अगर घर से बाहर अपनी बादशाहत व आईसीसी वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप का ख़िताब हासिल करना है तो गेंदबाजों को अगले मैच में पुछल्ले बल्लेबाजों को कैसे सस्ते में आउट किया जाए इसकी रणनीति बनाकर मैदान में उतरना चाहिए। न्यूजीलैंड के खिलाफ सीरीज का दूसरा व अंतिम मैच 29 फरवरी को क्राइस्टचर्च में खेला जाएगा।