भारतीय तेज गेंदबाज़ों उमेश यादव और ईशांत शर्मा की तेज तर्रार गेंदें सिर्फ दिखने दिखाने के लिए अफगानिस्तान के खिलाफ है। असली वार तो इंग्लैंड के खिलाफ करने के लिए ये गेंदबाज़ तैयार है। अफगानिस्तान के खिलाफ ईशांत का प्रदर्शन देखकर इंग्लैंड टीम के होश उड़ गए होंगे क्योंकि जब हिंदुस्तान के धीमे विकेटों पर ऐसा हो रहा है तो पहले से ही अपनी तेजी के लिए कुख्यात इंग्लैंड के खिलाफ क्या होगा सोचना और समझना ज्यादा मुश्किल नहीं। हिंदुस्तान के सबसे अनुभवी तेज गेंदबाज़ ईशांत तो काउंटी में खेलकर पहले से ही कहीं ज्यादा खतरनाक हो गए है। क्वालिटी क्रिकेट के लिए मशहूर काउंटी क्रिकेट में ईशांत की गेंदों को खेलना इंग्लिश बल्लेबाज़ों के लिए जी का जंजाल बन गई थी। वैसे भी ईशांत ने अपनी गेंदों में बदलाव किया है, जिसका असर भी दिख रहा है।
ईशांत शर्मा की 2014 से पहले औसत लेंथ 7.47 मीटर होती थी, जबकि इसके बाद 7.39 मीटर हो गई। इसी तरह औसत सीम मुवमेंट 0.52 डिग्री से बड़कर 0.62 डिग्री हो गई। औसत स्पीड के मामले में भी 134.5 किलोमीटर प्रति घंटे से बढ़ाकर 135 किलोमीटर प्रति घंटे कर दिया। इसका नतीजा ये हुआ कि गेंदबाज़ी औसत 38.9 से घटकर 30.9 का हो गया, जो कि पहले से कहीं बेहतर है।
ईशांत को अफगानिस्तान के खिलाफ उमेश का साथ मिला लेकिन जब वो इंग्लैंड जाएंगे, तब उनके साथ स्विंग सुल्तान भुवनेश्वर कुमार होंगे। जिनकी गेंदबाज़ी के लिए तो ये कहा जाता है कि वो इंग्लिश कंडीशंस के लिए ही बनी है। साथ में जसप्रीत बुमराह भी होंगे जिन्होंने दक्षिण अफ्रीका में ड्रीम डेब्यू करके दुनिया को अपनी ताकत का एहसास करवाया। इतिहास को अगर आप पलटेंगे, इंग्लैंड में हिंदुस्तान की बड़ी टेस्ट जीत को देखेंगे तो आपको विश्वास हो जाएगा जीत की असली कुंजी तो ये ही तेज गेंदबाज़ हैं।
साल 2014 में लॉर्ड्स में मिली जीत के हीरो पहली पारी में भुवनेश्वर और तो दूसरी पारी में ईशांत थे। इससे पहले साल 2007 में जहीर खान के 9 विकेट ने नॉटिंघमशर में जीत दिलाई थी। साल 1986 में लॉर्ड्स की जीत में चेतन शर्मा और कपिल देव की जोड़ी की गेंदबाज़ी ही असली वजह थी। अगर आप आज के इन गेंदबाज़ों को देखेंगे तो ये जरूर कहे इन सबमें कुछ खास है और ये ही बात इंग्लैंड में तिरंगा लहराने के लिए काफी है।