आपने गैंग्स ऑफ वासेपुर-2 तो देखी ही होगी...आपने ये डायलॉग भी सुना होगा...बाप का, भाई का सबका बदला लेगा तेरा फैजल। ये डॉयलॉग बोलते हैं फैजल बने नवाजुद्दीन सिद्दीकी। बॉलीवुड की इस फिल्म की कहानी भारत और इंग्लैंड के बीच खेले गए पहले टेस्ट मैच में भी देखने को मिली। इस मैच में सैम कुर्रन ने अपने पिता का बदला लिया। कुर्रन ने 35 साल बाद अपने पिता को हार के रूप में मिले जख्म का बदला भारत से लिया। अब आप सोच रहे होंगे कि हम आखिर किस बदले की बात कर रहे हैं? तो आइए आपको पूरा मामला समझाने के लिए 35 साल पीछे यानी 18 जून, 1983 की तरफ लिए चलते हैं। ये वो तारीख थी जब भारत और जिम्बाब्वे के बीच मैच खेला जा रहा था। मैच में केविन कुर्रन खेल रहे थे और उन्होंने गेंद के सा-साथ बल्ले से भी बेहतरीन प्रदर्शन किया था।
कुर्रन ने पहले गेंदबाजी में 12 ओवरों में 65 रन देकर 3 विकेट लिए थे और इसके बाद उन्होंने बल्लेबाजी में सातवें स्थान पर उतरते हुए 93 गेंदों में 73 रनों की पारी खेली थी। लेकिन कुर्रन के ऑलराउंड खेल पर कपिल देव की 138 गेंदों में 175 रनों की पारी भारी पड़ गई थी और जिम्बाब्वे को वो मैच 31 रन से हारना पड़ा था। उस मैच के ठीक 35 साल बाद केविन कुर्रन के बेटे सैम कुर्रन भारत के खिलाफ मैच खेल रहे थे। समय बदल चुका था और टीम भी बदल चुकी थी। कुर्रन अब जिम्बाब्वे नहीं बल्कि इंग्लैंड की तरफ से खेल रहे थे।
पहले टेस्ट मैच में सैम कुर्रन ने भी गजब का खेल दिखाया। कुर्रन ने पहली पारी में 24 और दूसरी पारी में बेहद मुश्किल हालातों में 65 गेंदों में 63 रनों की पारी खेली। इसके अलावा उन्होंने पहली पारी में 4 और दूसरी पारी में 1 विकेट भी हासिल किया। कुर्रन ने अपनी टीम की जीत में अहम भूमिका निभाई। हालांकि एक समय जब विराट कोहली खेल रहे थे तो लग रहा था कि कुर्रन का प्रदर्शन भी उनके पिता की ही तरह टीम के काम नहीं आएगा और इंग्लैंड को हार मिलेगी। लेकिन इस बार सैम के प्रदर्शन का फायदा उनकी टीम को मिला और उन्होंने 35 साल बाद अपने पिता का बदला ले लिया।