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India vs Australia: ..जब बाउंसर पर अपना लेग स्टम्प खो बैठे थे ग्रैग चैपल

भारत ने ऑस्ट्रेलिया में जब 1981 में पहली टेस्ट सीरीज ड्रॉ कराई थी तब किस्मत ने भी उसका साथ दिया था। 142 रनों का बचाव करने में विकेट ने अहम रोल निभाया था और मेलबर्न टेस्ट जीता था।  

Reported by: IANS
Published on: November 23, 2020 18:54 IST
India vs Australia: When Greg Chappell lost his leg-stump off a 'bouncer'- India TV Hindi
Image Source : GETTY IMAGES India vs Australia: When Greg Chappell lost his leg-stump off a 'bouncer'

नई दिल्ली। भारत ने ऑस्ट्रेलिया में जब 1981 में पहली टेस्ट सीरीज ड्रॉ कराई थी तब किस्मत ने भी उसका साथ दिया था। 142 रनों का बचाव करने में विकेट ने अहम रोल निभाया था और मेलबर्न टेस्ट जीता था।

भारत के पूर्व तेज गेंदबाज करसन घावरी ने उस पिच को याद किया और आईएएनएस से बात करते हुए कहा, "कई बार आप काफी मेहनत करते हो लेकिन जीतते नहीं हो। कई बार विकेट आपकी मदद करती है, और परिणाम आपके पक्ष में आता है।"

कपिल देव हीरो थे लेकिन घावरी ने चैपल का अहम विकेट लिया था।

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उन्होंने कहा, "हम चायकाल के बाद ऑल आउट हो गए थे और उन्हें 143 रनों का लक्ष्य दिया था। जैसे ही हम मैदान पर उतरे, कप्तान सुनील गावस्कर ने गेंदबाजों को सटीक लाइन लैंग्थ के साथ गेंदबाजी करने को कहा। उन्होंने कहा कि इस विकेट पर सटीकता ही अहम है। विकेट काफी बुरी थी, जिसमें काफी सारी दरारें थीं और आपको नहीं पता कि कब कौनसी गेंद कहां जाए।"

घावरी ने जॉन डायसन का विकेट लिया, लेकिन अब चैपल थे।

घावरी ने कहा, "चैपल के आने से पहले गावस्कर ने मुझे पहली गेंद बाउंसर डालने को कहा इसलिए मैंने ऐसा किया। लेकिन गेंद किसी तरह उन दरारों पर जा पड़ी और उठी नहीं। वह शॉर्ट पिच गेंद की तैयारी कर रहे थे, वो गेंद उठी ही नहीं और नीची रह गई। उनका लेग स्टम्प दिख रहा था और गेंद लेग स्टम्प पर जा लगी और वह आउट हो गए।"

आस्ट्रेलिया ने चौथे दिन का अंत 24 रनों पर चार विकेट के तौर पर किया।

इसके बाद चौथे दिन चोट के कारण मैदान पर नहीं उतरने वाले कपिल देव ने पांचवें दिन आस्ट्रेलिया को परेशान कर दिया। कपिल ने 28 रन देकर चार विकेट लिए। अंतिम दिन घावरी ने एक भी गेंद नहीं डाली। दिलीप दोषी ने आस्ट्रेलिया को 83 पर ऑल आउट कर दिया।

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घावरी ने कहा कि चैपल वह खिलाड़ी नहीं थे जो पीछे हट जाएं।

उन्होंने कहा, "वह काफी आक्रामक खिलाड़ी थे। वह अपने शॉट्स खेलने से डरते नहीं थे। वह तेजी से रन बनाते थे, अपने शॉट्स खेलते थे। पीछे हटना उनकी किताब में नहीं था। हर गेंद पर एक रन, हर खराब गेंद पर बाउंड्री। शुरुआत में वह अटैक पर हावी होने की कोशिश करते थे और पिच पर राजा थे।"

उन्होंने कहा, "लेकिन शॉर्ट गेंदों पर वह घबरा जाते थे। एक बार वह जम गए वह बहुत अच्छे से हुक मारते थे। वह आपको चौके और छक्के मारते थे। वह कई बार इस पर आउट भी हो जाते थे।"

इसलिए भारतीयों ने उन पर आक्रमण करने का फैसला किया।

उन्होंने कहा, "विश्व में चाहे कोई भी बल्लेबाज हो, गावस्कर, ज्यॉफ्री बॉयकॉट, विव रिचर्डस और ब्रायन लारा, शुरुआत में वह थोड़ा घबराता है। कोई भी जीरो पर आउट होना नहीं चाहता। यही वो समय होता है जब उन पर अटैक किया जाए।"..

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