7 जनवरी, ये वो तारीख है जो भारतीय क्रिकेट के इतिहास में पिछले साल दर्ज हो गई थी। इसी दिन भारत ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ चार टेस्ट मैच की सीरीज का आखिरी मैच ड्रॉ करवाया था और सीरीज 2-1 से अपने नाम की थी। इसी के साथ ऑस्ट्रेलिया को ऑस्ट्रेलिया में हराने वाली भारत पहली एशियाई टीम बनी थी।
भारत ने 71 साल की मेहनत के बाद ये कारनामा करके दिखाया था। भारतीय कप्तान विराट कोहली की अगुवाई में टीम इंडिया ने एडीलेड में पहला टेस्ट मैच खेलकर इस सीरीज की शुरुआत की थी। डेविड वॉर्नर और स्टीव स्मिथ बॉल टेंपरिंग मामले में एक साल का बैन झेल रहे थे जिसके बाद हर कोई कह रहा था भारत यह सीरीज जीतकर इतिहास रच सकता है।
एडीलेड टेस्ट
पहले टेस्ट मैच में ही इसकी झलक दिखने लगी। भारत ने पहले टेस्ट मैच में मेजबान ऑस्ट्रेलिया को 31 रनों से मात देकर इस जीत की कहानी लिखना शुरू की। भारत की इस जीत में भारत की दूसरी दीवार कहे जाने वाले चेतेश्वर पुजारा का अहम रोल था। पहली पारी में पूरी भारतीय टीम जहां 250 रनों पर ढेर हो गई थी वहीं पुजारा ने सूझ-बूझ से बल्लेबाजी करते हुए 123 रनों की लाजवाब पारी खेली। ऑस्ट्रेलिया पहली पारी में 235 रनों पर ढेर हो गया था जिसकी वजह से भारत को 15 रनों की बढ़त मिली। दूसरी पारी में भी पुजारा चमके और 204 गेंदों पर उन्होंने 71 रन की पारी खेली।
भारत ने दूसरी पारी में 307 रन बनाए और ऑस्ट्रेलिया को 323 रनों का लक्ष्य दिया। इस बड़े लक्ष्य के जवाब में मेजबान टीम 291 रन पर ही ढेर हो गई। भारत की तरफ से बुमराह, अश्विन और शमी ने तीन-तीन विकेट लिए। इस तरह भारत ने एडीलेड में पहला टेस्ट मैच जीता।
पर्थ टेस्ट
जख्मी शेरों की तरह ऑस्ट्रेलियाई टीम दूसरे टेस्ट मैच में भारत के सामने उतरी। पहली पारी में ऑस्ट्रेलिया ने 326 रन बनाए जिसके जवाब में भारतीय टीम 283 रन पर ही ढेर हो गई। विराट कोहली ही एकमात्र शतकीय खिलाड़ी थे। कोहली ने उस मैच में 123 रन की पारी खेली थी। 43 रनों की बढ़त के साथ ऑस्ट्रेलिया ने दोबारा खेलना शुरु किया और दूसरी इनिंग में ख्वाजा के 72 बहुमूल्य रनों के दम पर 243 रन बनाए।
इस तरह मेजबानों ने भारत के सामने 287 रनों का लक्ष्य रखा। इस लक्ष्य का पीछा करने उतरी टीम इंडिया ताश के पत्तों की तरह बिखर गई। भारत ने 160 रनों पर ही ढेर हो गया और यह मैच उन्होंने 146 रनों से गंवा दिया। इस मैच में नाथन लायन ने 8 विकेट लिए।
मेलबर्न टेस्ट (बॉक्सिंग डे टेस्ट)
चार टेस्ट मैच की सीरीज अब 1-1 से बराबर हो गई थी, दोनों ही टीमें तीसरा टेस्ट हर हालत में जीतना चाहती थी ताकि आखिरी टेस्ट में उनके ऊपर दबाव कम हो। भारत ने इस मैच में पहले बल्लेबाजी करते हुए 7 विकेट के नुकसान पर 443 रन बनाकर अपनी पारी घोषित कर दी। इस सीरीज में यह पहली बार था जब किसी टीम ने पारी घोषित की हो। भारत के लिए चेतेश्वर पुजारा एक बार फिर चमके और उन्होंने 319 गेंदों पर 106 रन बनाए। विराट कोहली ने भी उनका भरपूर साथ दिया और 204 गेंदों पर 82 रन की सधी हुई पारी खेली।
भारत की घातक गेंदबाजी के आगे ऑस्ट्रेलियाई टीम 151 रनों पर ही ढेर हो गई। भारत के लिए जसप्रीत बुमराह ने सबसे अधिक 6 विकेट चटकाए। भारत 292 रनों की बढ़त बना चुका था और भारत जानता था कि वो ये मैच जीत सकता है। इस वजह से भारत ने दूसरी पारी में तेजी से बल्लेबाजी की और 8 विकेट के नुकसान पर 106 रन बनाकर अपनी पारी एक बार फिर घोषित कर दी। भारत ने मेजबानों के सामने इस तरह 399 रन का लक्ष्य रखा।
पहाड़ जैसे इस लक्ष्य ने ऑस्ट्रेलिया टीम पर प्रेशर बनाया और वह महज 261 रन बनाकर ही ढेर हो गए। भारत ने यह मुकाबला 137 रन से जीतकर सीरीज में 2-1 की बढ़त बनाई। यहां से यह साफ हो गया था कि भारत अब यह सीरीज हार नहीं सकता।
सिडनी टेस्ट
सीरीज का आखिरी मैच ऑस्ट्रेलिया के लिए काफी अहम था, लेकिन किसमत भारत के साथ थी। भारत ने इस मैच में टॉस जीता और पहले बल्लेबाजी करते हुए 622 रनों का विशाल स्कोर खड़ा किया। भारत के लिए पुजारा ने एक बार फिर 193 रनों की महत्वपूर्ण पारी खेली, वहीं युवा विकेट कीपर बल्लेबाज ऋषभ पंत ने भी 159 रन बनाए।
भारत के इस स्कोर के आगे ऑस्ट्रेलिया पहली पारी में 300 रन पर ढेर हो गई। भारत ने इस मौके का फायदा उठाया और ऑस्ट्रेलिया को फॉलोऑन देकर वापस बल्लेबाजी के लिए बुलाया, लेकिन बारिश की वजह से यह मैच धुल गया और नतीजा ड्रॉ रहा। लेकिन भारत ने यह सीरीज जीती और इतिहास रच दिया।
इस सीरीज में चेतेश्वर पुजारा ने बताया की वो भारतीय टेस्ट टीम के लिए कितने जरूरी है। पुजारा ने इस सीरीज में 3 शतक और एक अर्धशतक ठोंका। इसी के साथ पुजारा दो बार मैन ऑफ द मैच भी चुने गएं। पुजारा को उनके लाजवाब प्रदर्शन के लिए मैन ऑफ द सरीज के अवॉर्ड से भी नवाजा गया।