पर्थ में टीम इंडिया कंगारुओं से 146 रनों से हार गई। सीरीज एक-एक से बराबरी पर आ गई है। लेकिन दो टेस्ट मैचों में जो चीज सामने आई है उस पर विचार करना बेहद जरूरी है। दरअसल, पहले टेस्ट में टीम इंडिया को जीत मिली। जीत की हमेशा सराहना होती है, करनी भी चाहिए क्योंकि जीत ऑस्ट्रेलिया में मिली थी। उम्मीद थी कि टीम और मजबूती से अपने आपको पेश करेगी। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। पर्थ टेस्ट के पांचवें दिन पहले सेशन में टीम इंडिया ने ऑस्ट्रेलिया की कमजोर आंकी जा रही टीम के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। भारत का टॉप ऑर्डर फिर फेल हो गया। अजिंक्य रहाणे और ऋषभ पंत ने 30-30, हनुमा विहारी ने 28, मुरली विजय ने 20 और कप्तान विराट कोहली ने 17 रन बनाए। बाकी बल्लेबाज दहाई तक भी नहीं पहुंच पाए। ऑस्ट्रेलिया के लिए मिचेल स्टार्क और नाथन लायन ने तीन-तीन जबकि जोश हेजलवुड और पैट कमिंस ने दो-दो विकेट चटकाकर कप्तान पेन का शानदार तोहफा दिया।
दरअसल, टीम इंडिया की हार की पटकथा एडिलेड में खेले गए पहले ही टेस्ट में कमोबेश लिखी जा चुकी थी लेकिन टीम इंडिया ने सबक नहीं लिया। क्योंकि विराट कोहली की टीम जीत से काफी उत्साहित थी। जीत के जोश और उछाल भरी पिच पर हमने नाथन लायन को नजरअंदाज कर दिया। नाथन लायन ने पहले ही टेस्ट में भारतीय टीम के लिए खतरे की घंटी बजा दी थी। पहले टेस्ट की दोनों पारियों में नाथन लायन ने आठ विकेट झटके। दूसरी पारी में लायन की घुमती गेंदों के सामने भारतीय बल्लेबाद असहाय दिखे। लायन ने 6 बल्लेबाजों को पवेलियन का रास्ता दिखाया।
पर्थ के दूसरे टेस्ट में भी लायन का दबदबा देखने को मिला। पहली पारी में भारतीय बल्लेबाज एक-एक करके उनकी गेंदबाजी के शिकार बने। पहली पारी में पांच बल्लेबाजों को लायन ने आउट किया। दूसरे टेस्ट की दूसरी पारी में भी लायन ने तीन बल्लेबाजों को आउट किया। यानी तेज गेंदबाजों की फेवरेबल पिच पर लायन ने कुल आठ विकेट चटकाए। लायन ने दो टेस्टों में 16 विकेट अपने नाम किए हैं। मतलब साफ है कि चार टेस्ट मैचों की सीरीज में अब तक दो टेस्ट खेले गए हैं। दो टेस्ट में टीम इंडिया के 40 विकेट गिरे हैं। जिसमें नाथन लायन ने 16 विकेट लिए हैं यानी 40 फीसदी भारतीय बल्लेबाज को लायन ने आउट किया है। ऑफ ब्रेक गेंदबाज लायन की फ्लाइट और स्पिन के साथ उछाल लेती गेंदों पर टीम इंडिया के धाकड़ असहाय दिख रहे हैं। आलम ये है कि ऋषभ पंत चार बार और कप्तान कोहली और रहाणे दो-दो बार आउट हुए हैं।
टीम इंडिया को स्पिन गेंदबाजों को खेलने में महारथ हासिल है। भारतीय पिच आमतौर पर सपाट और स्पिनर्स के लिए मददगार साबित होती है। ऐसे में भारतीय बैट्समैन स्पिनर्स को काफी अच्छा खेलते हैं लेकिन पहले इंग्लैंड में अंग्रेज स्पिनरों ने भारतीय बल्लेबाजों की यही दुर्दशा की थी। अब ऑस्ट्रेलिया के इस दौरे टीम की कहानी एकदम बदली नहीं है। अकेले लायन के ऑफ ब्रेक ने टीम इंडिया के रन मशीनों की हवा निकाल दी है। अभी सीरीज में दो टेस्ट बाकी है। ऐसे नाथन लायन के चक्रव्यूह से विराट की टीम को बाहर निकलना होगा क्योंकि नाथन लायन की कामयाबी इस समय सिर चढ़कर बोल रही है। उन्होंने साल 2018 में महज नौ टेस्ट में 48 विकेट लिए हैं। लायन के शानदार प्रदर्शन की वजह से पर्थ टेस्ट में उन्हें प्लेयर ऑफ द मैच चुना गया।