भारत के लिए साल 2002 में बतौर विकेटकीपर बल्लेबाज अपने अन्तराष्ट्रीय क्रिकेट करियर की शुरुआत करने वाले पार्थिव पटेल ने अब सभी तरह के क्रिकेट फॉर्मेट से संन्यास ले लिया है। उन्होंने अपनी पहली सीरीज इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट क्रिकेट के फॉर्मेट में खेली थी। इस तरह अपने संन्यास की जानकारी उन्होंने सोशल मीडिया अकाउंट के जरिये दी है।
पार्थिव ने अपने पत्र में क्रिकेट करियर की 18 साल की यात्रा का वर्णन किया है। इसके साथ ही उन्होंने खासतौर अपने पहले कप्तान सौरव गांगुली का अभिवादन किया है। जिन्होंने सबसे पहले इस खिलाड़ी पर भरोसा दिखाया और टीम इंडिया के लिए खेलने का मौका दिया। पार्थिव ने अपने पत्र में उनका आभार व्यक्त करते हुए कहा, " मैं विशेषतौर पर दादा ( सौरव गांगुली ) का कर्जदार रहूँगा जिन्होंने मुझपर भरोसा जताया और खेलने का मौका दिया।"
इस तरह अपने 18 साल के करियर में पार्थिव टीम इंडिया के कभी नियमित सदस्य नहीं बन पाए। जिसका प्रमुख कारण साल 2004 में महेंद्र सिंह धोनी का आना माना जाता है। हलांकि एक इंटरव्यू में पार्थिव ने इस बात को नकार कर दिया था और कहा था कि जो अच्छा खेलेगा वो टीम में जगह पाने का हकदार है। इस तरह धोनी के आने के बाद पार्थिव के लिए टीम इंडिया में जगह बनाना मुश्किल होता चला गया और उन्हें अक्सर धोनी के बैकअप विकेटकीपर के तौर पर शामिल किया जाता रहा है।
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सौरव गांगुली की कप्तानी में 17 वर्ष 153 दिन की उम्र में टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण करने वाले पार्थिव ने 65 अंतरराष्ट्रीय मैच खेले जिनमें 25 टेस्ट, 38 वनडे और दो टी20 मैच शामिल है। उन्होंने 1696 रन बनाये जिसमें टेस्ट क्रिकेट में 934 रन शामिल हैं। वनडे क्रिकेट में उन्होंने चार अर्धशतक समेत 736 रन बनाये। इसके अलावा बतौर विकेटकीपर टेस्ट में 62 कैच लपके और 10 स्टम्पिंग की।
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वहीं इस साल पार्थिव पटेल आईपीएल 2020 में विराट कोहली की कप्तानी वाली रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर का हिस्सा थे। मगर कोहली ने उन्हें एक भी मैच में खेलने का मौका नहीं दिया। इस तरह पर्थिव के आईपीएल करियर की बात करें तो 139 मैच खेले हैं। जिसमें उनके नाम 2848 रन दर्ज हैं। बैंगलोर से पहले आईपीएल में वो चेन्नई सुपर किंग्स और हैदराबाद की टीम से भी खेल चुके हैं।
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बता दें कि घरेलू क्रिकेट में पार्थिव की कप्तानी में गुजरात ने 2016-17 में रणजी खिताब जीता। वह भारतीय तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह के पहले कप्तान रहे जिनके साथ 2013 में सैयद मुश्ताक अली ट्राफी खेला। पार्थिव ने कहा,‘‘ मुझे सुकून है कि मैने गरिमा, खेल भावना और आपसी सामंजस्य के साथ खेला। मैने जितने सपने देखे थे, उससे ज्यादा पूरे हुए। मुझे उम्मीद है कि मुझे याद रखा जायेगा।’’