नागपुर: तीसरा टेस्ट मैच और देश के बाहर नौ साल के बाद हारने के बाद साउथ अफ्रीका के कप्तान हाशिम आमला ने न सिर्फ इशारों इशारों में पिच को कोसा बल्कि ये भी संकेत दे दिया कि टीम इंडिया की जीत सम्मानजनक नहीं है।
शनिवार को भारत ने तीसरे टेस्ट के तीसरे दिन टी के पहले ही मेज़बान को 124 रन से हराकर मैच और चार टेस्ट की सीरीज़ जीत ली। भारत ने पहला मोहाली टेस्ट जीता था जबकि बेंगलुरु टेस्ट बारिश में धुल गया था। अब तक तीनों मैचों में भारतीय स्पिनरों ने मेज़बान बल्लेबाज़ों को चलने नहीं दिया है और टर्निंग ट्रैक पर दोनों मैचों के नतीजे तीन दिन में ही निकल आए।
मैच के बाद जब टीवी कमेंटेटर संजय मंझरेकर ने जब पिच के मामले में आमला से पूछा कि क्या इस तरह क्रिकेट खेला जाना चाहिये तो आमला ने कहा, “हारने के बाद इस सवाल का जवाब देना मुश्किल है लेकिन भले ही आप जीतें या हारें, एक साउथ अफ्रीकी टीम के रुप में आज हमने मुक़ाबला, आप सम्मान के साथ हारना चाहते हैं और सम्मान के साथ जीतना चाहते हैं।”
आमला ने कहा कि नागपुर के विकेट पर बैटिंग करना बहुत मुश्किल था।
ग़ौर करने वाली बात ये है कि आमला का कथन भले ही सतही तौर पर महज़ एक बयान ही क्यों न लगे लेकिन “सम्मान के साथ जीतना” शब्द अपने आपमें बहुत कुछ बयान करता है।
यूं भी इस दौरे पर टी20 और वनडे में हार के बाद टेस्ट के लिये तैयार(रैंक टर्नर) की जा रही पिच को लेकर मीडिया में ख़ूब छप रहा है और कहा जा रहा है कि आख़िर ऐसे विकेट से क्या टेस्ट क्रिकेट का भला होगा जो पहले से विलुप्त होने की कगार पर पहुंचता दिख रहा है।
दूसरी तरफ टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली के भी जवाब में भी दबी हई खीज सुनाई पड़ती है जब वे कहते हैं कि आप जो मर्ज़ी लिखें। इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता। लोग चाहें बात (पिच के बारे में) करें या न करें लेकिन मुद्दे की बात ये है कि हमने मैच सीरीज़ जीत ली है।
बहरहाल ज़ाहिर है पिच को लेकर शोर-शराबे से टीम इंडिया को कोई फ़र्क नहीं पड़ता लेकिन जीत का ख़ुमार उतरने के बाद आज, कल, परसों या महीने बाद उन्हें एहसास तो ज़रुर होगा कि भले ही उन्होंने विश्व की नंबर एक टेस्ट टीम साउथ अफ्रीका का विजयी रथ नौ साल बाद रोक दिया हो लेकिन क्रिकेट ऐसे नहीं खेला जाता।