नयी दिल्ली: साउथ अफ़्रीका से केप टाउन टेस्ट हारने के बाद टीम सिलेक्शन को लेकर बहस शुरु हो गई है. एक ख़ेमा जहां शिखर धवन और रोहित शर्मा को टीम में रखने के फ़ैसले को सही ठहरा रहा है वहीं दूसरा ख़ेमा अजंक्य रहाणे को टीम से बाहर रखने के औचित्य पर सवाल उठा रहा है. पहले ख़ेमें की नुमाइंदगी जहां पूर्व ओपनर वीरेंद्र सहवाग करते हैं वहीं दूसरे की पूर्व कप्तान सौरव गांगुली. अब ऐसे में टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली का दुविधा में पड़ना ज़ाहिर है. जिस तरह से टीम इंडिया ने पिछले 24 महीने में खेल के हर प्रारुप में प्रदर्शन किया है, (भले ही होम सिरीज़ हो), फ़ैंस की अपेक्षाएं बढ़ गई हैं. ऐसे में सिरीज़ में हार टीम इंडिया द्वारा इस दौरान कमाई गई साख पर बट्टा लगा जाएगी जो कम से कम कोहली तो बिल्कुल नहीं चाहेंगे.
दक्षिण अफ़्रीकी दौरे के पहले ज़रा एक नज़र डालते हैं घरेलू सिरीज़ पर. श्रीलंका के ख़िलाफ़ होम सिरीज़ में इंडिया ने टीम में छह बल्लेबाज़ रखे थे लेकिन साउथ अफ़्रीका के ख़िलाफ़ पहले टेस्ट में उसने पांच बल्लेबाज़ उतारे. तर्क था कि अश्विन और भुवनेश्वर दोनों मिलकर एक बल्लेबाज़ का काम तो कर ही देते हैं. इंडिया ने श्रीलंका के ख़िलाफ़ धवन और केएल राहुल से पारी की शुरुआत करवाई थी. तीसरा टेस्ट ख़त्म होते होते साफ हो गया था कि मुरली विजय टीम में अपनी जगह पक्की कर चुके हैं. अंतिम टेस्ट में धवन को राहुल को ऊपर तवज्जो दी गई थी उससे भी स्पष्ट हो गया था कि वह साउथ अफ़्रीका के ख़िलाफ़ पहले टेस्ट में तो खेलेंगे ही.
टेस्ट में अजंक्या रहाणे का फॉर्म टीम इंडिया के लिए चिंता की बात है. वह तीन या इससे ज़्यादा टेस्ट मैचों में बड़ा स्कोर करने में नाकाम रहे हालंकि 2017 में वनडे में उनका प्रदर्शन ज़रुर आकर्षक रहा. इस बीच ओपनर्स और रहाणे के फ़ॉर्म की चर्चा के बीच श्रीलंका के ख़िलाफ़ लगातार दो बढ़िया पारियों और वनडे में दोहरे शतक से रोहित शर्मा का क़द बढ़ गया और वह साउथ अफ़्रीका के ख़िलाफ़ पहले टेस्ट के लिए प्लेइंग XI के प्रबल दावेदार बन गए. इसके अलावा धवन और रोहित नेट्स पर भी राहुल और रहाणे से बेहतर खेलते नज़र आए जिसकी वजह से उन्हें प्लेइंग XI में जगह मिली.
जीत की धुरी टीम इंडिया की गेंदबाजी, पर बल्लेबॉजों को भी रन मशीन बनना ज़रूरी
विदेशी दौरे पर जीत का काफी कुछ दारोमदार निर्भर करता है कि भारतीय गेंदबाज़ 20 विकेट ले पाते हैं कि नहीं. यही वजह है कि पहले टेस्ट में हार्दिक पंड्या को खिलाया गया क्योंकि बैटिंग के साथ-साथ वह मध्यम तेंज़ गेंदबाज़ी भी कर लेते हैं. पहली पारी में उन्होंने 93 रन बनाकर इंडिया की लाज भी बचाई और कुल तीन विकेट भी लिए. पंड्या एकमात्र ऐसे खिलाड़ी हैं जिनकी वजह से टीम मैनेजमेंट को अलग तरह की टीम चुनने का विकल्प मिल जाता है. पहले टेस्ट में उन्हें खिलाने का फ़ैसला बोल्ड था जो काफ़ी हद तक सही साबित हुआ.
पहला मैच हारने से टीम इंडिया पर बढ़ गया है दबाव
तीन टेस्ट मैचों की सिरीज़ कई मायनों में सिरदर्द होती है. अगर आप पहला मैच हार जाते हैं तो समझो अब मुक़ाबला नॉकआउट स्टेज पर पहुंच गया क्योंकि सिरीज़ जीतने के लिए आपको बाक़ी सभी मैच जीतने होंगे जोकि बेहद मुश्किल होता है, ख़ासकर विदेश में. इसके अलावा आप चाहकर भी कई बार टीम में बदलाव नहीं कर पाते.
कप्तान विराट कोहली की कप्तानी का रियल टेस्ट
कोहली के लिए समस्या ये है कि वह छह बल्लेबाज़ नहीं खिला पा रहे हैं. यही नहीं, उनके लिए ये भी दुविधा है कि पांच कौन से बल्लेबाज़ खिलाएं. कोहली दूसरे टेस्ट में राहुल और रहाणे को खिलाने की सोच सकते हैं लेकिन धवन और रोहित को सिर्फ़ एक टेस्ट में फ़लॉप होने की वजह से बाहर करना उनके सात अन्याय होगा. अगर टीम प्रबंधन खिलाड़ियों के मौजूदा फ़ॉर्म को देखकर टीम चुनता है तो धवन और रोहित की जगह तो टीम में बनती ही है.
दूसरा टेस्ट मैच टीम इंडिया को चाहिए जीत दिलाने वाली रणनीति
कोहली के पास एक और विकल्प है. वह साहा की जगह पार्थिव पटेल को खिला सकते हैं और पारी की शुरुआत भी उन्हीं से करवा सकते हैं. ऐसे में मिडिल ऑर्डर में रहाणे को जगह मिल जाएगी. लेकिन समस्या ये है कि पहले टेस्ट में साहा ने ग़ज़ब की कीपिंग की थी और बैटिंग में रन न बनाने के कारण उन्हें टीम से बाहर करना मुनासिब नहीं होगा. उनका पहला काम विकेट के पीछे है क्योंकि रन बनाने की ज़िम्मेदारी तो मूलत: पांच बल्लेबाज़ों की है.
बहरहाल, अगर इंडिया दूसरा टेस्ट हार जाती है तो फिर तीसरे और अंतिम टेस्ट में सुधार का कोई मतलब ही नहीं रह जाएगा. विराट कोहली और टीम प्रबंधन ने पहले टेस्ट में टीम सिलेक्शन के मामले में दिलेरीभरा फ़ैसला किया था लेकिन अब देखना ये है कि ये दिलेरी क्या दूसरे टेस्ट में भी दिखेगी?