राजकोट में रविवार को किवी ने वो किया जो टीम इंडिया ने उनके साथ दिल्ली में पहले टी-20 मैच में किया था। किवी ओपनर मार्टिन गप्टिल और कॉलिन मनरो ने 58 गेंदों पर 109 रन की साझेदारी कर ऐसी बुनियाद डाली जिस पर सिर्फ़ जीत की इमारत ही खड़ी हो सकती थी। 197 मंज़िला लक्ष्य को हासिल करने के लिए टीम इंडिया को स्पाइडरमैन की ज़रुरत थी लेकिन बदक़िस्मती से टीम में सिर्फ़ एक ही स्पाइडरमैन था जबकि ज़रुरत थी दोनों छोर से दो की। भारतीय पारी की शरुआत में किसी को भी ये नहीं लग रहा था कि इंडिया मैच के बाहर है क्योंक उसके पास रोहित शर्मा और शिखर धवन जैसे ओपनर्स थे जो पहले पांच ओवर में ही इस लक्ष्य को बौना बना सकते थे लेकिन दूसरे ही ओवरयन की में ट्रेंट बोल्ट ने दोनों को पैवेलियन की राह दिखाकर इंडिया के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी। तब स्कोर महज़ 11 था। (India vs New Zealand , T-20: न्यूज़ीलैंड ने भारत को 40 रन से हराकर सीरीज़ में की वापसी)
अपना पहला अंतरराष्ट्रीय मैच खेल रहे श्रेयस अय्यर ने आते ही कुछ शानदार शॉट लगाए और लगा कि वह कप्तान के साथ बेड़ा पार लगा देंगे लेकिन पार्ट टाइम बॉलर मनरो ने उन्हें चलता कर कोहली के साथ ख़तरनाक लग रही 54 रन की साझेदारी का अंत कर दिया। 8.4 ओवर में 65 पर तीन विकेट गिरने के बाद राह मुश्किल ज़रुर हो गई थी लेकिन राजकोट के पाटा विकेट पर हार्दिक पटेल के बल्ले से 4-5 छक्के मैच का रुख़ पलट सकते थे क्योंकि दूसरे छोर पर कोहली लगभग 200 के स्ट्राइक रेट से रन बना रहे थे। लेकिन सोढी ने दिल्ली की कहानी दोहराते हुए गुगली से पंड्या को बोल्ड कर दिया और एक तरह से मैच को यही सील कर दिया।
धोनी अब वो नहीं रहे जो कभी हुआ करते थे। उनकी बैटिंग में उम्र का असर दिखने लगा है। एक तरफ़ जहां कोहली ज़रुरत के मुताबिक रनों की बारिश कर रहे थे वहीं धोनी को स्ट्राइक रोटेट करने में मुश्किल हो रही थी और इस वजह से प्रति ओवर रन औसत बढ़ने लगा। ज़ाहिर है ऐसे में सारा दबाव कोहली पर आ गया और नतीजतन रन बनाने की कोशिश में उनका विकेट भी निकल गया। धोनी ने रफ़्तार पकड़ी ज़रुर मगर तब तक बहुत देर हो चुकी थी। उन्होंने 37 गेंदों पर 49 रन बनाए लेकिन पहली 19-20 गेंदों पर वह बमश्किल 11-12 रन ही बना सके थे। अगर उन्होंने शुरु में तेज़ी दिखाई होती तो शायद इंडिया सिरीज़ पर 2-0 से कब्ज़ा कर चुकी होती।