इंग्लैंड के खिलाफ तीसरे टेस्ट मैच के पहले दिन तब एक अजीब स्थिति बन गई थी, जब अंपायर ने भारतीय बल्लेबाज ऋषभ पंत से स्टांस बदलने को कह दिया। पंत इस मुकाबले में ज्यादा कुछ कमाल नहीं कर सके और सिर्फ 2 रन बनाकर आउट हो गए।
हालांकि पहले दिन की समाप्ति के बाद पंत ने वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसका खुलासा कर बताया की आखिरी अंपायर ने उन्हें अपना स्टांस बदलने को क्यों कहा था।
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उन्होंने कहा, ‘‘मैं क्रीज के बाहर खड़ा था और मेरा अगला पांव डेंजर एरिया में आ रहा था इसलिए उन्होंने (अंपायर) मुझसे कहा कि मैं यहां पर खड़ा नहीं हो सकता हूं। ’’
आपको बता दें कि पंत स्विंग से निबटने के लिये क्रीज के बाहर खड़े थे और इस दौरान वह पिच के ‘डेंजर एरिया’ (स्टंप के सीध में पिच का क्षेत्र) में पांवों के निशान बन रहे थे। इसके कारण उन्हें अपंयार ने टोका।
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बायें हाथ के इस बल्लेबाज ने कहा, ‘‘इसलिए मुझे अपना स्टांस बदलना पड़ा लेकिन एक क्रिकेटर होने के नाते मैं इस बारे में अधिक नहीं सोचता क्योंकि जो भी ऐसा करता, अंपायर उससे भी वही बात करते। मैंने अगली गेंद पर वैसा नहीं किया।’’
पंत ने कप्तान विराट कोहली के टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने के फैसले को भी सही करार दिया लेकिन स्वीकार किया कि सुबह विकेट नरम था। उन्होंने कहा, ‘‘यह खेल का हिस्सा है। प्रत्येक दिन बल्लेबाजी इकाई अपना शत प्रतिशत देती है लेकिन हर समय सब कुछ अच्छा नहीं होता है। ’’
उन्होंने कहा कि पिच में नमी होने के बावजूद पहले बल्लेबाजी का फैसला टीम ने मिलकर लिया था। पंत से पूछा गया कि क्या पहले बल्लेबाजी का फैसला गलत था, उन्होंने कहा, ‘‘मैं ऐसा नहीं मानता। हम जो भी निर्णय लेते हैं एक टीम के रूप में लेते हैं। इसलिए एक बार जब हमने पहले बल्लेबाजी का फैसला कर दिया तो हम उस फैसले का समर्थन करके आगे बढ़ेंगे। हां हम बेहतर बल्लेबाजी कर सकते थे लेकिन हम टॉस के बारे में बहुत अधिक नहीं सोच सकते। ’’
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शीर्ष क्रम की लगातार नाकामी के कारण पंत को जल्द ही क्रीज पर उतरना पड़ रहा है लेकिन वह इसे मौके के तौर पर देखते हैं।
पंत से पूछा गया कि क्या वह इंग्लैंड में छठे नंबर पर बल्लेबाजी करते हुए सहज महसूस कर रहे हैं, उन्होंने कहा, ‘‘क्रिकेटर के रूप में आपके पास दो विकल्प होते हैं, पहला आप टीम के बारे में सोचो और दूसरा आप व्यक्तिगत प्रदर्शन पर गौर करो, यहां इस तरह की संस्कृति तैयार की गयी है प्रत्येक टीम के बारे में सोचता है, व्यक्तिगत प्रदर्शन मायने नहीं रखता है। ’’