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Ind vs Aus : सचिन तेंदुलकर ने बताया, किस कमी के कारण लगातार बोल्ड हो रहे हैं पृथ्वी शॉ

सचिन का मानना है कि इस तरह के प्रदर्शन से बाहर निकलना आसान नहीं है क्योंकि इस तरह के प्रदर्शन खिलाड़ी के साथ हमेशा से रहते हैं।

Reported by: IANS
Published : December 24, 2020 13:43 IST
Sachin Tendulkar and Prithvi Shaw
Image Source : GETTY Sachin Tendulkar and Prithvi Shaw

नई दिल्ली| महानतम बल्लेबाजों में शुमार भारत के सचिन तेंदुलकर ने कहा है कि युवा बल्लेबाज पृथ्वी शॉ का पैर और बल्ला गेंद पर देर से पहुंच रहे हैं जिसके कारण उनके पैर और बल्ले के बीच गैप रह जाता है और यह तब होता है जब बल्लेबाज के मन में काफी चीजें चल रही हों या फिर वो छोटी (शॉर्ट) गेंदों की उम्मीद लगा रहा हो। सचिन ने यह बात आईएएनएस को दिए इंटरव्यू में कही।

शॉ ने एडिलेड ओवल मैदान पर खेले गए पहले टेस्ट मैच में काफी निराश किया था। वह पहली पारी में खाता भी नहीं खोल पाए थे और दूसरी पारी में सिर्फ आठ रन बनाकर ही आउट हो गए थे। पहले टेस्ट में भारत को आठ विकेट से हार मिली थी। इस मैच की दूसरी पारी में भारत सिर्फ 36 रनों पर ही ऑल आउट हो गई थी जो टेस्ट की एक पारी में उसका न्यूनतम स्कोर है।

सचिन का मानना है कि इस तरह के प्रदर्शन से बाहर निकलना आसान नहीं है क्योंकि इस तरह के प्रदर्शन खिलाड़ी के साथ हमेशा से रहते हैं। उनका कहना है कि अगर खिलाड़ी दृढ़ता, अनुशासन और प्लानिंग को अपनाएं तो इससे टीम को अच्छा करने में मदद मिलेगी।

सचिन ने पृथ्वी को लेकर कहा, "पृथ्वी काफी प्रतिभाशाली खिलाड़ी हैं, लेकिन इस समय मुझे लगता है कि उनके हाथ शरीर के साथ नहीं आ रहे हैं। तो जब गेंद सीम से अंदर आती है तो, जिस तरह से वह आउट हुए हैं, ऐसी संभावनाएं हैं कि गेंदबाज उसी तरह की गेंदबाजी उन्हें करें। उनके हाथ उनके शरीर के पास रहने चाहिए। उनकी बैकलिफ्ट चौथी स्लिप, गली से आ रही है। यह आगे-पीछे जाने की जगह फुल आर्क बना रही है। अगर बल्ला थोड़ा सा देरी से आता है तो गेंद को बल्ले और पैड के बीच निकलने का गैप मिल जाएगा। मैंने देखा है कि वह मूव करते हुए पकड़ में आ रहे हैं और गेंद पर थोड़ा देरी से पहुंच रहे हैं। मैं यह कहूंगा कि वह गेंद को थोड़ा सा जल्दी खेलने की तैयारी करें तो इससे उन्हें मदद मिलेगी। दोनों पारियों में उनका फ्रंटफुट समय पर नहीं पड़ा। यह तब होता है जब बल्लेबाज के दिमाग में काफी सारी चीजें चल रही हों या फिर वह छोटी गेंद की उम्मीद कर रहा हो।"

शनिवार से शुरू हो रहे दूसरे टेस्ट मैच में अजिंक्य रहाणे टीम की कप्तानी करेंगे क्योंकि टीम के नियमित कप्तान विराट कोहली अपने पहले बच्चे के जन्म के लिए भारत लौट आए हैं। सचिन ने रहाणे की कप्तानी को लेकर कहा कि वह कसौटी पर खरा उतरेंगे और उनका शांत स्वाभाव कमजोरी के तौर पर नहीं देखा जा सकता। वहीं सचिन ने शॉ के बाद इंटरव्यू में अन्य सवालों के जवाब भी दिए. डालिए उनपर एक नजर:- 

सवाल : पहले टेस्ट मैच की हार से उबरने के लिए आप टीम के खिलाड़ियों को क्या सलाह देंगे?

जवाब : इस तरह के प्रदर्शन से काफी निराशा होती है, इसमें कोई शक नहीं है। इस तरह की हार से बाहर निकलना और अगले मैच में जाना आसान नहीं है। लोग कह सकते हैं कि सिर्फ एक ही तो खराब प्रदर्शन है लेकिन इस तरह के प्रदर्शन खिलाड़ी के साथ हमेशा के लिए रहते हैं। मैं सिर्फ इतना कह सकता हूं कि इससे बाहर निकलने के लिए अपनी सोच में बदलाव करें ताकि अगले मैच में कुछ शानदार प्रदर्शन करें। सिर्फ अच्छा प्रदर्शन ही आपको इससे बाहर निकलने में मदद कर सकता है।

सवाल : पहले टेस्ट मैच की हार के बाद भारत की रणनीति क्या होनी चाहिए, इस बात को ध्यान में रखकर कि हम 0-1 से पीछे हैं?

जवाब : रणनीति सिम्पल होनी चाहिए। आप ज्यादा रन करें और उन्हें ज्यादा रन नहीं करने दें। अगले तीन टेस्ट में आपको दृढ़ होना होगा। दृढ़ता, अनुशासन और प्लानिंग के संयोजन से ही आप अच्छा कर सकते हैं। हमें प्लान करना होगा, हमें दृढ़ता दिखानी होगी और हमें अपनी रणनीति का क्रियान्वान करना होगा।

सवाल : बाकी की बची सीरीज के लिए आपकी टीम को क्या सलाह होगी। क्या उन्हें अपने रुटीन पर टिका रहना चाहिए क्या अपनी तैयारियों में बदलाव करने चाहिए?

जवाब : मैं कहूंगा कि अपने रुटीन पर टिके रहें, जो उन्हें इस स्तर तक लेकर आया है और उन्हें इतनी सफलता दिलाई है। अचानक से आप चीजों को बदल नहीं सकते। कुछ बारीक से बदलाव होते हैं जिन्हें सफल होना चाहिए नहीं तो यह ज्यादा चुनौतीपूर्ण बन जाएगा। यह इस पर निर्भर करता है कि आप दुनिया के किस हिस्से में खेल रहे हो।

सवाल : कोहली अपने पहले बच्चे के जन्म के लिए भारत लौटे हैं, भारत को कोहली एक बल्लेबाज और कोहली एक कप्तान की कमी खलेगी। रहाणे की शख्सियत अलग है- वह शांत स्वभाव के खिलाड़ी हैं। आप उनकी कप्तानी को, दबाव में, बाकी के तीन मैचों में किस तरह से देखते हैं?

जवाब : रहाणे ने पहले भी टीम की कप्तानी की है। वह शांत स्वाभाव के हैं इसका मतलब यह नहीं है कि वह आक्रामक नहीं हैं। हर इंसान का अपनी आक्रामकता दिखाने का एक तरीका होता है। अगर कोई आक्रामकता नहीं दिखाता को यह मतलब नहीं है कि वह आक्रामक नहीं है। उदाहरण के तौर पर पुजारा को ले लीजिए, वह काफी शांत स्वाभाव के हैं। मैच में उनकी बॉडी लैंग्वेज फोकस रहती है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वह आक्रामक नहीं हैं या किसी और से कम करने की कोशिश कर रहे हैं। हर इंसान का अपना एक तरीका होता है। लेकिन मैं आपको आश्वस्त कर सकता हूं कि हर किसी की मंजिल एक ही होती है। वहां जाने के उनके रास्ते अलग हो सकते हैं और इसी तरह वह भारत को विजेता बनाते हैं। रहाणे की शैली अलग है, उनकी रणनीति अलग है। यह टीम प्रबंधन पर है कि वह किस तरह से रणनीति बनाते हैं, पिच किस तरह से खेलती है, हमारी बल्लेबाजी और गेंदबाजी लाइनअप क्या होती है। यह सभी चीजें दिमाग में आती हैं। वह जीतने के लिए सब कुछ करेंगे। सीनियर की अनुपस्थिति से टीम के संतुलन पर असर पड़ता है, लेकिन यह किसी दूसरे को मौका देता है। कुल मिलाकर यह भारतीय टीम की बात है न कि किसी एक खिलाड़ी की। खिलाड़ी चोटिल हो कर टीम से बाहर हो सकते हैं लेकिन टीम हमेशा रहती है।

सवाल : रहाणे को स्विंग के खिलाफ परेशानी आ रही है, आईपीएल में भी यह देखा गया था। क्या आपको लगता है कि इसका उनके खेल पर असर पड़ रहा है और वह कैसे इसे बाहर आ सकते हैं?

जबाव : वह अनुभवी खिलाड़ी हैं, लंबे समय से खेल रहे हैं, सफर कर रहे हैं और बाहर रन कर रहे हैं। यह विकेट पर समय बिताने, वह जो करना चाहते हैं उसे लेकर प्रतिबद्ध रहने की बात है। मुझे लगता है कि उनमें दबाव झेलने की क्षमता है। मैं उनकी बल्लेबाजी में एक जो चीज देखना चाहता हूं वो है मजबूत फ्रंटफुट जिसमें उनका पैर लंबा निकला हो। यह लगभग सभी खिलाड़ियों पर लागू होता है।

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सवाल : 2004 के आस्ट्रेलियाई दौरे पर आप कवर ड्राइव पर आउट हो रहे थे फिर आपने इस शॉट को न खेलने का फैसला किया। क्या आप इस तरह की सलाह हमारे बल्लेबाजो को अब देना चाहेंगे?

जवाब : मैं अभी कुछ नहीं कहना चाहूंगा। मैं नहीं चाहता कि वह अलग तरह से सोचना शुरू करें। हां उतार-चढ़ाव होंगे। मुझे नहीं लगता कि कोई विशेष खिलाड़ी कुछ करने में संघर्ष कर रहा है। 2004 में, मुझे लगा था कि मैं अच्छी फॉर्म में हूं और अच्छी बल्लेबाजी कर रहा हूं। बस मुझे मेरे शॉट सेलेक्शन को लेकर थोड़ा अनुशासित रहना है। मेरे भाई अजीत ने मुझे चैलेंज दिया था। उन्होंने कहा था कि उन्हें नहीं लगता कि गेंदबाज मुझे आउट कर रहे हैं बल्कि मैं खराब शॉट खेल कर आउट हो रहा हूं। उन्होंने कहा था कि कोई तकनीकी खराबी नहीं है और उन्होंने मुझे अपनी पारी को प्लान करने के बारे में कहा था। मैंने चुनौती ली और अपने आप से कहा कि मुझे नाबाद रहना है। मैं 241 रनों पर नाबाद रहा। जब मैं बल्लेबाजी कर रहा था तो मुझे एहसास हुआ है कि आस्ट्रेलियाई गेंदबाज मुझे ऑफ स्टम्प के बाहर गेंदबाजी कर रहे हैं तभी मैंने बीच मैदान पर फैसला लिया कि मैं कवर ड्राइव नहीं खेलूंगा।

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सवाल : भारत मोहम्मद शमी को कितना मिस करेगा ?

जवाब : भारत शमी को 100 फीसदी मिस करेगा। वह शानदार गेंदबाज हैं इसमें कोई शक नहीं है। उन्होंने अतीत में अच्छा किया है और वह हमारे गेंदबाजी आक्रमण का अहम हिस्सा हैं। जसप्रीत बुमराह के साथ पहली पसंद हैं।

सवाल : भारत के जो बल्लेबाज इस समय आस्ट्रेलिया में हैं और जो भारत में ही हैं उन्हें आप गुलाबी गेंद को खेलने को लेकर क्या सलाह देंगे?

जवाब : मुझे लगता है कि 90 प्रतिशत टेस्ट क्रिकेट लाल गेंद से खेली जाती है। इसलिए समाधान यही है कि संभव हो तो गुलाबी गेंद से ज्यादा से ज्यादा मैच खेलें।

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सवाल : आपको क्या लगता है कि अगर दलीप ट्रॉफी और रणजी ट्रॉफी के कुछ मैच गुलाबी गेंद से खेले जाते हैं तो इससे मदद मिलेगी ?

जवाब : हमने इस सीरीज में गुलाबी गेंद से सिर्फ एक मैच खेला है। इसलिए इस लिहाज से 25 प्रतिशत गुलाबी गेंद से और बाकी का 75 प्रतिशत लाल गेंद से खेला जाएगा। हमें दोनों गेंदों के बीच में संतुलन बनाए रखना होगा। अभी तक, पूरे विश्व में संभवत: 90 प्रतिशत या उससे ज्यादा टेस्ट क्रिकेट लाल गेंद से खेली जाती है।

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सवाल : रोहित शर्मा के मुद्दे को लेकर काफी कुछ कहा गया। वह इस समय आस्ट्रेलिया में क्वारंटीन हैं। क्या आपको लगता है कि थोड़ी बहुत पारदíशता और सही बातचीत से इसे टाला जा सकता था ?

जवाब : मैं इस मामले में शामिल नहीं था। मुझे नहीं पता कि क्या बातचीत हुई और फोन पर क्या कहा गया। काफी सारी चीजें कही गईं जिससे लगता है कि बातचीत में कमी रह गई। लेकिन मैं जानता हूं कि रोहित इस समय आस्ट्रेलिया में हैं और अगर वह फिट होते हैं और सभी पैमानों पर खरे उतरते हैं तो उन्हें खेलना चाहिए।

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