भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच जारी बॉर्डर गावस्कर टेस्ट सीरीज का रोमांच अपने चरम पर है। सीरीज अभी 1-1 की बराबरी पर है और सीरीज का अंतिम और निर्णायक मैच गाबा में खेला जाना है। सीरीज के अंतिम पड़ावों में चोटिल खिलाड़ियों की संख्या काफी अधिक हो गयी है, जिसने दोनों टीमों की परेशानी बढ़ाई हुई है। भारत के अभी तक कुल 9 तो ऑस्ट्रेलिया के 3 खिलाड़ी सीरीज के दौरान चोटिल हुए हैं।
इसी बीच ऑस्ट्रेलियाई कोच जस्टिन लैंगर खिलाड़ियों के चोटिल होने के पीछे आईपीएल को जिम्मेदार ठहराया है। गाबा टेस्ट से पहले लैंगर ने कहा "मैंने कहा है कि यह इस समर सबसे अधिक जीवित रहने वाला है। इस सत्र में चोटों की सूची लंबी है। मेरे हिसाब से इस साल आईपीएल का समय सही नहीं था। खासकर इतने बड़े सीरीज के लिए तैयारी का मौका नहीं मिला। लेकिन इस बार टूर्नामेंट का टाइमिंग आइडियल नहीं था।"
इसी के साथ जस्टिन लैंगर ने इसकी समीक्षा की भी मांग की है। उन्होंने कहा "मुझे यकीन है कि इसकी समीक्षा की जाएगी। यह क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया की नजर में है। वनडे सीरीज के बाद भी हम कह चुके हैं कि इसकी समीक्षा होनी चाहिए।"
लेकिन क्या सही में आईपीएल इसका जिम्मेदार है? आइए गौर करते हैं कुछ फैक्टस पर।
मोहम्मद शमी को पहले टेस्ट मैच के दौरान हाथ पर गेंद लगी, उमेश यादव को पैर में चोट लगी है और वह आईपीएल में भी मात्र दो ही मैच खेले थे। वहीं केएल राहुल, मयंक अग्रवाल, रविंद्र जडेजा और ऋषभ पंत भी गेंद लगने से ही चोटिल हुए हैं। बात हनुमा विहारी, आर अश्विन और जसप्रीत बुमराह की करें तो इन खिलाड़ियों की मारपेशियों में खींचाव है, जो आईपीएल के कारण बिल्कुल नहीं हो सकता।
अगर ऑस्ट्रेलियाई चोटिल खिलाड़ियों की बात करें तो उसमें से सिर्फ डेविड वॉर्नर ही है जिन्होंने आईपीएल में हिस्सा लिया था। वॉर्नर को भारत के खिलाफ दूसरे वनडे के दौरान चोट लगी थी। वहीं विल पुकोव्स्की तीसरे टेस्ट में फील्डिंग के दौरान चोटिल हुए थे और कैमरन ग्रीन को प्रैक्टिस मैच के दौरान सिर पर गेंद लगी थी।
हां, रोहित शर्मा आईपीएल के दौरान चोटिल हुए थे, लेकिन उन्हें चोट से उभरने के लिए प्रयाप्त समय दिया गया था। जिस वजह से वह ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वनडे और टी20 सीरीज के साथ पहले दो टेस्ट मैच से बाहर थे।
ऐसे में खिलाड़ियों के चोटिल होने के पीछे आईपीएल को जिम्मेदार ठहराना ठीक नहीं है। आईपीएल कोई ऐसा टूर्नामेंट नहीं है जिसमें खिलाड़ी जाए और जल्दी-जल्दी 5-6 मैच खेलकर तुरंत वापस आ जाए। यह दो महीने का बड़ा टूर्नामेंट होता है और इस दौरान टीमों को कई बार 7 से 10 दिन का भी आराम दिया जाता है। ऐसे में इस टूर्नामेंट से वर्कलोड इतना नहीं बढ़ता। बात अगर खिलाड़ियों के वर्कलोड की हो रही है तो बता दें, इस टूर्नामेंट के दौरान विश्व के बेहतरीन कोच और सपोर्ट स्टाफ होते हैं जो खिलाड़ियों के वर्कलोड का पूरा ध्यान रखते हैं।
लैंगर ने इसी के साथ आईपीएल 2020 की टाइमिंग पर भी सवाल उठाए थे। आमतौर पर मार्च-अप्रैल में आयोजित होने वाला आईपीएल कोविड-19 के कारण सितंबर में हुआ। वहीं ऑस्ट्रेलिया टेस्ट सीरीज का ऐलान तो आईपीएल के दौरान ही हुआ था।
आईपीएल खेलने पर किसी भी खिलाड़ी पर दबाव नहीं बनाया जाता, ना ही किसी के लिए यह अनिवार्य है। अगर लैंगर को लगता है कि इस टूर्नामेंट से उनके खिलाड़ियों पर प्रभाव पड़ा है तो उन्होंने उसी समय तुरंत सभी ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों को वापस क्यों नहीं बुला लिया?