भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच हाल ही में संपन्न हुई बॉर्डर गवास्कर सीरीज पर टीम इंडिया ने ऐतिहासिक गाबा के मैदान में टेस्ट मैच जीतकर सीरीज में 2-1 से कब्ज़ा किया। ऐसे में गाबा से ठीक पहले सिडनी में खेले जाने वाले तीसरे टेस्ट मैच में हनुमा विहारी ने भारत की हार को बचाने के लिए 100 गेंदों में सिर्फ 6 रन बनाने जैसी पारी खेलकर काफी चर्चा बटोरी थी। हनुमा और अश्विन ने क्रीज पर लगभग 3 से अधिक घंटे तक बल्लेबाजी करते हुए टीम इंडिया को सिडनी में ड्रा की दहलीज तक पहुँचाया था। जिससे चौथे टेस्ट मैच से पहले सीरीज भी 1-1 से बराबरी की दहलीज पर खड़ी थी।
इस तरह टेस्ट क्रिकेट में संयम, कुशलता और तकनीकी का बेजोड़ नमूना पेश करते हुए हनुमा ने सिडनी टेस्ट को ड्रा कराया। हालांकि अपनी161 गेंदों में 23 रन नाबाद की पारी के दौरान वो हैमस्ट्रिंग से चोटिल हो गये थे। जिसके चलते उन्हें फ़ौरन ऑस्ट्रेलिया से हिंदुस्तान रवाना कर दिया गया था। इस तरह हनुमा के भारत आने और टीम इंडिया की ऐतिहासिक जीत का हिस्सा ना बन पाने के कारण, उनसे जब इस मलाल के बारे में इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में पूछा गया तो उन्होंने बहुत ही शानदार जवाब दिया।
हनुमा ने टेलीविजन पर गाबा की जीत को देखने के बारे में कहा, "यह जीत वास्तव में कमाल है। जिसे बयाँ करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं है। किसी अव्वल दर्जे की टीम के सामने खेलना और एडिलेड में 36 पर 9 विकेट गिर जाने के बाद वापसी करना बहुत ही शानदार है।"
वहीं गाबा में टीम इंडिया का हिस्सा ना होने के बारे में हनुमा ने कहा, "हाँ! मुझे अच्छा लगता अगर मैं भी गाबा के विक्ट्री लैप का हिस्सा होता। लेकिन मैं चोटिल हो गया और कुछ चीजें आपके बस में नहीं होती हैं।
इसके बाद सिडनी में खेली अपनी मैराथन पारी के बारे में हनुमा ने कहा, "सिडनी में 400 से उपर का टारगेट हमें चेस करना था। लेकिन जिस तरह मैच में चेतेश्वर पुजारा और रिषभ पंत बल्लेबाजी कर रहे थे। उससे हमारें जीत की उम्मीद जरूर जागी थी। लेकिन जैसे ही वो दोनों थोड़े अंतराल पर आउट हो गये उसके बाद क्रीज पर मैं और अश्विन थे। तब हमने निश्चय कर लिया था कि अब ड्रा के लिए जाना है। क्योंकि जडेजा चोटिल था और अश्विन के बाद कोई बल्लेबाज नहीं था। इसलिए हमने रिस्क नहीं लेना चाहा और एक दीवार की तरह ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों के सामने खड़े हो गये।"
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वहीं अपनी सिडनी टेस्ट मैच की पारी को करियर की सबसे ख़ास में एक चुनते हुए हनुमा ने अंत में कहा, "जाहिर सी बात है कि अगर मैं अपने करियर को संक्षेप में बताना चाहूँगा तो पांचवें दिन सिडनी में खेली पारी मेरे करियर को बयाँ करती है। जो कि टेस्ट क्रिकेट में मेरे असली चरित्र को भी दर्शाती है। ये सब यह सब मेरे परिवार से मिले धैर्य और दृढ़ संकल्प के बारे में है, जिसने मुझे आज यहाँ तक पहुंचने में मदद की है।"
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