भारतीय क्रिकेट टीम सिडनी में खेले गए तीसरे टेस्ट को मेजबान ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ड्रॉ कराने में सफल रही। इस मैच का भले ही कोई नतीजा नहीं निकल सका लेकिन इस मुकाबले ने भारतीय टीम के अंदर के जुझारूपन और जीत की भूख को जगा दिया। इस मैच में भारतीय टीम को नस्लीय भेदभाव के अलावा मैदानी चोटों का भी जमकर सामना करना पड़ा लेकिन मेहमान टीम ने सभी का मुंहतोड़ जवाब दिया और हार के कयासों को गलत साबित करते हुए टेस्ट मैच बचा लिया।
सिडनी टेस्ट में मेजबान ऑस्ट्रेलिया ने पहली पारी में स्टीव स्मिथ के शानदार शतक (131) की बदौलत 338/10 का स्कोर खड़ा किया। इसके जवाब में भारतीय टीम अपनी पहली पारी में सिर्फ 244 रन ही बना सकी। हालांकि पहली पारी में भारत के लिए अच्छी बात ये रही कि सलामी बल्लेबाज रोहित शर्मा और शुभमन गिल ने टीम को सधी हुई शुरुआत दी और पहले विकेट के लिए 70 रन जोड़े। इस दौरान चेतेश्वर पुजारा ने 50 रनों की अहम पारी खेली लेकिन उनकी ये पारी 176 गेंदों की वजह से सभी के निशाने पर आ गई। क्रिकेट जगत के कई दिग्गजों ने पुजारो को उनकी धीमी पारी के लिए जमकर कोसा लेकिन पुजारा ने सभी आलोचनाओं का जवाब देने के लिए 5वें दिन तक का इंतजार किया।
भारत के सामने थी हार को टालने की चुनौती
इस मैच में तीसरे दिन नस्लीय भेदभाव की शर्मनाक घटना भी देखने को मिली जिससे खेल का मजा थोड़ा किरकिरा जरुर हुआ लेकिन आगे के खेल ने सिडनी टेस्ट को एक यादगार मुकाबला बना दिया। पहली पारी की तरह दूसरी पारी में भी ऑस्ट्रेलिया ने भारतीय गेंदबाजों पर जमकर हमला बोला और 312/6 के स्कोर पर दूसरी पारी घोषित कर दी। इस तरह भारत को 407 रनों का विशाल लक्ष्य मिला।
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ऑस्ट्रेलिया द्वारा दिए गए 407 रनों के लक्ष्य का पीछा करने जब भारतीय टीम उतरी तो उसके सामने सबसे बड़ा लक्ष्य इस मुकाबले में हार को टालना था। ऐसे में भारतीय सलामी जोड़ी ने एक बार फिर टीम को अच्छी शुरुआत दिलाई और पहले विकेट के लिए 71 रन जोड़ दिए। भारत का पहला विकेट गिल के रुप में गिरा। इसके बाद रोहित भी 100 रन के स्कोर से पहले अर्धशतक बनाने के साथ ही लापरवाह शॉट खेलकर मैदान से चलते बने।
चौथे दिन का खेल खत्म होने तक भारत का स्कोर 2 विकेट के नुकसान पर 96 रन था और क्रिकेट फैंस का 5वें दिन के रोमांचक खेल का गवाह बनना बाकी था। दिन का खेल शुरु होने के कुछ देर बाद ही कप्तान रहाणे सस्ते में आउट हो गए और अब टीम इंडिया एक तरह से बैकफुट पर चली गई।
रिषभ पंत के खेल ने जताई आस
भारत अपने तीन विकेट खो चुका था और क्रीज पर चेतेश्वर पुजारा डटे थे। रहाणे के जाने के बाद पुजारा का साथ देने रिषभ पंत मैदान पर आए। पिच पर अब दो विपरीत स्वभाव के खिलाड़ी मौजूद थे और यही भारत के लिए फायदेमंद साबित हुआ।
क्रीज पर आते ही पंत ने अपना स्वाभाविक खेल खेलते हुए जल्द ही अपना अर्धशतक पूरा कर लिया। इसके बाद पंत शतक की ओर बढ़ने लगे। इस समय पंत को 5वें नंबर पर भेजने का कप्तान का फैसला मास्टरस्ट्रोक नजर आ रहा था। ये वही पंत थे जो पहली पारी में चोट के चलते विकेटकीपिंग नहीं कर सके थे।
इस बीच पुजारा और पंत ने 148 रन की साझेदारी करते हुए टीम का स्कोर 250 तक पहुंचा दिया। पंत का खेल मैच का रुख बदल रहा था। ऐसे में जो लोग एक दिन पहले तक कह रहे थे कि ये मुकाबला भारत हारेगा या ड्रॉ होगा, उन्हें भारत के जीतने की उम्मीद दिखाई देने लगी। हालांकि 97 के निजी स्कोर पर पंत के आउट होते ही जीत की उम्मीदें धरी रह गई।
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पंत के जाने के कुछ देर बाद ही पुजारा भी 77 रन के स्कोर पर चलते बने। दूसरी पारी की तरह पुजारा ने चौथी पारी में भी जमकर गेंदें खेली लेकिन इस बार आलोचना के बजाय उन्हें तारीफ मिली। पुजारा की इस पारी ने बता दिया कि उन्हें आलोचना से कोई फर्क नहीं पड़ता है और वह मैच की परिस्थितयों के हिसाब से खेलना बखूबी जानते हैं।
विहारी और अश्विन बने दीवार
पुजारा के आउट होने के बाद मैच ऑस्ट्रेलिया के हाथों में जाता दिख रहा था लेकिन हनुमा विहारी और अश्विन के इरादों ने मैच को बेहद रोमांचक बना दिया।ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों ने विहारी और अश्विन पर हर तरीके से हमला किया लेकिन दोनों बल्लेबाजों टस से मस नहीं हुए। इस दौरान जहां विहारी हैमस्ट्रिंग की चोट से जूझने के बावजूद क्रीज पर डटे रहे। वहीं, अश्विन को ऑस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाजों की बुलेट की रफ्तार वाली कई गेंदें शरीर पर झेलनी पड़ी। साथ ही अश्विन कमर के दर्द से भी जूझ रहे थे जिसका खुलासा उन्होंने मैच के बाद बीसीसीआई टीवी को दिये इंटरव्यू में किया।
इस दौरान विहारी और अश्विन ने न केवल ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों का बखूबी सामना किया बल्कि 256 गेंदों पर 62 रन की साझेदारी करते हुए मेजबान टीम के मुंह से अहम जीत छीन ली। इस मैच का भले ही कोई नतीजा नहीं निकल सका लेकिन भारतीय खिलाड़ियों की लड़ने की भावना और जीत की भूख ने इस बेनतीजा टेस्ट मैच को मेहमान टीम के लिए जीत से बढ़कर बना दिया।
रहाणे तारीफ के हकदार
तीसरे टेस्ट में भारतीय टीम के जुझारूपन का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 1979 के बाद टीम इंडिया चौथी पारी में 130 से ज्यादा ओवर खेलकर मैच ड्रॉ कराने में कामयाब रही। इस मैच में टीम इंडिया ने 131 ओवर बल्लेबाजी की और 5 विकेट पर 334 रन बनाए। इसमें गौर करने वाली ये है कि पंत, पुजारा, विहारी और अश्विन ने 100 से ज्यादा गेंदों का सामना किया।
इस मैच में अजिंक्य रहाणे की कप्तानी भी तारीफ के काबिल रही जिन्होंने न केवल विपरीत परिस्थितियों में टीम के खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ाया बल्कि खिलाड़ियों के अंदर लंड़ने का जज्बा भरा। सिडनी टेस्ट के ड्रॉ होने के बाद रहाणे के बयान से साफ हो गया कि उनकी टीम ने 5वें दिन मैदान पर उतरने से पहले ही अंत तक लड़ने का मन बना लिया था।