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पिछले एक दशक में स्पिनरों का थोड़ा दबदबा बढ़ा लेकिन ‘सेना’ देशों में आई गिरावट

पिछले एक दशक में स्पिनरों ने क्रिकेट खेलने वाली सभी देशों में कुल मिलाकर प्रति टेस्ट 12.03 तीन विकेट लिये लेकिन जहां तक आस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, दक्षिण अफ्रीका और न्यूजीलैंड की बात है तो इन देशों में यह आंकड़ा प्रति टेस्ट 6.4 रह जाता है।   

Reported by: Bhasha
Published : June 08, 2020 15:08 IST
In the last decade spinners have gained a little dominance but the 'SENA' countries have declined
Image Source : GETTY In the last decade spinners have gained a little dominance but the 'SENA' countries have declined

नई दिल्ली। पूर्व भारतीय कप्तान अनिल कुंबले टेस्ट क्रिकेट को रोमांचक बनाये रखने लिये स्पिनरों को बढ़ावा देने के पक्षधर हैं लेकिन अगर आंकड़ों पर गौर करें तो पिछले दशक में ‘सेना’ (दक्षिण अफ्रीका, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड और आस्ट्रेलिया) देशों में स्पिनरों के प्रदर्शन में गिरावट आयी है और ऐसे में किसी भी कप्तान के लिये ऐसी परिस्थितियों में धीमी गति के दो गेंदबाजों को रखना परेशानी का सबब बन सकता है। 

कुंबले ने हाल में कहा था कि इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में भी टेस्ट मैचों में दो स्पिनरों के साथ खेलने का चलन शुरू करना होगा लेकिन पिछले एक दशक (एक जनवरी 2010 से लेकर 31 दिसंबर 2019 तक) के आंकड़े बताते हैं कि इन देशों में तेज गेंदबाजों की ही तूती बोली है। पिछले एक दशक में स्पिनरों ने क्रिकेट खेलने वाली सभी देशों में कुल मिलाकर प्रति टेस्ट 12.03 तीन विकेट लिये लेकिन जहां तक आस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, दक्षिण अफ्रीका और न्यूजीलैंड की बात है तो इन देशों में यह आंकड़ा प्रति टेस्ट 6.4 रह जाता है। 

दूसरी तरफ तेज गेंदबाजों ने ओवरऑल जहां प्रति टेस्ट 19.20 विकेट लिये वहीं ‘सेना’ देशों में उन्हें प्रत्येक टेस्ट में औसतन 24.87 विकेट मिले। गौर करने लायक बात यह है कि 2000 के दशक में स्पिनरों ने कुल मिलाकर प्रति टेस्ट 9.79 विकेट हासिल किये थे और ‘सेना’ देशों में उनका आंकड़ा 6.8 था। स्वाभाविक है इन चार देशों में स्पिनरों के प्रदर्शन में गिरावट आयी है। 

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यही नहीं 2010 के दशक में स्पिनरों ने ‘सेना’ देशों में केवल 40 बार पारी में पांच या इससे अधिक विकेट और पांच बार मैच में दस या इससे अधिक विकेट लिये जबकि इस बीच इस मामले में ओवरऑल आंकड़ा 250 और 47 रहा। इससे पहले के दशक में हालांकि स्पिनरों ने ‘सेना’ देशों में 69 बार पांच या अधिक विकेट तथा 13 बार दस या अधिक विकेट हासिल किये थे जिसकी ओवरऑल आंकड़े (228 और 51) में कुछ जीवंत उपस्थिति नजर आती है।

सेना देशों में स्पिनरों का सबसे अच्छा प्रदर्शन 1970 के दशक में रहा था जब उन्होंने प्रति टेस्ट 8.23 विकेट लिये थे लेकिन अस्सी के दशक में यह आंकड़ा 6.02 और नब्बे के दशक में 6.5 रह गया था। सत्तर के दशक में स्पिनरों का क्रिकेट खेलने वाले सभी देशों में आंकड़ा 10.44 विकेट प्रति टेस्ट था। उसके बाद 2010 के दशक में ही यह आंकड़ा दोहरे अंक में पहुंच पाया। 

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अगर दक्षिण अफ्रीका, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रलिया में स्पिनरों के प्रदर्शन पर गौर करें तो उपमहाद्वीप के केवल दो स्पिनर इन देशों में विकेटों का शतक लगा पाये हैं। इनमें से कुंबले ने 35 टेस्ट मैचों में 141 विकेट और मुथैया मुरलीधरन ने 23 मैचों में 125 विकेट लिये हैं। इनके बाद बिशन सिंह बेदी (90 विकेट), मुश्ताक अहमद (84), ईरापल्ली प्रसन्ना (78), दानिश कानेरिया (75) और भगवत चंद्रशेखर (71) का नंबर आता है। ‘सेना’ देशों में सर्वाधिक विकेट लेने वाले स्पिनरों में दिग्गज शेन वार्न शामिल हैं जिन्होंने अपने 708 टेस्ट विकेट में से 558 विकेट इन चार देशों में लिये हैं। उनके बाद नाथन लियोन (274 विकेट), डेनियल विटोरी (229), डेरेक अंडरवुड (219) और क्लेरी ग्रिमेट (216) का नंबर आता है। 

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