भारत के युवा विकेटकीपर बल्लेबाज संजू सैमसन को आज चोटिल शिखर धवन की जगह वेस्टइंडीज के खिलाफ आगमी टी20 सीरीज के लिए भारतीय टीम में शामिल किया गया है। सैमसन को इससे पहले बांग्लादेश के खिलाफ टी20 टीम में चुना गया था, लेकिन उन्हें मैच खेलने का मौका नहीं मिला था। सैमसन को बिना मैच खिलाए ही सिलेक्टर्स ने टीम से बाहर कर दिया। लेकिन वो कहते है ना कि अगर किसी ने मेहनत की हो तो किस्मत भी उसके साथ होती है, वैसा ही कुछ सैमसन के साथ हुआ। धवन के चोटिल होने के बाद सैमसन को टीम में एक बार फिर जगह मिली है।
टीम में जगह बनाने की सैमसन की कहानी अब की नहीं है बल्कि बहुत पुरानी है। सैमसन ने भारत के लिए अभी तक एकमात्र टी20 मैच 2015 में खेला था जिसमें उन्होंने 19 रन बनाए थे। सैमसन को यह मौका 19 साल की उम्र में मिला था जब भारत की जूनियर टीम ने जिम्बाब्वे का दौरा किया था। इसके बाद सैमसन को अभी तक एक भी बार भारतीय प्लेइंग इलेवन में मौका नहीं मिला।
सैमसन को मौका इसलिए भी नहीं मिला क्योंकि विकेटकीपिंग के लिए टीम इंडिया में महेंद्र सिंह मौजूद थे। सैमसन ने घरेलू क्रिकेट से लेकर आईपीएल तक में अपनी परफॉर्मेस से सबको प्रभावित किया, लेकिन फिर भी चयनकर्ताओं ने धोनी के बाद भारतीय टीम के नए विकेटकीपर के चहरे के रूप में पंत को चुना और उन्हें अब तक कई मौके दिए। अगर इतने ही मौके सैमसन को दिए गए होते तो आज शायद भारतीय टीम की विकेटकीपर बल्लेबाज की तलाश खत्म हो गई होती।
सैमसन की बल्लेबाजी के कायल गौतम गंभीर और भारतीय टीम की दीवार कहे जाने वाले राहुल द्रविड़ भी चाहते हैं कि सैमसन को भारतीय टीम में मौका मिले। हाल ही में उन्होंने विजय हजारे ट्रॉफी में भारत के लिए लिस्ट ए क्रिकेट में सबसे तेज दोहरा शतक लगाया। सैमसन ने यह दोहरा शतक 125 गेंदों में पूरा किया।
सैमसन की मेहनत अब रंग ला रही है और उन्हें भारतीय टीम में एक बार फिर खेलने का मौका मिला है, अब बस इंतजार है तो प्लेइंग इलेवन में जगह मिलने का। सैमसन जिस तकनीक से बल्लेबाजी करते हैं उसे देखकर लगता है कि वो मिलने वाले मौकों को जरूर भुनाएंगे और भारतीय टीम में अपनी जगह पक्की करेंगे।