नई दिल्ली। कोविड-19 के कारण अगर दुनिया भर की खेल गतिविधियों की तरह क्रिकेट भी ठप्प नहीं पड़ता तो इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के लिये आज ‘सुपर संडे’ होता और हो सकता था कि क्रिकेट प्रेमियों को पूर्व के फाइनल की तरफ एक रोमांचक खिताबी मुकाबला देखने को मिलता।
आईपीएल को कोरोना वायरस महामारी के कारण अनिश्चितकाल के लिये स्थगित कर दिया गया है। पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार इसकी शुरुआत 29 मार्च को होनी थी और फाइनल 24 मई को खेला जाना था। अगर आईपीएल के अब तक के फाइनल की बात करें तो महेंद्र सिंह धोनी की अगुवाई वाली चेन्नई सुपरकिंग्स की टीम ने अब तक जिन दस टूर्नामेंट (स्पॉट फिक्सिंग प्रकरण के कारण 2016 और 2017 से बाहर रही थी) में हिस्सा लिया है उनमें से आठ बार वह फाइनल में पहुंची और तीन बार उसने खिताब जीता।
रोहित शर्मा के नेतृत्व वाली मुंबई इंडियन्स सर्वाधिक चार बार चैंपियन बनी जबकि कोलकाता नाइटराइडर्स (केकेआर) ने गौतम गंभीर की अगुवाई में दो खिताब जीते। हैदराबाद की टीमों (सनराइजर्स हैदराबाद, पहले डेक्कन चार्जर्स) ने भी दो खिताब जीते हैं जबकि टूर्नामेंट की पहली चैंपियन राजस्थान रायल्स थी। रायल्स को 2008 में किसी ने खिताब का दावेदार नहीं माना था लेकिन शेन वार्न की अगुवाई में उसके युवा खिलाड़ियों ने फाइनल में जगह बनायी और मुंबई के डीवाई पाटिल स्टेडियम में एक जून को खेले गये रोमांचक फाइनल में चेन्नई पर तीन विकेट से जीत दर्ज की थी।
रायल्स को जीत के लिये आखिरी गेंद पर एक रन चाहिए था। लक्ष्मीपति बालाजी की गेंद पर पाकिस्तान के सोहेल तनवीर ने यह महत्वपूर्ण रन लिया था। जोहानिसबर्ग में 24 मई 2009 को खेले गये फाइनल में डेक्कन चार्जर्स की टीम छह विकेट पर 143 रन ही बना पायी लेकिन स्टार खिलाड़ियों से सजी रॉयल चैलेंजर्स बेंगलोर (आरसीबी) की टीम नौ विकेट पर 137 रन तक ही पहुंच पायी।
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आरसीबी को जीत के लिये अंतिम ओवर में 15 रन की जरूरत थी और रोबिन उथप्पा क्रीज पर थे लेकिन आर पी सिंह ने इस ओवर में केवल आठ रन दिये। चेन्नई 2010 में पहली बार चैंपियन बना जब उसने 25 अप्रैल को डीवाई पाटिल स्टेडियम में खेले गये फाइनल में मुंबई को 22 रन से शिकस्त दी थी। सचिन तेंदुलकर की अगुवाई वाली टीम 169 रन का पीछा करते हुए नौ विकेट पर 146 रन ही बना पायी थी।
चेन्नई ने इसके एक साल बाद 28 मई 2011 को अपने घरेलू मैदान पर आरसीबी को 28 रन से करारी शिकस्त देकर अपना खिताब बरकरार रखा था। गंभीर की केकेआर ने हालांकि 27 मई 2012 को चेन्नई की खिताबी हैट्रिक पूरी नहीं होने दी थी और उसको उसी के मैदान पर पांच विकेट से शिकस्त दी थी। केकेआर के सामने 191 रन का लक्ष्य था। मनोज तिवारी ने ड्वेन ब्रावो पर लगातार दो चौके जड़कर टीम को दो गेंद शेष रहते जीत दिलायी थी।
रोहित के कमान संभालने के बाद मुंबई इंडियन्स 2013 में पहली बार चैंपियन बना। उसने कोलकाता में 26 मई को खेले गये फाइनल में चेन्नई को 23 रन से हराया था। केकेआर ने एक जून 2014 को बेंगलुरू में किंग्स इलेवन पंजाब के चार विकेट पर 199 रन के स्कोर को बौना साबित किया था। तब पीयूष चावला ने आखिरी ओवर में परविंदर अवाना पर विजयी चौका लगाया था। मुंबई इंडियन्स ने 24 मई 2015 को कोलकाता में चेन्नई पर 41 रन से आसान जीत दर्ज की थी जबकि 29 मई 2016 को सनराइजर्स हैदराबाद ने बड़े स्कोर वाले फाइनल में आरसीबी को आठ रन से हराया था।
चेन्नई के सामने 209 रन का लक्ष्य था लेकिन वह आखिरी ओवर में 18 रन बनाने की चुनौती से पार नहीं पा सका था। राइजिंग पुणे सुपरजाइंट्स 21 मई 2017 को हैदराबाद में मुंबई को पटखनी देने के करीब पहुंच गया था लेकिन आखिर में उसे एक रन से हार झेलनी पड़ी। पुणे 130 रन के लक्ष्य के सामने अंतिम ओवर में 11 रन नहीं बना पाया था। चेन्नई ने 2018 में दो साल के प्रतिबंध के बाद वापसी की और 27 मई को मुंबई में खेले गये फाइनल में सनराइजर्स को नौ गेंद शेष रहते हुए आठ विकेट से करारी शिकस्त दी थी।
शेन वाटसन ने तब चेन्नई के लिये नाबाद 117 रन बनाये थे। मुंबई ने इसके एक साल बाद 12 मई 2019 को हैदराबाद में एक रन से रोमांचक जीत दर्ज करके चेन्नई से बदला चुकता कर दिया था। चेन्नई 150 रन के लक्ष्य के सामने सात विकेट पर 148 रन ही बना पाया था। उसे आखिरी ओवर में नौ रन चाहिए थे तथा वाटसन और रविंद्र जडेजा क्रीज पर थे लेकिन इन दोनों पर लेसिथ मलिंगा भारी पड़ गये थे।