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चैंपियंस ट्रॉफ़ी फ़ाइनल के हीरो फ़ख़र ज़मां खेलते ही नहीं अगर....

चैंपियंस ट्रॉफी 2017 के फाइनल में पाकिस्तान को भारत पर ऐतिहासिक जीत दिलाने वाले पाकिस्तान के ओपनर फ़ख़र ज़मां का एक समय खेलना भी संदिग्ध था लेकिन जोश और हिम्मत के चलते वे मैच की सुबह फ़िट हो गए और जीत के हीरो बन गए।

India TV Sports Desk
Published on: June 20, 2017 11:42 IST
Fakhar Zaman- India TV Hindi
Fakhar Zaman

चैंपियंस ट्रॉफी 2017 के फाइनल में पाकिस्तान को भारत पर ऐतिहासिक जीत दिलाने वाले पाकिस्तान के ओपनर फ़ख़र ज़मां का एक समय खेलना भी संदिग्ध था लेकिन जोश और हिम्मत के चलते वे मैच की सुबह फ़िट हो गए और जीत के हीरो बन गए। 

मेरे अंदर एनर्जी नहीं थी-फ़ख़र ज़मां

दरअसल, मैच के एक दिन पहले नेट्स पर ही ज़मां की इतनी तबियत ख़राब हो गई थी कि वे बैटिंग प्रेक्टिस ही नहीं करा पाए। फ़ख़र ने बताया, “मेरे शरीर में ताकत ही नहीं थी। मैंने तीन-चार गेंदें खेलीं और कोच से कहा कि मेरे अंदर एनर्जी नहीं है, मैं ड्रेसिंग रूम में वापस जा रहा हूं। उन्होंने कहा ठीक है। फिर मैंने अपने मसाज करने वाले और फीजियो को बुलाया और बताया कि मुझे अच्छा नहीं लग रहा है और आप लोग कुछ करिए।”

फ़ख़र ज़मां के अनुसार पाकिस्तानी टीम के फ़ीज़ियो ने डिनर छोड़कर रात भर उनका इलाज किया। मैच के दिन वह सुबह चार बजे नमाज़ पढ़ने के लिए उठने से पहले केवल पांच घंटे सो सके थे। जब वो सुबह उठे तो उन्हें पहले से काफी बेहतर महसूस हो रहा था। उसके बाद जब वो मैदान पर उतरे तो उन्होंने इतिहास बना दिया।

पहली बार “बड़े मैच” के दबाव मेहसूस हुआ- फ़ख़र ज़मां

दिलचस्प बात ये है कि फ़ख़र को टूर्नामेंट में भारत के ख़िलाफ़ पहले मैच में टीम में शामिल नहीं किया गया था। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ अपना डेब्यू किया। उन्हें अहमद शहजाद की जगह टीम में लिया गया था। फ़ख़र ज़मां ने श्रीलंका और इंग्लैंड के खिलाफ अर्धशतकीय पारी खेली थी। तब उनके पिता ने पाकिस्तानी टीवी चैनल जियो टीवी से कहा था, “पहले वो केवल कटलांग का फखर (गर्व) था, अब वो पूरे पाकिस्तान का गर्व है।” भारत के खिलाफ मैच के बाद फखर जमान ने कहा कि रविवार को उन्हें पहली बार लगा कि वो “अंतरराष्ट्रीय” मैच खेल रहे हैं और पहली बार “बड़े मैच” के दबाव से उनका परिचय हुआ।

क्रिकेट ने फ़ख़र की पढ़ाई-लिखाई चौपट कर दी-पिता

फ़ख़र ज़मां 12 जनवरी 2007 को नौसेना में शामिल हुए थे। उनके पिता फकीर गुल को लगता था कि क्रिकेट ने उनके बेटे की पढ़ाई-लिखाई चौपट कर दी। फकीर अली को लगा कि नौसेना में नौकरी से अच्छा उनके बेटे के लिए कुछ नहीं हो सकता। नौसेना में चयन होने के बाद जमान की तैनाती कराची में नौसैनिक के रूप में हुई।

फ़ख़र ज़मां ज्यादा दिन नौसेना में नहीं रहे। ट्रेनिंग पूरी करके फौजी (टीम में उनके साथी उन्हें इसी नाम से बुलाते हैं) बनते-बनते क्रिकेटर के तौर पर नौसेना के क्रिकेट कोच आज़म ख़ान की नजर में जगह बना ली थी। आज़म ख़ान ने नौसेना मुख्यालय को बताया कि नौजवान फ़ख़र ज़मां नौसेना से ज्यादा देश के क्रिकेट टीम के लिए उपयोगी साबित होगा। बाएं हाथ के बल्लेबाज फखर जमान ने उसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा।

18 जून 2017 को भारत के खिलाफ पाकिस्तान को चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल में रिकॉर्ड जीत दिलाकर फखर जमान ने आजम खान की बात सही साबित कर दी। पाकिस्तान ने पिछले 25 सालों में पहली बार आईसीसी वनडे टूर्नामेंट जीता है। 

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