लंदन: फखर जमां ने पारी के शुरू में मिले जीवनदान के बाद खेली गयी आकर्षक शतकीय पारी तथा भारत के गेंदबाजी और बल्लेबाजी में शर्मनाक प्रदर्शन से पाकिस्तान ने आज यहां सबसे महत्वपूर्ण और बहुचर्चित फाइनल में 180 रन की शानदार जीत दर्ज करके पहली बार आईसीसी चैंपियन्स ट्रॉफी खिताब जीता।
पहले टॉस जीतकर क्षेत्ररक्षण का फैसला, फिर लचर गेंदबाजी और आखिर में बल्लेबाजों के शर्मनाक प्रदर्शन से भारतीय टीम किसी भी समय मुकाबले में नहीं दिखी और उसे किसी आईसीसी टूर्नामेंट के फाइनल में पहली बार पाकिस्तान से हार का सामना करना पड़ा। भारत ने लंदन में ही हॉकी में पाकिस्तान पर 7-1 से सबसे बड़ी जीत दर्ज की थी, इधर केनिसंगटन ओवल में पाकिस्तान ने क्रिकेट में यह कारनामा दिखा दिया।
फखर जमां ने 106 गेंदों पर 12 चौकों और तीन छक्कों की मदद से 114 रन बनाये। उन्होंने अजहर अली (59) के साथ पहले विकेट के लिये 128 रन की साझोदारी की। बाद में मोहम्मद हफीज (नाबाद 57), बाबर आजम (46) और इमाद वसीम (नाबाद 25) ने भी उपयोगी योगदान दिया और टीम का स्कोर चार विकेट पर 338 रन तक पहुंचाया।
भारतीय टीम इसके जवाब में 30.3 ओवर में 158 रन पर ढेर हो गयी। भारत अगर 150 रन के पार पहुंच पाया तो उसका श्रेय हार्दंिक पंड्या को जाता है जिन्होंने दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से रन आउट होने से पहले 43 गेंदों पर चार चौकों और छह छक्कों की मदद से 76 रन बनाये थे। मोहम्मद आमिर ने भारतीय पारी के पतन की कहानी लिखी। उन्होंने 16 रन देकर तीन विकेट लिये। हसन अली और शादाब खान ने दो-दो विकेट हासिल किये।
भारत ने पहले तीन ओवर के अंदर रोहित शर्मा और कप्तान विराट कोहली के विकेट गंवा दिये। आमिर का स्पैल सनसनीखेज था। उनकी पारी की तीसरी गेंद इनस्विंगर थी जिसका रोहित के पास जवाब नहीं था। वह पगबाधा आउट हो गये। कोहली को पहले ओवर में ही क्रीज पर कदम रखना पड़ा लेकिन वह रंग में नहीं थे। आमिर के अगले ओवर में अजहर ने स्लिप में उनका कैच छोड़ा लेकिन अगली गेंद पर वह उछाल का सही अनुमान नहीं लगा पाये और प्वाइंट पर कैच दे बैठे।
भारतीय दर्शक सन्न थे और पाकिस्तानी ऐसे उछल रहे थे मानो उन्होंने आधा मैच जीत लिया हो। आखिर आमिर पूरी तरह से हावी जो हो गया था। शिखर धवन (21) ने एक दो आकर्षक शॉट लगाये लेकिन फिर से आमिर की अतिरिक्त उछाल लेती खूबसूरत गेंद उनके बल्ले का किनारा लेकर सरफराज अहमद के दस्तानों में समा गयी। भारत का स्कोर तीन विकेट पर 33 रन हो गया।
तेज गेंदबाजों से त्रस्त भारतीयों को स्पिनरों के सामने कुछ राहत मिलने की उम्मीद थी। लेग स्पिनर शादाब खान को 13वें ओवर में गेंदबाजी के लिये बुलाया गया। उन्होंने युवराज सिंह (22) को गुगली के जाल में फंसाया। अंपायर ने पगबाधा की अपील ठुकरा दी लेकिन शादाब ने तुरंत ही कप्तान सरफराज अहमद से रीप्ले लेने के लिये कहा जिससे साफ हो गया कि युवराज आउट हैं।
महेंद्र सिंह धोनी (चार) उनके पीछे पीछे पवेलियन लौट गये। उन्होंने डीप सयर लेग पर कैच थमाया जबकि शादाब ने केदार जाधव (नौ) को भी नहीं टिकने दिया। छह विकेट 72 रन पर निकल गये। पंड्या ने ऐसे में लंबे शाट खेलने की अपनी क्षमता का अच्छा प्रदर्शन करके भारतीय प्रशंसकों को कुछ खुशी मनाने का मौका दिया। शादाब उनके निशाने पर जिन पर उन्होंने लगातार तीन छक्के लगाये। पंड्या ने केवल 32 गेंदों पर अर्धशतक पूरा किया जो आईसीसी वनडे टूर्नामेंट के फाइनल में सबसे तेज पचासा है।
पंड्या अब भी जीत के लिये खेल रहे थे लेकिन ने रविंद्र जडेजा ने उन्हें रन आउट करा दिया। जडेजा ने पंड्या को रन के लिये बुलाया लेकिन फिर वापस मुड़ गये। ऐसे में उन्होंने पंड्या से पहले क्रीज पकड़ने का सफल प्रयास किया और अपने साथी को रन आउट करा दिया। इसके कुछ देर बाद जडेजा (15) खुद भी पवेलियन लौट गये।
इससे पहले कोहली का दबाव वाले मैच में टॉस जीतकर पहले क्षेत्ररक्षण का फैसला सही साबित नहीं हुआ। भारतीय गेंदबाज नहीं चल पाये। भारतीयों में भुवनेर कुमार ही बल्लेबाजों पर कुछ अंकुश लगा पाये। उन्होंने 44 रन देकर एक विकेट लिया। रविचंद्रन अश्विन और जसप्रीत बुमरा ने सबसे ज्यादा निराश किया। अश्विन ने दस ओवर में 70 रन और बुमरा ने नौ ओवर में 68 रन लुटाये।
कोहली को भारतीय गेंदबाजों से शुरू में सफलता हासिल करने की उम्मीद थी। बुमरा की गेंद पर फखर जमां ने धोनी को आसान कैच भी थमा दिया था। भारतीय दर्शक खुशी में झूम रहे थे लेकिन रीप्ले से साफ हो गया कि बुमरा ने नोबॉल की थी। फखर जमां तीन रन पर पवेलियन लौटने वाले थे लेकिन इसके बाद उन्होंने अपने स्कोर में 111 रन और जोड़े।