बेंगलुरू। भारत के पूर्व क्रिकेटर गुंडप्पा विश्वनाथ ने शनिवार को अपने क्रिकेट करियर को लेकर बड़ा खुलासा किया है। गुंडप्पा विश्वनाथ ने कहा कि पाकिस्तान में 1982-83 में टेस्ट सीरीज में खराब प्रदर्शन के बाद करियर खत्म होने से वह बहुत आहत थे।
70 के दशक में सुनील गावस्कर के साथ भारतीय बल्लेबाजी की रीढ रहे विश्वनाथ ने उस दौर में सर्वश्रेष्ठ तेज आक्रमण के सामने बेहतरीन पारियां खेली । पाकिस्तान के खिलाफ छह टेस्ट मैचों की श्रृंखला में खराब प्रदर्शन के बाद हालांकि उन्हें वेस्टइंडीज दौरे के लिये नहीं चुना गया और वह 1983 विश्व कप टीम का भी हिस्सा नहीं थे ।
उन्होंने स्टार स्पोटर्स के कन्नड़ शो ‘दिग्गाजारा दंतकथे ’ में कहा,‘‘मुझे बाहर किया गया तो मैं बहुत दुखी था। उस समय तीनों पारियों में मैने खराब फैसले लिये। यह खेल का हिस्सा है लेकिन उन हालात में दो पारियों में मैं अच्छा खेलता तो मुझे निकाला नहीं जाता।’’
उन्होंने कहा,‘‘ कपिल की कप्तानी का ऐलान नहीं हुआ था लेकिन सभी को पता था।’’ कर्नाटक के लिये ईरापल्ली प्रसन्ना और भारत के लिये मंसूर अली खान पटौदी की कप्तानी में चमके विश्वनाथ ने कहा,‘‘प्रसन्ना ने शुरू में मेरी हौसलाअफजाई की। पटौदी हैदराबाद के लिये रणजी ट्राफी खेल रहे थे। मैं उनके खिलाफ खेल रहा था और तब उन्होंने मुझे करीब से खेलते देखा।’’
उन्होंने कहा,‘‘न्यूजीलैंड के खिलाफ 1968 में मुझे अध्यक्ष एकादश के लिये खेलने का मौका मिला। चंदू बोर्डे कप्तान थे और उन्होंने पटौदी से मेरे नाम की सिफारिश की।’’