नई दिल्ली। बायें हाथ के तेज गेंदबाज जयदेव उनादकट अगले तीन-चार साल खुद को अपने खेल के शिखर पर देखते हैं और भारतीय टीम चयनकर्ताओं की लगातार अनदेखी भी उन्हें अपनी क्षमता से बेहतर करने से नहीं रोक पायेगी। उनतीस साल के इस खिलाड़ी ने 2010 में एकमात्र टेस्ट मैच खेला था और वह भारत के लिये अंतिम बार 2018 में खेले थे। उन्होंने रिकार्ड 67 विकेट चटकाकर सौराष्ट्र को पहला रणजी ट्राफी खिताब दिलाया था।
कोविड-19 महामारी के कारण देश में कोई भी लाल गेंद का क्रिकेट आयोजित नहीं हो सका। उनादकट को आस्ट्रेलिया दौरे के लिये नहीं चुना गया, इसके बाद इंग्लैंड के खिलाफ घरेलू श्रृंखला और अब ब्रिटेन के दौरे के लिये टीम में जगह नहीं मिली जिससे वह काफी निराश हैं। वह ब्रिटेन के दौरे के लिये स्टैंडबाई खिलाड़ियों में भी शामिल नहीं है जिससे पूर्व चयनकर्ता सरनदीप सिंह भी हैरान हैं।
उनादकट ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘अगर मैं अपने चयन (इस मामले में अपने नहीं चुने जाने के लिये) के बारे में बात करूंगा तो मैं पक्षपात करूंगा। मेरा वास्तव में मानना है कि मैं अपने करियर के उस दौर में हूं जब मैं अगले तीन, चार वर्षों तक अपने खेल के शिखर पर रहूंगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यहां तक कि मैं विकेट भी चटका रहा हूं, इससे वास्तव में साबित होता है कि मैं अच्छी फार्म में हूं और मैं विभिन्न परिस्थितियों में विभिन्न पिचों पर खिलाड़ियों को आउट करने के तरीके ढूंढ रहा हूं। और इसके कारण मुझे भी लगता है कि मेरा समय भी आयेगा।’’
उनादकट ने कहा, ‘‘चयन हालांकि फिर से पेचीदा चीज है और सामान्य तौर पर आपके चयन के लिये भारत ए दौरे के अलावा घरेलू क्रिकेट का प्रदर्शन भी होता है लेकिन महामारी में ऐसा नहीं हुआ है। ’’