नयी दिल्ली: टीम इंडिया के विस्फ़ोटक बल्लेबाज़ शिखर धवन का कहना है कि क़ुदरती उनके पास दर्द सहने की ज़्यादा ताक़त है और दरअसल मर्द को दर्द होता ही नहीं है। धवन ने इंडिया टीवी के स्पोर्ट्स एडिटर समीप राजगुरु के साथ एक ख़ास मुलाक़ात के दौरान कही।दरअसल राजगुरु ओपनर धवन से श्रीलंका के दौरे पर पहले टेस्ट में चोट के बावजूद बैटिंग जारी रखने के बारे में पूछ रहे थे। पेश है शिखर धवन से पूरी बातचीत।
कितना टफ हैं शिखर
समीप राजगुरु- आपके जानने वाले क्रिकेटर्स और पूर्म क्रिकेटर्स का कहना है कि शिखर धवन बहुत टफ है, कितनी भी चोट लग जाए, कितना भी दर्द क्यों न हो वह खेलता रहता है....
शिखर धवन- कुदरती मुझमे दर्द सहने की शक्ति ज्यादा है। श्रीलंका में टीम को मेरी ज़रुरत थी इसलिए जज़्बा दर्द के सामने आ गया।
समीप राजगुरु- आपने पहली पारी में शतक लगाया और दूसरी पारी में भी काफी देर तक डटे रहे। क्या आपको नहीं लगता कि इससे चोट और गंभीर हो गई?
शिखर धवन- मेरी फ़्रैक्चर वाली जगह पर बॉल लगी ही नहीं इसलिए कोई फ़र्क नहीं पड़ा। वैसे मुझे फ़्रैक्चर के साथ खेलने की आदत है।
छोटे से चेंज का पड़ा बड़ा असर
समीप राजगुरु- ऑस्ट्रेलिया के दौरे के बाद विश्व कप में आपकी बैटिंग में कुछ बदलाव नज़र आया। आप सबसे ज़्यादा रन बनाने बाले पांचवे बल्लेबाज़ भी थे। क्या आपने batting technique में कोई बदलाव किया?
शिखर धवन- बहुत मामूली सा चेंज किया था, इतना मामूली की आम आदमी को नज़र भी न आए। कभी-कभी एक मामूली से चेंज का भी बड़ा impact हो जाता है।
ऑफ स्टंप है कमज़ोरी
समीप राजगुरु- आपको एक विशेष ज़ोन में घेरा जाता है। ऑफ स्टंप के बाहर बॉलिंग करके आपको स्लिप में निशाना बनाया जाता है। क्या इससे निपटने के लिए आपने कोई काम किया है?
शिखर धवन- वनडे की तुलना में टेस्ट में बॉलर्स पर रन रोकने का ज़्यादा प्रेशर नहीं होता। वह एक योजना के तहत बॉलिंग करते हैं। मैं ध्यान रखता हूं कि ऑफ स्टंप के बाहर की गेंद को न छेड़ूं।
T20 ने बिगाड़ा टेस्ट का मिजाज़
समीप राजगुरु- गावस्कर का कहना है कि वनडे और T20 इतने खेले जा रहे हैं कि आज के युवा खिलाड़ी संयम खोते जा रहे हैं। दो-तीन बॉल पर अगर रन न मिले तो बड़ा शॉट खेलने लगते हैं। क्या आपको लगता है कि इन खिलाड़ियों इस पर संयम रखना चाहिये?
शिखर धवन- सबकी बैटिंग अलग होती है। ऐसे बैट्समैन की भी ज़रुरत होती है जो एक सेशन में गेम का रुक बदल दे और ऐसों की भी होती है जो 4-5 सेशन तक टिक कर बैटिंग करें। दरअसल गेम की मांग के अनुसार ही प्रैक्टिस करनी चाहिये। श्रीलंका में मैंने दूसरी पारी में 36 बॉल खेलने के बाद पहला रन बनाया था।
हमने हार के भी सिर नहीं झुकाया
समीप राजगुरु- श्रीलंका में भारत ने 22 साल के बाद टेस्ट सीरीज़ जीती हालंकि उम्मीद नहीं थी। क्या ये टीम का एग्रेशन था कि हार के ज़बरदस्त वापसी की?
शिखर धवन- एग्रेशन पहले भी था और अब भी है। टीम में युवा खिलाड़ी हैं जिन्हें पिछले दौरे के अनुभव का फायदा मिला। उन्होंने हारने के बाद भी सिर नहीं झुकाया।
शिखर हैं पॉज़िटिव कैरेक्टर
समीप राजगुरु- आप टीम के एक पॉज़िटिव कैरेक्टर हैं। कैसी भी स्तिथि क्यों न हो आप मुस्कुराते रहते हैं। पहले टेस्ट में हार के बाद आपने क्या भूमिका निभाई?
शिखर धवन- लोग हार के लिए खुद को ज़िम्मेवार मानने लगते हैं। जो हो गया सो हो गया, उसे बदला नहीं जा सकता, गुज़री बातों को भूलने का आर्ट सीखना चाहिये। शाम को हमने बैठकर एजॉय किया क्योंकि आगे दो टेस्ट और खेलने थे।
सीरीज़ का Start और End दोनों important हैं
समीप राजगुरु- साउथ अफ़्रीका के भारत के दौरे की शुरुआत T20 के साथ होगी। किसी सीरीज़ में start कितनी एहमियत रखता है? साउथ अफ़्रीका 2006 के बाद कहीं भी नहीं हारी है और भारत से भी वह सिवाय दो सिरीज़ को छोड़कर, हार कर नहीं लौटी है...
शिखप धवन- start बहुत important होता है लेकिन end भी important होना चाहिये...
समीप राजगुरु- साउथ अफ़्रीका की टीम में मोर्ने मॉर्कल जैसे कई लंबे तोज़ गेंदबाज़ हैं, इनके लिए कोई ख़ास तैयारी...?
शिखर धवन- IPL में इनको खेलते रहे हैं। दौरे के पहले मैं इनके वीडियो देखुंगा और पिर उसी के मुताबिक़ तैयारी करुंगा।
समीप राजगुरु- साउथ अफ़्रीका के दौरे को हाईप्रोफ़ाइल सीरीज़ माना जा रहा है, क्या आपने खुद के लिए कोई टारगेट सेट किए हैं?
शिखर धवन- मैं कोई टारगेट सेट नहीं करता क्योंकि इससे मुझ पर प्रेशर पड़ जाता है।