वेस्टइंडीज के पूर्व तेज गेंदबाजी माइकल होल्डिंग का मानना है कि अगर वह इंग्लैंड में पले-बढ़े होते तो उनकी युवावस्था मे ही जान चली जाती। माइकल होल्डिंग ने कहा, "मुझे नहीं लगता कि मैं आज जिंदा होता। एक युवा के रूप में मैं थोड़ा उत्साही था। मैंने न्यूजीलैंड (1980) में मैदान के बाहर एक स्टंप को लात मार कर गिरा दिया था, तो आप कल्पना कर सकते हैं कि जो कुछ इबोनी के साथ हुआ वह अगर मेरे साथ होता तो क्या होता? नहीं, मैं जीवित नहीं बच पाता।?"
होल्डिंग ने कहा, "मैं जमैका में पला-बढ़ा, मैंने नस्लवाद का अनुभव नहीं किया। जब भी मैंने जमैका छोड़ा, मैंने हर बार इसका अनुभव किया। हर बार जब मैंने इसका अनुभव किया तो मैंने बस अपने आप से कहा 'यह तुम्हारा जीवन नहीं है', मैं जल्द ही घर वापस जा रहा हूँ। अगर मैंने कोई स्टैंड लिया होता तो मेरा करियर इतना लंबा नहीं होता। मेरा टेलीविजन करियर भी इतना लंबा नहीं चल पाता।"
उन्होंने कहा, "हमने इतिहास के जरिए देखा है कि अपने अधिकारों के लिए खड़े होने और अन्याय का आह्वान करने वाले अश्वेत लोगों को शिकार बनाया जाता है। होल्डिंग की नस्लवाद पर नई किताब "व्हाई वी नीस, हाउ वी राइज" जल्द ही रिलीज होने वाली है।
67 वर्षीय जमैका के दिग्गज ने कहा कि कैसे उनकी बहन को एक अध्याय को पढ़ना मुश्किल लगता है क्योंकि यह किसी की भावनाओं पर भारी पड़ता है। उन्होंने कहा, "मैंने अपनी बहन को एक अध्याय भेजा और उसने कहा कि वह इसे पढ़ नहीं सकती। लिंचिंग और अमानवीयकरण के बारे में, पेड़ से लटके तीन काले शवों की तस्वीर जिसे पोस्टकार्ड में बदल दिया गया था।"