बेंगलूरू: महेंद्र सिंह धोनी जिस दौर में विकेटकीपर बल्लेबाज की भूमिका की नयी परिभाषा गढ़ रहे हों, ऐसे में दिनेश कार्तिक जैसे खिलाड़ी की राह कतई आसान नहीं होती। आखिरी बार 2010 में टेस्ट खेलने वाले कार्तिक इतने समय आत्ममंथन के बाद बेबाकी से आकंलन करते हुए कहते हैं कि धोनी जैसे विलक्षण खिलाड़ी के रहते उनके लिये टीम में जगह बनाना आसान नहीं था।
उन्होंने अफगानिस्तान के खिलाफ टेस्ट से पहले कहा,‘‘मैं लगातार अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सका। कॉम्पिटिशन बहुत ज्यादा था और एम एस धोनी जैसी खिलाड़ी से कॉम्पिटिशन था। वह भारत के सर्वश्रेष्ठ क्रिकेट कप्तानों में से एक बने और विश्व क्रिकेट पर अपने प्रदर्शन की छाप छोड़ी।’’
चोटिल रिद्धिमान साहा के विकल्प के तौर पर आये कार्तिक ने बांग्लादेश के खिलाफ 2010 में अपने कैरियर का 23वां टेस्ट खेला था। उसके बाद से भारतीय टीम ने 87 टेस्ट खेले जिनमें कार्तिक टीम में नहीं थे।
कार्तिक ने कहा,‘‘मैंने अपना स्थान किसी आम क्रिकेटर को नहीं गंवाया। धोनी खास थे और मैं उनका बहुत सम्मान करता हूं। उस समय मैं लगातार अच्छा प्रदर्शन भी नहीं कर सका। अब मुझे एक और मौका मिला है और मैं अपनी ओर से पूरी कोशिश करूंगा।’’
धोनी के कारण 2014 तक वह टेस्ट टीम से बाहर रहे और उसके बाद रिद्धिमान साहा ने टीम में जगह बना ली थी। साहा के चोटिल होने से कार्तिक को फिर मौका मिला है।