भारत के बल्लेबाज मनोज तिवारी ने बड़ा खुलासा करते हुआ कहा है कि उन्हें उस समय बहुत ही निराशा का सामना करना पड़ा था जब वह चोट के कारण भारत के लिए टेस्ट में पदार्पण करने से चूक गए थे। तिवारी 2007 में भारत के बांग्लादेश दौरे पर पहला टेस्ट खेलने के लिए तैयार थे, लेकिन मैच से एक दिन पहले फील्डिंग ड्रिल के दौरान उनका कंधा चोटिल हो गया और उन्हें बाहर बैठना पड़ा।
तिवारी ने एक साक्षात्कार के दौरान स्पोर्ट्सकीड़ा को बताया, "मैं शानदार फॉर्म में था, मैं बेहतरीन लय में था, लेकिन मुझे चोट के कारण मैच से बाहर बैठना पड़ा। उस दिन मैं अपने होटल के कमरे में गया और खूब रोया।"
तिवारी का 2006-07 सीजन बंगाल के लिए शानदार था जिसमें उन्होंने 99.5 के शानदार औसत से सात मैचों में 796 रन बनाए। इस दौरान उनक बल्ले से तीन शतक और एक अर्धशतक निकला था। वह उस सीजन रॉबिन उथप्पा (चार शतक और तीन अर्द्धशतक के साथ 854 रन) के बाद दूसरे सबसे अधिक रन बनाने वाले खिलाड़ी थे।
ऑस्ट्रेलिया में सीबी सीरीज़ के दौरान, तिवारी ने आखिरकार अगले साल अपनी शुरुआत की। हालांकि वह अपने पहले ही मैच डक पर आउट हुए और अगला मौका पाने के लिए उन्हें तीन साल का लंबा इंतजार करना पड़ा। तिवारी ने कहा, “जब हम ऑस्ट्रेलिया गए, तो ज्यादातर मिडिल ऑर्डर रन नहीं बना रहा था। मिडिल ऑर्डर में पर्याप्त जगह थी, जहां मैं इन लोगों के साथ फिट हो सकता था।"
तिवारी उन चुनिंदा बल्लेबाजों में शुमार हैं, जिन्हें पिछले मैच में शतक बनाने के बाद अगले मैच की प्लेइंग इलेवन से बाहर कर दिया गया था। भारत की ओर से शुरुआत करने के बाद तिवारी ने दिसंबर 2011 में चेन्नई में वेस्ट इंडीज के खिलाफ 104 रन की मैच जिताऊ पारी खेली थी लेकिन बाद में उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया और अगले 14 मैच में वो नहीं खेल पाए।
इसके बाद तिवारी को आठ महीने बाद 2012 अगस्त में श्रीलंका के दौरे पर भारत के लिए खेलने का मौका मिला। तिवारी ने आखिरी बार 2015 में जिम्बाब्वे में वनडे सीरीज में भारत का प्रतिनिधित्व किया था।