नई दिल्ली: भारत के पूर्व कप्तान बिशन सिंह बेदी का मानना है कि पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय क्रिकेट संबंधों का राजनीतिकरण करके किसी को‘देशभक्ति की परिभाषा संकुचित नहीं’करनी चाहिये। भारत सरकार ने 2012 में भारत में हुई सिरीज़ के बाद से भारत- पाक द्विपक्षीय क्रिकेट को मंजूरी नहीं दी है। इसके बाद से दोनों देशों का सामना सिर्फ आईसीसी टूर्नामेंटों में हुआ है।
बेदी ने डीडीसीए के सालाना सम्मेलन से इतर बातचीत के दौरान कहा, ''क्रिकेट का राजनीतिकरण क्यों। क्या क्रिकेट नहीं खेलकर आतंकवाद का सफाया हो गया। क्रिकेट एक दूसरे के करीब आने का जरिया है।'' यह पूछने पर कि क्या मौजूदा परिदृश्य में देशभक्ति के मायने पाकिस्तान विरोधी होना ही हो गया है, बेदी ने कहा, ''यह सही नहीं है। अगर मैं पाकिस्तान के साथ क्रिकेट सिरीज़ की मांग कर रहा हूं तो मैं कोई भारत विरोधी बात नहीं कर रहा। देशभक्ति की परिभाषा इतनी संकुचित नहीं की जानी चाहिये।''
बीसीसीआई के धुर विरोधी रहे बेदी ने कहा कि भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड से नियंत्रण शब्द हटा देना चाहिये क्योंकि यह तानाशाही का सूचक है। बेदी ने कहा, ''भारतीय टीम जर्सी पर भारत का लोगो (तिरंगा) पहनती है, बीसीसीआई का लोगो नहीं। मेरी सोच एकदम स्पष्ट है। खिलाड़ी बीसीसीआई के लिये नहीं बल्कि भारत के लिये खेल रहे हैं। न्यूजीलैंड और आस्ट्रेलिया के राष्ट्रीय प्रतीक चिन्ह है। इंग्लैंड का अपना है। पाकिस्तान और बांग्लादेश भी अपना राष्ट्रीय प्रतीक चिन्ह पहनते हैं।''
उन्होंने कहा,''इसलिये नाम भारतीय क्रिकेट बोर्ड या क्रिकेट बोर्ड होना चाहिये।'' बेदी ने श्रीलंका के खिलाफ मौजूदा सिरीज़ जैसी श्रृंखलाओं के औचित्य पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा, ''इस श्रृंखला से हमें क्या हासिल हो रहा है। हम बार बार बस उनके खिलाफ खेल रहे हैं। उन्हें उनकी धरती पर हराने के बाद फिर यहां खेल रहे हैं। इसमें कोई मुकाबला ही नहीं है। कोई मायने नहीं है। उन्होंने कहा,''यह श्रृंखला नहीं होती तो खिलाड़ी रणजी ट्राफी खेलते। दक्षिण अफ्रीका दौरे के लिये अभ्यास शिविर भी लग सकता था जिसके बारे में विराट कोहली बात कर रहा था।'