एडीलेड: वनडे सिरीज़ में 1-4 से हार के बाद जब टी-20 सिरीज़ नज़दीक आने लगी तो आशंकाएं होने लाज़मी था कि कहीं यहां भी वही हश्र न हो। लेकिन टीम इंडिया ने आस्ट्रेलिया को सिरीज़ के पहले ही मैच में ऐसी पटख़नी दी कि बाक़ी बचे दो मैचों के लिये उसका मनोबल ऊपर से नीचे तक हिलकर रह गया। दरअसल जीत के जिस घोड़े पर सवार होकर ऑस्ट्रेबलिया टीम सरपट भाग रही थी उसी के चलते उससे गलती हो गई और अति आत्मसविश्वाहस के चलते ऑस्ट्रेटलियाई टीम हार की शिकार हो गई।
शॉन टैट जैसे हड्डी तोड़ गेंदबाज़ और शैन वॉटसन जैसे मैच जिताऊ ऑलराउंडर की वापसी से ऑस्ट्रेलिया के हौंसले बुलंदी पर थे। वनडे में बड़े-बड़े स्कोर का पीछा कर जीतने वाले मेज़बान ने टीम इंडिया को कम आंकते हुए टॉस जीतकर पहले बल्लेबाज़ी करने का न्यौता दे डाला ये मानकर कि कितना भी बना लें हम तो बना ही डालेंगे।
बस यही ऑस्ट्रेलिया के कप्तान ऐरॉन फ़िंच और थिंक टैंक से ग़लती हो गई। आत्मविश्वास होना अच्छी बात होती है लेकिन अति आत्मविश्वास विनाशकारी भी साबित हो सकता है।
ज़ख़्मी शेर ज़्यादा ख़तरनाक होता है
कंगारु शायद ये भूल गये कि वनडे में भले ही टीम इंडिया हार गई लेकिन उसका प्रदर्शन लचर तो क़तई नहीं था। और फिर पांचवें वनडे में उसने जिस तरह बड़े स्कोर का पीछा करते हुए जीत दर्ज की उससे ऑस्ट्रेलिया को चेत जाना चाहिये था कि ज़ख़्मी शेर ज़्यादा ख़तरनाक होता है।
विराट (के) रुप में ऑस्ट्रेलियाई बॉलिंग हो गई बौनी
टीम इंडिया को रोहित शर्मा ने वो शुरुआत दिलवाई जिसकी उनसे हमेशा दरकार रहती है। रोहित ने जिस तरह से शॉन टैट की पिटाई लगाई वो देखने लायक थी। रोहित हालंकि 20 बॉलों में 31 रन बनाकर आउट हो गये लेकिन जिस आसानी से उन्होंने टैट एण्ड कंपनी का सामना किया उससे आने वाले बल्लेबाज़ों का हौंसला बढ़ गया।
विराट कोहली ने आते ही वो तमाम शॉट खेलने शुरु कर दिये जो इन फ़ार्म बैट्मैन खेलते हैं। उनकी बैटिंग को देखकर कभी लगा ही नहीं कि उन पर कोई बॉलर तारी हो रहा है। कोहली ने 55 बात में 9 चौक्कों और दो छक्को की मदद से 90 अविजित रन ठोक दिये। यहीम नहीं उन्होंने सुरेश रैना के साथ तीसरे विकेट की साझेदारी में 134 रन भी जोड़े।
टी20 में किसी भी विकेट पर 189 का लक्ष्य आसान नहीं होता और इस लक्ष्य को जिस स्टाइल में कोहली ने सजाया वो जीत की बुनियाद ही थी।
कोहली के कोलाहल के बाद बूमरा की बूम-बूम
वनडे सिरीज़ में एकमात्र मैच (पांचवां वनडे) खेले बूमरा ने साबित कर दिया कि वनडे का उनका परफ़ार्मेंस कोई तुक्का नहीं था। पांचवें वनडे में बूमरा ने अपने दस ओवर में सिर्फ 40 रन देकर दो विकेट लिये थे जबकि बाक़ी अनुभवी बॉलरों की काफी पिटाई हुई थी। बूमरा ने डेविड वॉर्नर जैसे बल्लेबाज़ तक को हाथ नहीं खोलने दिये थे।
वनडे का परफ़ार्मेंस इस टी-20 में रिपीट करते हुए बूमरा ने अपने निर्धारित 3.3 ओवर में न सिर्फ बस 23 रन दिये बल्कि तीन विकेट भी लिये। इसमें वॉर्नर और फ़ॉकनर जैसे बल्लेबाज़ों के विकेट भी शामिल हैं।
धोनी के लिये बूमरा का एक भरोसेमंद गेंदबाज़ के रुप में उभरना एक बड़ी राहत की बात है क्योंकि यही वो विभाग है जो उनके लिये चिंता का विषय रहा है ख़ासकर तब और जब उनके दो मैन स्पिनर अश्विन और जडेजा संधर्ष करते नज़र आते हैं। मार्च में होने वाले ट20 विश्व के लिहाज़ से बूमरा का उदय धोनी के ढलते करिअर को रौशन ज़रुर कर सकता है।