नयी दिल्ली: ऑस्ट्रेलियाई टीम के खिलाड़ियों के द्वारा गेंद से छेड़खानी करने के ताजा मामले के बाद इसके तरीके पर एक बार फिर से बहस छिड़ गयी है जिसमें दांत, जिप्पर (चेन), मिंट, मिट्टी और अब रेगमाल का नाम शामिल हो गया है। ऑस्ट्रेलिया के कैमरन बैनक्रॉफ्ट को पीले रंग की पट्टी से गेंद को रगड़ने का दोषी पाया गया। उनकी यह हरकत मैदान में मौजूद कैमरामैन ऑस्कर की नजरों से नहीं बच पायी।
भद्रजनों के खेल के नाम से मशहूर इस खेल में कई दशकों से खिलाड़ियों पर गेंद से छेडखानी के आरोप लगते रहे हैं। गेंद से छेड़छाड़ का पहला आरोप 70 के दशक के मध्य में इंग्लैंड के तेज गेंदबाज जॉन लीवर पर लगा था। भारतीय कप्तान बिशन सिंह बेदी ने लीवर पर 1976 में एमसीसी के भारतीय दौरे के दौरान गेंद पर वैसलीन लगाने का आरोप लगाया था। जिसके बाद बेदी ब्रिटिश मीडिया के निशाने पर आ गये थे।
नियमों के मुताबिक खिलाड़ी गेंद में चमक लाने के लिए पसीना या लार जैसी प्राकृतिक चीजों का इस्तेमाल कर सकते है लेकिन कोई कृत्रिम पदार्थ नहीं। गेंद से छेड़छाड़ के मामले में सबसे पहले 2000 में पाकिस्तान के गेंदबाज वकार यूनिस को निलंबित किया गया था। यूनिस और पाकिस्तान के दूसरे गेंदबाज वसीम अकरम पर 1992 के दौरे पर पर रिवर्स स्विंग के लिए गेंद से छेड़छाड़ का आरोप लगा है।
इंग्लैंड के कप्तान माइकल अर्थटन भी जेब में रखे मिट्टी की मदद से गेंद से छेड़छाड़ के मामले में फंसे। उन्होंने अपना बचाव करते हुए कहा कि उन्होंने हाथ सुखाने के लिए मिट्टी रखी थी लेकिन फिर भी उन पर 2000 पाउंड का जुर्माना लगा था।
कुछ ऐसे भी खिलाड़ी है जिन्होंने करियर खत्म होने के बाद गेंद से छेड़छाड़ की बात स्वीकार की। इसमें इंग्लैंड के मार्क्स ट्रेस्कोटिक शामिल है। जिन्होंने अपनी किताब में 2005 में एशेज श्रृंखला में मिंट से गेंद चमकाने की बात स्वीकार की थी। पाकिस्तान के पूर्व कप्तान शाहिद अफरीदी भी कैमरे की नजर से गेंद से छेड़छाड करते पकड़े गये जिसमें उन्हें गेंद को दांत से काटते हुए देखा गया। इसके बाद उनपर दो मैचों का प्रतिबंध लगा, हालांकि उन्होंने अजीबो-गरीब तरीके से अपना बचाव करने की कोशिश करते हुऐ कहा कि वे गेंद को सूंघ रहे थे। दक्षिण अफ्रीका के मौजूदा कप्तान फाफ डुप्लेसिस भी दो बार गेंद से छेड़खानी करते पकड़े गये थे।