अहमदाबाद। भारत के अनुभवी ऑफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन हर दिन कुछ न कुछ नया सीखकर खुद को बेहतर बनाने की कोशिश में जुटे रहते हैं क्योंकि वह भारतीय क्रिकेट के महान खिलाड़ियों में अमिट छाप छोड़ना चाहते हैं। अश्विन ने अपने 10 साल के कैरियर में आठ ‘मैन आफ द सीरीज’ पुरस्कार जीत लिये हैं और वह हरभजन सिंह के 417 टेस्ट विकेट की बराबरी करने से महज आठ विकेट दूर हैं।
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उन्होंने कहा, ‘‘ईमानदारी से कहूं तो यह चीज मेरे दिमाग में भी नहीं आयी और अगर आप इस पर मेरे विचार लेना चाहते हैं तो वह बहुत ही शानदार गेंदबाज हैं। काफी चीजें हैं जो मैंने उनसे सीखी हैं। जब भज्जू पा ने भारतीय टीम के लिये खेलना शुरू किया था तो मैं ऑफ स्पिनर बना भी नहीं था।’’
अश्विन ने कहा, ‘‘2001 में मशहूर श्रृंखला (तीन टेस्ट में 32 विकेट) के कारण वह (हरभजन) प्रेरणास्रोत भी थे। 2001 में मैने कभी सोचा भी नहीं था कि मैं एक ऑफ स्पिनर बनूंगा, मेरा मतलब है कि किसी ने इन चीजों की कल्पना भी की होगी।’’
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उन्होंने कहा,‘‘मैं भाग्यशाली रहा कि जब मैं टीम में आया तो भज्जू पा के साथ खेला और अनिल भाई के साथ भी खेला लेकिन अब मैं अपनी छाप छोड़ना चाहूंगा।’’
अश्विन बतौर क्रिकेटर और बतौर इंसान हर दिन खुद को बेहतर बनाना चाहते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मैं खुद को बेहतर बनाते रहना चाहता हूं, सीखना चाहता हूं और यह मेरी प्रकृति है।’’
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पिच की आलोचना करने वालों के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि वह देखना पसंद करेंगे कि जब भारतीय टीम उप महाद्वीप के बाहर मैच खेलने जायेगी और उन्हें हरियाली पिच दी जायेगी तो वैश्विक मीडिया इस पर किस तरह प्रतिक्रया देती है।
उन्होंने कहा, ‘‘इस श्रृंखला में जीत इस बात का सबूत है कि यह वास्तव में अच्छी भारतीय क्रिकेट टीम है। मैं बस इतना ही कहना चाहूंगा। एक दिन मैं सुन रहा था कि सन्नी भाई (सुनील गावस्कर) क्या कह रहे थे, यह समझ आता है।’’
अश्विन गावस्कर के उस बयान का जिक्र कर रहे थे जिसमें उन्होंने कहा था कि ब्रिटिश पंडितों को ज्यादा तवज्जो नहीं दी जाये क्योंकि उनका पसंदीदा काम भारतीय पिचों की आलोचना करना रहा है।