भारतीय क्रिकेट टीम के टर्बनेटर कहे जाने वाले स्पिन गेंदबाज हरभजन सिंह आज 40 साल के हो गए हैं। 40 साल की उम्र में हरभजन लगभग इसका आधा हिस्सा भारतीय क्रिकेट की सेवा में लगा चुके हैं। हालांकि फिलहाल उन्हें नेशनल टीम में लंबे से मौका मौका नहीं मिला है लेकिन बावजूद इसके वह टी-20 फॉर्मेट में सक्रिय हैं और इंडियन प्रीमियर लीग में चेन्नई सुपरकिंग्स के अहम खिलाड़ी हैं।
पंजाब के जलांधर शहर के एक छोटे से गांव के रहने वाले हरभजन को साल 1998 में पहली बार भारतीय टीम में खेलने का मौका मिला था। भारतीय क्रिकेट का यह वह दौर था जहां तेजी से चीजें बदल रही थी। उनके डेब्यू के दो साल के भीतर ही टीम के कप्तान बदल गए और उसी समय टीम इंडिया में कई नए चेहरों पर भी भरोसा जताया गया था।
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भारतीय टीम में बदलती हुई चीजों के साथ हरभजन की किस्मत भी बदली और साल 2001 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वह रातों रात हीरो बन गए। हरभजन ने इस टेस्ट सीरीज में कमाल की गेंदबाजी की थी और टेस्ट क्रिकेट में हैट्रिक लेने वाले पहले भारतीय गेंदबाज बने थे।
ऑस्ट्रेलियाई टीम तीन टेस्ट मैचों की सीरीज के लिए भारतीय दौरे पर आई थी। इससे पहले ऑस्ट्रेलिया लगातार 15 टेस्ट मैच जीतने का रिकॉर्ड अपने नाम कर चुकी थी। सीरीज का पहला मैच मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में खेला गया था और कंगारु टीम ने महज तीन दिन के भीतर यह मुकाबला अपने नाम कर लिया।
पहले मैच में मिली हार के बाद कप्तान सौरव गांगुली की अगुआई में भारतीय टीम को अपना दूसरा मैच कोलकाता के ईडन गार्डन्स में खेलना था। कप्तान सौरव गांगुली ने युवा हरभजन सिंह पर अपना भरोसा दिखाया था। क्योंकि टीम के अनुभवी स्पिन गेंदबाज अनिल कुंबले इस सीरीज में नहीं खेल रहे थे।
विजयरथ रथ पर सवार कप्तान रिकी पोंटिंग की सेना दूसरे टेस्ट मैच में बुलंद हौसले के साथ मैदान पर उतरी थी लेकिन हरभजन सिंह ने उनके इस अभियान को रोकने का ढृढ़ संकल्प ले चुके थे।
इस मैच में हरभजन की फिरकी का ऐसा चादू चला कि कंगारू टीम के खिलाड़ी कुछ समझ ही नहीं आ पाए। हरभजन ने ईडन गार्डन्स टेस्ट मैच की दोनों पारियों को मिलाकर कुल 13 विकेट अपने नाम किए थे, जिसकी बदौलत भारत ने यह मैच जीतकर सीरीज बराबर कर दी।
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ऑस्ट्रेलिया का विजय रथ रोकने के बाद दोनों टीमों को तीसरे टेस्ट के लिए चेन्नई के चेपॉक स्टेडियम में भिड़ना था। सीरीज बराबरी होने के बाद तीसरा मैच निर्णायक हो चुका था।
वहीं हरभजन पूरी तरह से अपने लय में आ चुके थे और ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों में मन में उनका एक खौफ बैठ गया था। चेन्नई टेस्ट में भी हरभजन ने अपना जादू बिखेरा। उन्होंने इस मैच की पहली पारी में 7 और दूसरी पारी में 8 विकेट लेकर खलबली मचा दी। हरभजन की दमदार गेंदबाजी के बदौलत ही भारत ने ऑस्ट्रेलिया को करारी मात दी और सीरीज को 2-1 से अपने नाम कर लिया।
आपको बता दें कि हरभजन सिंह भारत के सबसे सफल गेंदबाजों में से एक हैं। हरभजन भारत के लिए 103 टेस्ट मैच खेल चुके हैं जिसमें उन्होंने 417 विकेट अपने नाम किए हैं।
वहीं टेस्ट के अलावा उन्होंने 236 वनडे मैचों में 269 विकेट लिए हैं जबकि 28 टी-20 मैचों में उनके नाम 25 विकेट दर्ज है।