एक अरब तीस करौड़ की आबादी वाले देश में हर किसी के दिल में जगह बनाना किसी तिलस्मी करिश्मे से कम नहीं है लेकिन ये करिश्मा किया है टीम इंडिया के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने। शांत स्वभाव, ग़ज़ब की क्षमताओं और कठिन परिस्थितियों में भी ठंडे दिमाग़ से फ़ैसले लेने की कुव्वत की वजह से 2007 से धोनी का नाम कैप्टन कूल पड़ गया था। क्रिकेट एक ऐसा खेल है जहां लोग एक पल में आपको अर्श पर बैठा देते हैं और दूसरे ही पल फ़र्श पर गिरा देते हैं ज़ाहिर है इसका असर खिलाड़ी पर पड़ता है लेकिन धोनी इनमें कभी नहीं रहे। कुछ भी हो, धोनी के चेहरे पर शिकन नहीं पड़ती लेकिन बक़ौल शायर साहिर लुधियानवी- ''मैं कोई पत्थर नहीं इंसान हूं, कैसे कह दूं ग़म से घबराता नहीं।"
धोनी पर ये शेअर एकदम ठीक बैठता है। उनकी ज़िंदगी में भी कई ऐसे लम्हें आए जब वह घबरा गए...टूट गए यहां तक कि उनकी आंखें भी गीली हो गईं। धोनी का आज 36वां जन्मदिन है और इस मौक़े पर हम उनकी ज़िंदगी को छू कर गए ऐसे छह लम्हों के बारे में बताने जा रहे हैं जब उनका दर्द आंसू बनकर छलक पड़ा।
1-वनडे में वेस्ट इंडीज़ के हाथों हार
टीम इंडिया इन दिनों वेस्ट इंडीज़ के दौरे पर है। पहला मैच बारिश में धुलने के बाद भारत ने अगले दोनों मैच जी लिए थे और सिरीज़ पर कब्ज़ें के लिए उसे चौथा मैच जीतना था। वेस्ट इंडीज़ ने भारत के सामने 199 का मामूली सा लक्ष्य रखा लेकिन भारत का टॉप ऑर्डर लड़खड़ा गया और हमेशा की तरह पूरे देश की नज़रे उम्मीदों के साथ धोनी की तरफ देखने लगीं। धोनी ने 50 रन बनाए भी लेकिन ये वनडे में सबसे धीमे बनाने वाला दूसरा अर्धशतक था। धोनी के आउट होने के बाद पूरी भारतीय टीम सिमट गई और भारत मैच हार गया। बताया जाता है कि हार से धोनी इतने दुखी थे कि उनकी आखों में आंसू आ गए।
2- सन्यास की घोषणा
भारत ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर थी। मेलबर्न में भारत ने टेस्ट ड्रॉ करवा लिया लेकिन सिरीज़ हार गया। टेस्ट के बाद धोनी ने ऐसा धमाका किया कि सब चौक गए। उन्होंने अचानक टेस्ट क्रिकेट से सन्यास लेने की घोषणा कर दी। धोनी ने जब अपने फ़ैसले के बारे में अपने साथी खिलाड़ियों को बताया तो पहले उन्हें विश्वास नहीं हुआ लेकिन जब सच्चाई घर कर गई तो उनकी आंखें नम हो गईं और ज़ाहिर है धोनी भी अपने आंसू नहीं रोक पाए। सबने धोनी को बिदाई दी लेकिन जिस तरह से सुरेश रैना ने धोनी को अलविदा कहा उससे ज़्यादा भावुक और कुछ हो नहीं सकता था। रैना ने धोनी के साथ एक सेल्फ़ी ली जिसमें दोनों की डबडबाई आंखें और बिछोह का दर्द साफ देखा जा सकता है। टेस्ट क्रिकेट से सन्यास लेने के लिए शेर का जिगरा होना चाहिए और शेर-ए-दिल धोनी भी इस मौक़े पर अपने जज़बात छुपा नहीं सके।
3- जब पहली बार राईज़िंग पुणे सुपरजाइंट्स की जर्सी पहनी
धोनी और चेन्नई सुपर किंग्स एक दूसरे के पर्याय रहे हैं। IPL में धोनी की कप्तानी में चेन्नई ने छह बार फ़ाइनल में पहुंची, दो बार लगातार खिताब जीता जो इसके पहले किसी टीम ने नहीं किया। लेकिन मैच फ़िक्सिंग के आरोपों के बाद अचानक सबकुछ बदल गया। चेन्नई को IPL से बैन कर दिया गया और धोनी को पुणे के रंग में रंगना पड़ा।
जब धोनी से पूछा गया कि बिना चेन्नई के रंग वाली जर्सी पहनने पर उन्हें कैसा महसूस हो रहा है तो उन्होंने कहा- "वो बेहद जज़्बाती लम्था था...मैंने चेन्नई की जर्सी आठ साल तक पहनी, अचानक खुद को पीले रंग में न देखना बहुत जज़्बाती लम्हा था।" देखा आपने? धोनी भी जज़्बाती हैं।
4- ICC विश्व कप सेमी फ़ाइनल में हार
2015 वो समय था जब टीम इंडिया ख़राब दौर से गुज़र रही थी। धोनी की आलोचना हो रही थी, उनकी कप्तानी पर सवाल किए जा रहे थे, उनके फ़ैसलों पर आंखे तरेरी जा रही थीं। टॉप ऑर्डर चल नहीं रहा था और भारतीय ख़ेमें में तनातनी की भी ख़बरें आ रही थीं। भारत पाकिस्तान और बांग्लादेश को हराकर सेमीफ़ाइनल में पहुंच गया जहां उसका मुक़ाबला मेज़बान ऑस्ट्रेलिया से होना था। भारट ऑस्ट्रेलिया के आक्रामक खेल के आगे टिक नहीं पाया। यहां तक कि धोनी भी टीम की वापसी नहीं करवा सके। उस समय लगा था कि शायद ये धोनी का आख़िरी विश्व कप है।
मैच हारने के बाद मीडिया के सामने धोनी पहली बार अपने जज़्बातों पर काबू नहीं रख पाए और उनकी आंखें छलछला गईं।
5 ICC क्रिकेट वर्ल्ड कप
ये वो वक़्त था एक लंबी काली सदी के बाद रौशनी फूटने वाली थी, मायूस चेहरों पर ख़ुशी की लहरें हिलोरे मारने वाली थी। 28 साल बाद के बाद भारत इतिहास दोहराने जा रहा था। इस दौरान तीन पीढ़िया गुज़र चुकी थी। इसे इतिहास बनाने के पीछे था एक ''गॉड'' और एक कैप्टन कूल। सचिन ने शानदार पारी खेली और धोनी ने दिया फिनिशिंग टच। धोनी ने छक्का लगाकार भारत की गोद में वर्ल्ड कप रखा दिया, 28 साल के इंतज़ार के बाद...। पूरे देश में दीवाली मनने लगी, लोग खुशी से पागल हए गए.....। मैच के बाद क्या धोनी ड्रेसिंग रुम में ज़ारोक़तार रोए! हां।
"मैंने कभी सोचा बी नहीं था कि मैं जीत के बाद रोऊंगा लेकिन मैं रोया....हम सब मिलकर रोए। दुनिया तो वो सब देश नहीं सकती क्योंकि उसका कोई फूटेज नही है लेकिन उस रात टीम का ऐसा ही मूड था।"
6- सचिन की बिदाई
"मुझे गॉड के साथ कुछ युवा खिलाड़ी मिले थे...सब अपने काम में दक्ष थे लेकिन अकेला मैं ही नाकाम होता जा रहा था... जब सचिन चेहरा लटकाए वापस पवेलियन लौटे तो मेरा दिल बैठ गया...मैंने फ़ैरन पैठ पहने। पूरी टीम की नज़रें मुझ पर थीं, मैंने बैटिंग में ऊपर जाने का फ़ैसला किया था। मैं दौड़ तक नहीं पा रहा था लेकिन बार बार मेरे सामने सचिन का वो बच्चों जैसा चेहरा सामने आ जाता था। 'माफ करना, मेरी ग़लती थी, मुझे इतनी जल्दी आउट नहीं होना चाहिए था, गॉड का चेहरा क्या अपने ही लोगों के बीच झुकना चाहिये? नहीं, मैं ऐसा नहीं होने दुंगा...मैंने अपने दर्द को काबू किया और मैदान में उतरने का फ़ैसला किया...आख़िरकार हमने कर दिखाया... मैं ये वर्ल्ड कप सचिन तेंदुलकर को समर्पित करता हूं...." - एमएस धोनी।