भारतीय पूर्व कप्तान और मौजूदा बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली आज अपना 48वां जन्मदिन मना रहे हैं। 'प्रिंस ऑफ कोलकाता' और 'रॉयल बंगाल टाइगर' नाम से मशहूर सौरव गांगुली को उनकी बेहतरीन बल्लेबाजी और कप्तानी के लिए याद किया जाता है। गांगुली ऑफ साइड में इतने अच्छे शॉट लगाया करते थे कि उन्हें फैन्स 'गॉड ऑफ द ऑफ साइड' कहने लगे थे, वहीं सौरव ने टीम इंडिया की कप्तानी उस समय संभाली जब टीम फिक्सिंग जैसे आरोपों के बुरे दौर से गुजर रही थी। गांगुली ने उस समय एक नई युवा टीम तैयार कर देश क्या विदेशों में भी जीतना सिखाया। गांगुली की कप्तानी में भारत ने नेटवेस्ट सीरीज जीती, श्रीलंका के साथ चैंपियंस ट्रॉफी के संयुक्त विजेता रहे, वहीं उन्होंने वर्ल्ड कप 2003 के फाइनल में भी भारत को पहुंचाया।
गांगुली ने अपने टेस्ट करियर की शुरुआत क्रिकेट के मक्का कहे जाने वाले लॉर्ड्स के मैदान पर ही की थी। 1996 में अपने पहले ही मैच में दादा ने 131 रन की पारी खेलकर अपनी दादागिरी का नमूना दिखा दिया था।
गांगुली ने भारत के लिए कुल 113 टेस्ट और 311 वनडे मैच खेले जिसमें उन्होंने क्रमश: 7212 और 11363 रन जड़े। दादा के नाम वर्ल्ड कप में भारत की ओर से एक पारी में सबसे अधिक 183 रन बनाने का रिकॉर्ड भी है।
वहीं वनडे क्रिकेट में गांगुली 10 हजार रन के आंकड़े को पार करने वाले तीसरे सबसे तेज खिलाड़ी भी हैं। गांगुली ने अपने वनडे करियर में कुल 22 शतक लगाए हैं जिसमें से उन्होंने 18 शतक विदेशी सरजमीं पर ठोंके थे।
विदेशी सरजमीं पर गांगुली की बल्लेबाजी के साथ साथ उनकी कप्तानी भी सफल हुई थी। गांगुली ने भारत के बाहर कुल 28 टेस्ट मैचों में कप्तानी की है जिसमें से 11 मैच वो जीतने में सफल रहे हैं। गांगुली ने साल 2000 में टीम इंडिया की कमान संभाली जब टीम पर फिक्सिंग जैसे आरोप लग रहे थे। दादा ने इसकी परवाह किए बिना अपने बेबाक फैसलों से एक नई टीम खड़ी की और युवा खिलाड़ियों में जीतने के ललक पैदा की। गांगुली ने जब टीम इंडिया की कमान संभाली तो आईसीसी रैंकिंग में भारत 8वें पायदान पर था।
गांगुली ने अपनी कप्तानी में भारत को चैंपियंस ट्रॉफी 2002 में श्रीलंका के साथ संयुक्त विजेता बनाया। भारत इस टूर्नामेंट के फाइनल में जिम्बाब्वे, इंग्लैंड और साउथ अफ्रीका को मात देकर पहुंचा था। लेकिन फाइनल मैच बारिश के कारण धुल गया और टीम इंडिया को खिताब श्रीलंका के साथ साझा करना पड़ा।
इसके बाद दादा ने इंग्लैंड में नेटवेस्ट सीरीज में अपनी दादागिरी दिखाई। लॉर्ड्स के मैदान पर उनके शर्ट उतारकर जीत मनाने के अंदाज को भले ही कौन भुला सकता है। 13 जुलाई 2002 को भारत और मेजबान इंग्लैंड के बीच नेटवेस्ट सीरीज का फाइनल मुकाबला खेला जा रहा था। इस मुकाबले को मोहम्मद कैफ और युवराज सिंह की जूझारू पारी की मदद से भारत ने जीता और गांगुली ने बालकनी में ही शर्ट लहराकर जीत की खुशी मनाई। गांगुली ने ऐसा इसलिए किया क्योंकि इससे पहले जब इंग्लैंड भारत दौरे पर आई थी तो एंड्र्यू फ्लिंटॉफ ने शर्ट उतारकर जीत का जश्न मनाया था।
इसके बाद दादा ने वर्ल्ड कप 2003 के फाइनल में भारत को पहुंचाया। इस वर्ल्ड कप में भारत ने फाइनल मुकाबले से पहले कुल 10 मैच खेले थे जिसमें से 9 मैच टीम जीतने में सफल रही थी। एक मैच जो भारत ने हारा था वो ऑस्ट्रेलिया से ही हारा था। ग्रुप स्टेज में ऑस्ट्रेलिया ने भारत को 9 विकेट से करारी मात दी थी। 1983 वर्ल्ड कप के बाद पहली बार भारत फाइनल में पहुंचा था। हर कोई भारत से जीत की उम्मीद लगाए बैठा था, लेकिन गत विजेता ऑस्ट्रेलिया ने फाइनल मैच में भी शानदार प्रदर्शन किया और भारत को 125 रन से मात दी। यह हार आज भी भारतीय फैन्स को कांटे की तरह चुबती है। इस हार के बावजूद गांगुली के प्रति फैन्स का सम्मान ओर बढ़ गया।
गांगुली ने जब टीम इंडिया की कमान संभाली थी तो तब टेस्ट टीम 8वें पायदान पर थी और जब गांगुली ने अपने रिटायरमेंट का ऐलान किया तो टीम दूसरे पायदान पर पहुंच गई थी। गांगुली ने अपनी कप्तानी में वीरेंद्र सहवाग, युवराज सिंह, जहीर खान और महेंद्र सिंह धोनी जैसे युवाओं को तैयार किया जिन्होंने आगे चलकर भारत को वर्ल्ड कप 2011 जिताने में अहम भूमिका निभाई।
क्रिकेट से रिटायरमेंट लेने के बाद गांगुली अब बीसीसीआई का अध्यक्ष बनकर टीम का उद्धार करने में लगे हुए हैं। गांगुली के अध्यक्ष बनने के बाद ही भारत ने पहली बार बांग्लादेश के खिलाफ घरेलू सरजमीं पर पिंक बॉल टेस्ट मैच खेला और इस साल के अंत में जब भारत ऑस्ट्रेलिया का दौरा करेगी तो वहां पर भी एक डे-नाइट टेस्ट मैच खेलेगी। उम्मीद है दादा आगे भी अपने ऐसे ही बेबाक फैसलों से अपनी दादागिरी दिखाकर टीम इंडिया का उद्धार करते रहेंगे।