भारतीय क्रिकेट टीम के सबसे स्टाइलिश कप्तानों में से एक पूर्व खिलाड़ी अजहरुद्दीन आज 58 साल के हो गए हैं। हालांकि अजहर का करियर विवादों से भरा रहा है। क्रिकेट के मैदान पर मैच फिक्सिंग से जुड़े आरोप रहे हो या फिर उनके अफेयर के चर्चे, इन सबके बावजूद भारतीय क्रिकेट में दिए गए उनके योगदान को नहीं भुलाया जा सकता है।
अजहर भारत के लिए 99 टेस्ट और 334 वनडे मैचों में मैदान पर उतरे। टेस्ट क्रिकेट में उन्होंने 6215 रन बनाए जिसमें उनके नाम 22 शतक और 21 अर्द्धशतक दर्ज है। इसके अलावा वनडे में उन्होंने 9378 रन बनाए। इस फॉर्मेट में उन्होंने 7 शतक और 58 अर्द्धशतक जड़े।
टेस्ट क्रिकेट में लगातार तीन शतक
साल 1984 में इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट डेब्यू करने वाले अजहर ने अपने पहले ही मैच से धमाल मचाना शुरू कर दिया था। अजहर ने डेब्यू मैच में शतक लगाने के बाद अगले दो मैचों में भी 100 रनों की पारी खेलकर तहलका मचा दिया था।
इस तरह अजहर टेस्ट क्रिकेट में पहले ऐसे बल्लेबाज बने थे जो अपने करियर के पहले तीन टेस्ट मैचों में लगातार तीन शतक लगाने का कारनामा किया था। यही कारण है कि उन्हें भारतीय क्रिकेट में 'वंडर ब्वाय' के नाम से जाना जाता था.
इसके साथ ही वह टेस्ट क्रिकेट में भारत के लिए सबसे तेज शतक लागने वाले खिलाड़ी बने थे। इस फॉर्मेट में अजहर ने साल 1996 में साउथ अफ्रीका के खिलाफ महज 74 गेंद में शतक जड़ दिया था। इतना ही नहीं उन्होंने अपने आखिरी टेस्ट मैच में भी शतक लगाया था।
अजहर ने अपना आखिरी टेस्ट मैच साल 2000 में साउथ अफ्रीका के खेले थे जिसमें उन्होंने 102 रनों की पारी खेली थी।
300 वनडे खेलने वाले पहले भारतीय
कलाई के जादूगर कहे जाने वाले हैदराबाद के इस खिलाड़ी ने मैदान पर अपने आकर्षक शॉट से जमकर रन बनाए। यही कारण है कि उन्होंने भारत के लिए 300 से भी अधिक वनडे मुकाबले में मैदान पर उतरे।
इस तरह अजहर भारत के ऐसे पहले खिलाड़ी बने थे जिन्होंने सफेद गेंद क्रिकेट में 300 मैचों में प्रतिनिधित्व किया था।
अपनी बल्लेबाजी के अलावा अजहर एक बेहतरीन फील्डर भी थे। अजहर से शायद ही मिस फील्ड होते देखा गया था। यही कारण है उन्होंने अपने करियर में 261 बेहतरीन कैच लपके।
मैच फिक्सिंग कांड
साल 2000 में अजहर के करियर पर एक ऐसा दाग लगा जिसके आगे उनकी सारी उपलब्धियां धूमील हो गई। इसी साल मैच फिक्सिंग में अजहर का नाम सामने आया और उन उनपर लाइफ टाइम के लिए बैन लगा दिया गया।
हालांकि इसके खिलाफ वह लंबी कानूनी लड़ाई लड़े और आखिरकार साल 2012 में आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने उन पर लगे आजीवन प्रतिबंध को खारिज कर दिया, लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी।