ऑस्ट्रेलिया में भारत ने 2-1 से बॉर्डर गावस्कर टेस्ट सीरीज पर कब्जा किया। इस टेस्ट सीरीज में कई ऐसे पल थे जिसे भारतीय फैन्स कभी नहीं भूला सकते। ऐसा ही एक पल सिडनी टेस्ट भी था जब हनुमा विहारी और रविचंद्रन अश्विन की जोड़ी ने भारत को हारने से बताया था। इस टेस्ट मैच में भारत को अंत में जीतने के लिए 407 रन की जरूरत थी। जब विहारी बल्लेबाजी करने आए तो भारत का स्कोर 250/4 था। उस समय शानदार बल्लेबाजी कर रहे ऋषभ पंत 97 के निजी स्कोर पर पवेलियन लौटे थे।
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22 रन बाद पुजारा भी आउट हो गए थे। तब विहारी का साथ देने अश्विन मैदान पर उतरे थे। बल्लेबाजी के दौरान विहारी की टांग में चोट लग गई थी, वहीं अश्विन पहले से ही पीठ के दर्द से जूझ रहे थे। ऐसे में दोनों खिलाड़ियों ने आखिरी दिन लगभग 3 घंटे बल्लेबाजी कर भारत को हारने से बचाया था।
इस दौरान हनुमा विहारी ने 161 और अश्विन ने 128 गेंदों का सामना किया था। अब भारत लौटने के बाद विहारी ने अपनी इस पारी की दुख भरी दास्तां फैन्स के साथ शेयर की है।
ईएसपीएनक्रिकइन्फो को दिए एक इंटरव्यू में विहारी ने बताया कि जब उन्हें चोट लगी तो उन्होंने इंजेक्शन लिए थे जिसके बाद उन्हें अपनी टांग भी महसूस नहीं हो रही थी।
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विहारी ने कहा "मैंने पेनकिलर इंजेक्शन लिया था और टेप भी बांधी हुई थी। मेरे दिमाग में बस यही चल रहा था कि यह पारी मुझे टीम के लिए खेलनी है। मैं अपने दिमाग में सोच रहा था कि मुझे कुछ करना है और चरित्र, धैर्य, दृढ़ निश्चय दिखाना है कि मुझे ढाई घंटे तक बल्लेबाजी करनी है।"
उन्होंने कहा "टी ब्रेक के दौरान मैंने इंजेक्शन लिया। उसके बाद मुझे दर्द नहीं हुआ लेकिन दाहिने पैर में कमजोरी जरूर महसूस हुई। मुझे अपना दाहिना पैर बिल्कुल भी महसूस नहीं हो रहा था। इतनी पेनकिलर खाने के बाद मुझे खड़ा होने पर दर्द नहीं हो रहा था, लेकिन मैं अपनी टांग को भी महसूस नहीं कर पा रहा था और जब मैं भाग रहा था तो दर्द हो रहा था।"
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तीसरा टेस्ट मैच भारत को ड्रॉ खेलना काफी जरूरी थी। इस टेस्ट से पहले सीरीज 1-1 की बराबरी पर चल रही थी। अगर भारत वह टेस्ट हार जाती तो वह सीरीज में पिछड़ जाती है और ऑस्ट्रेलिया गाबा टेस्ट में उन पर पूरी तरह से हावी होकर खेलता।
सिडनी टेस्ट में 23 रन बनाने वाले इस बल्लेबाज ने कहा "मैं जानता था कि वहां मेरी सीरीज का अंत हो गया है। मुझे पता था कि यह कोई क्रैंप या छोटी मोटी चोट नहीं है। मुझे सीधे पता था कि मैंने अपनी हैमस्ट्रिंग को फाड़ दिया था। क्योंकि मैंने पहले भी ऐसा किया है, मुझे पता था कि यह कैसा लगता है। मैं चल या दौड़ नहीं सकता था।"
अंत में विहारी बोले "मुझे पता था कि मैं जो भी योगदान दे सकता हूं, जो भी प्रभाव छोड़ सकता हूं वह इस अभी करना होगा। एक तरह से, चोट ने मुझे मन की स्पष्टता के साथ मदद की। मुझे पता था कि मुझे सिर्फ शरीर के करीब खेलना है और कुछ नया करने की भी कोशिश नहीं करनी क्योंकि मैं रनों की तलाश में नहीं था और मैं वैसे भी नहीं चल सकता था। इसने मेरे लिए चीजों को सरल बना दिया है और गेंदों को ब्लॉक करना है जो मेरे रास्ते में आते हैं।"